कहते हैं Dr तो भगवान का रूप लेकिन इन 'नमकहरामों' ने क्यों चुना जान लेने का रास्ता, कौन है डॉ. प्रियंका शर्मा और कैसे चढ़ीं रडार पर?
दक्षिण कश्मीर में तैनात हरियाणा की डॉक्टर प्रियंका शर्मा का नाम उस समय सुर्खियों में आ गया, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस टीम ने उन्हें हिरासत में लिया. डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज, आतंकी मॉड्यूल… यह वो कॉकटेल है जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. लेकिन रेड फोर्ट ब्लास्ट के बाद अलग-अलग राज्यों में चल रही ताबड़तोड़ जांच ने अब ऐसे ‘व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क’ का चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है जिनकी पहुंच किताबों, अस्पतालों और कक्षाओं से निकलकर सीधे आतंक के अड्डों तक जुड़ती दिखाई दे रही है.
कहते हैं डॉक्टर इंसान नहीं- भगवान का रूप होते हैं. वही लोग जो ज़िंदगी बचाते हैं, जिनकी सफेद कोट पर भरोसा किया जाता है, जिनके नाम पर परिवार बेटियों को पढ़ाते हैं, सरकारें स्कॉलरशिप देती हैं… लेकिन जब यही सफेद कोट किसी सफेदपोश आतंक की ढाल बन जाए, तो कलेजा सच में दहल जाता है.
दिल्ली के लाल किले इलाके में हुए कार ब्लास्ट ने देश के भरोसे को ही झकझोर दिया. ये धमाका सिर्फ सड़क नहीं तोड़ता- यह विश्वास तोड़ता है. और सबसे खौफनाक बात? इस साजिश के पीछे वही लोग हैं, जो अस्पताल में कसम खाते हैं कि “हम जिंदगी बचाएंगे…” अब जांच में जो सामने आ रहा है, उसने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया है- कई डॉक्टर, मेडिकल छात्र और ‘व्हाइट-कॉलर’ एजुकेटेड मॉड्यूल के सदस्य, जो काफिरों की जान लेना “जन्नत का रास्ता” समझ बैठे थे. और इसी कड़ी में अब एक बड़ा नाम उभरा है-हरियाणा की डॉक्टर प्रियंका शर्मा.
दक्षिण कश्मीर में तैनात हरियाणा की डॉक्टर प्रियंका शर्मा का नाम उस समय सुर्खियों में आ गया, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस टीम ने उन्हें हिरासत में लिया. डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज, आतंकी मॉड्यूल… यह वो कॉकटेल है जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. लेकिन रेड फोर्ट ब्लास्ट के बाद अलग-अलग राज्यों में चल रही ताबड़तोड़ जांच ने अब ऐसे ‘व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क’ का चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है जिनकी पहुंच किताबों, अस्पतालों और कक्षाओं से निकलकर सीधे आतंक के अड्डों तक जुड़ती दिखाई दे रही है.
सूत्रों की मानें तो यह कोई आम मॉड्यूल नहीं, बल्कि पतली टाई, सफेद कोट और प्रोफेशनल पहचान में छिपा वो आतंक जाल है जो जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक फैला हुआ है. रेड फोर्ट ब्लास्ट में 13 मौतों और कई घायल होने के बाद जो जांच शुरू हुई थी, उसी ने हरियाणा, यूपी और कश्मीर के कई मेडिकल पेशेवरों की कड़ियां जोड़ना शुरू कर दिया है- और उसी में सामने आया डॉ. प्रियंका शर्मा का नाम.
कौन है डॉ. प्रियंका शर्मा और कैसे चढ़ीं रडार पर?
हरियाणा के रोहतक की निवासी डॉ. प्रियंका शर्मा, GMC अनंतनाग में तैनात थीं. काउंटर-इंटेलिजेंस टीम ने अनंतनाग के मलकनाग इलाके में उनके किराए के आवास पर रेड डालकर उन्हें हिरासत में लिया. उनका नाम उस समय सामने आया जब एक पूर्व GMC स्टाफकर्मी आदिल की गिरफ्तारी हुई और उसकी पूछताछ में उन चेहरों की ओर इशारा मिला जो मॉड्यूल को “लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल सपोर्ट” दे रहे थे. CDR ट्रेल खंगालते-खंगालते पुलिस सीधे डॉक्टर के कमरे तक पहुंची. वहीं से पुलिस ने एक मोबाइल फोन और सिम कार्ड जब्त किया, जिसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
हरियाणा से यूपी और कश्मीर तक फैला ‘व्हाइट-कॉलर नेटवर्क’
इस गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा राज्यों की सीमाओं को फांद चुका है- हरियाणा से एक स्पेशल टीम अनंतनाग पहुंच रही है, ताकि डॉक्टर के बैकग्राउंड की बारीकी से जांच की जा सके. अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दो डॉक्टर पहले ही रेड फोर्ट ब्लास्ट कनेक्शन में पकड़े जा चुके हैं.
रेड फोर्ट ब्लास्ट की जांच में नई कड़ी
- नवंबर की शुरुआत में हुए लाल किला कार ब्लास्ट में 12–13 लोगों की मौत हो गई थी.
- अब जांच एजेंसियों को पता चला है कि कई डॉक्टरों के जरिए लगभग 20 लाख रुपये का फंड ट्रेल ब्लास्ट मॉड्यूल तक पहुंचा. इंटेलिजेंस इनपुट कहते हैं कि यह पैसा जैश-ए-मोहम्मद के एक हैंडलर ने हवाला के जरिए भेजा था.
UP में 200 मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर ATS के रडार पर
कश्मीर से मिले इनपुट की धमक यूपी तक सुनाई दी है. ATS अब लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, मेरठ और अन्य शहरों के मेडिकल कॉलेजों से - लगभग 200 कश्मीरी मूल के छात्र और डॉक्टरों की जांच कर रही है.
विस्फोटक खरीद में 26 लाख का खेल!
जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ, मॉड्यूल ने 26 लाख रुपये जुटाए थे. इनमें से 3 लाख रुपये NPK खाद खरीदने में लगे. हरियाणा के दिनेश उर्फ डब्बू को संदिग्ध खाद सप्लाई के आरोप में पकड़ा गया है. पुलिस जांच रही है कि क्या इसी खाद का इस्तेमाल धमाके में हुआ था.
दिल्ली पुलिस और NIA की संयुक्त कार्रवाई
रेड फोर्ट ब्लास्ट मामले को अब पूरी तरह NIA को सौंप दिया गया है, ताकि बड़े नेटवर्क को खत्म किया जा सके. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में UAPA के तहत FIR दर्ज की थी. CCTV फुटेज, 9mm कैलिबर कारतूस और फंडिंग ट्रेल ने जांच को और भी पेचीदा बना दिया है. NIA और दिल्ली पुलिस की जांच में ये नाम सामने आ चुके हैं- शहादत अली (Suicide Bomber) – जिसने कार उड़ा दी
- आमिर राशिद अली – कार का मालिक, साजिशकर्ता
- डॉ. मुज़म्मिल गणई – मॉड्यूल का मास्टरमाइंड
- डॉ. मोहम्मद – अल-फलाह यूनिवर्सिटी, हरियाणा
- डॉ. मुस्तकीम – अल-फलाह यूनिवर्सिटी
- उमर, शाहीन – 20 लाख की फंडिंग रूटिंग में शामिल
- दिनेश उर्फ डब्बू – NPK उर्वरक की सप्लाई का आरोपी
- अदील – GMC अनंतनाग का पूर्व स्टाफ, गिरफ्तारी के बाद सबसे बड़ा सुराग
जांच कहां तक पहुंची?
- धमाके के बाद दिल्ली में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
- NIA की टीम लगातार छापेमारी और पूछताछ कर रही है.
- कई डॉक्टरों को हिरासत में लिया जा चुका है और मॉड्यूल का ‘अंडरग्राउंड नेटवर्क’ सामने आने लगा है.





