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कौन है आतंकी उमर को पनाह देने वाला फरीदाबाद का सोयब? Al-Falah University में था वार्ड बॉय, NIA ने किया गिरफ्तार

लाल किला कार ब्लास्ट केस में NIA को बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने फरीदाबाद के धौज निवासी सोयब को गिरफ्तार किया है, जिस पर मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी को वारदात से ठीक पहले पनाह देने और लॉजिस्टिकल सपोर्ट देने का आरोप है. सोयब Al-Falah University में वार्ड बॉय था और उमर–मुज़म्मिल का करीबी संपर्क था. यह मॉड्यूल “व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क” का हिस्सा बताया जा रहा है. जांच एजेंसी कई राज्यों में छापेमारी कर पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करने में जुटी है.

कौन है आतंकी उमर को पनाह देने वाला फरीदाबाद का सोयब? Al-Falah University में था वार्ड बॉय, NIA ने किया गिरफ्तार
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 26 Nov 2025 2:12 PM

दिल्ली के लाल किले के बाहर 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने न सिर्फ राजधानी की सुरक्षा व्यवस्थाओं को हिला दिया था, बल्कि एक बड़े “व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क” के खुलासे की नींव भी रखी थी. इसी जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को अब एक और महत्वपूर्ण सुराग मिला है. एनआईए ने फरीदाबाद के धौज से सोयब को गिरफ्तार किया है. सोयब से ही मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी को वारदात से कुछ घंटे पहले पनाह और मदद दी थी.

NIA की जांच अब इस दिशा में तेजी से बढ़ रही है कि आखिर कैसे एक अत्यधिक पढ़ा-लिखा, तकनीकी बैकग्राउंड वाला मॉड्यूल इतनी सहजता से दिल्ली तक विस्फोटक पहुंचा पाया. जांच में सामने आए रिश्तों, यूनिवर्सिटी सर्किल और मेडिकल नेटवर्क के तार यह दिखाते हैं कि यह सिर्फ जंगलों में छिपे आतंकियों का मामला नहीं बल्कि “सिविल सोसाइटी के भीतर छिपी” घातक आतंकी संरचना का संकेत है. सोयब की गिरफ्तारी इसी चेन का एक बड़ा लिंक है.

कौन है सोयब?

फरीदाबाद के धौज का रहने वाला सोयब पेशे से Al-Falah University में वार्ड बॉय था. इसी दौरान उसकी दोस्ती और संपर्क डॉ. उमर उन नबी और मुज़म्मिल से हुआ. NIA की जांच में सामने आया कि सोयब अक्सर मेवात से मरीज लाकर इन दोनों तक पहुँचाता था, जिससे उसका नेटवर्क इन आतंकियों से गहरा होता चला गया. उसके पास सीमित आय और चारदीवारी के भीतर सरल जीवन था, जिससे वह सुरक्षा एजेंसियों की नज़र से बचा रहा लेकिन अंदर ही अंदर वह आतंकी मॉड्यूल का “ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम” बन चुका था.

साली के घर ठहराने का किया था इंतजाम

NIA ने बुधवार को सोयब को गिरफ्तार किया, जो डॉ. उमर को वारदात से ठीक पहले अपनी साली के घर ठहराने, सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराने और उसके मूवमेंट को आसान बनाने का काम कर रहा था. आतंकी दुनिया में ऐसे “पैसिव फूट सोल्जर्स” ही असली ढाल माने जाते हैं, जो कम जोखिम में बड़े ऑपरेशन सफल करवाते हैं.

ब्लास्ट से पहले दिया था ठिकाना

जांच में पता चला कि ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले उमर ने मेवात–नूह बेल्ट में कई अलग-अलग जगहें बदली थीं, जिनमें प्रमुख ठिकाने सोयब ने उपलब्ध कराए. NIA को मिले इलेक्ट्रॉनिक फुटप्रिंट यह साबित करते हैं कि सोयब लगातार उमर के संपर्क में था और उसके हर मूवमेंट को सुविधाजनक बना रहा था.

यूनिवर्सिटी सर्किल में फैला नेटवर्क

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहले ही इस मॉड्यूल को “व्हाइट-कॉलर” करार दिया था, क्योंकि इसके सदस्य डॉक्टर, रिसर्चर, वॉर्ड बॉय और स्टूडेंट थे. Al-Falah University के तीन नाम शहीन सईद, मुज़म्मिल शकील और अदील राठर पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. सोयब इस मॉड्यूल का ग्राउंड-लेवल, लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा था.

मरीजों की आड़ में जारी था आतंकी नेटवर्क

सोयब को देखकर कभी अंदाज़ा नहीं लग सकता कि वह आतंकी मशीनरी का हिस्सा है. जांचकर्ताओं के अनुसार, वह मेवात क्षेत्र से मरीज लाकर नियमित रूप से डॉ. उमर और मुज़म्मिल तक पहुंचाता था. इसी दौरान उसने एक भरोसेमंद “सुविधाकर्ता” (facilitator) की भूमिका अपना ली, जिसे उसने आतंकी गतिविधियों में भी जारी रखा.

दिया था लॉजिस्टिकल सपोर्ट

NIA के अनुसार, सोयब ने न सिर्फ सुरक्षित ठिकाना दिया, बल्कि उमर के लिए आवागमन, शेल्टर, समन्वय और संचार में भी मदद की. बड़े आतंकी ऑपरेशन तभी सफल होते हैं जब “जमीन पर” कोई ऐसा व्यक्ति हो जो बिना शक के काम कर सके सोयब इसी कड़ी का उदाहरण था.

NIA की मल्टी-स्टेट रेड

एजेंसी ने बताया कि ब्लास्ट के बाद से ही कई राज्यों में लगातार छापेमारी की जा रही है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कश्मीर में समन्वित कार्रवाई चल रही है, ताकि इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचा जा सके. NIA ने स्पष्ट किया कि “अटैक सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे सिंडिकेट की योजना थी.”

नेटवर्क का असली रूप आया सामने

ब्लास्ट के दिन ही 2,900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था. जो अपने आप में एक भयावह संकेत है. जांच एजेंसियों के अनुसार, यह कोई “वन-टाइम” ऑपरेशन नहीं, बल्कि लंबी योजना का हिस्सा था. उमर और उसके साथियों की गिरफ़्तारी के साथ यह साफ हो गया कि मॉड्यूल तीन राज्यों में फैला हुआ था.

सातवीं गिरफ्तारी लेकिन जांच यहीं नहीं रुकेगी

सोयब इस केस में गिरफ्तार होने वाला सातवां व्यक्ति है. NIA का कहना है कि अभी कई नाम और संभावित “स्लीपर सपोर्ट” सामने आने बाकी हैं. एजेंसी अब डिजिटल ट्रेल, फोन रिकॉर्ड, ठिकानों और बैंकिंग गतिविधियों की गहन जांच कर रही है. मकसद साफ है- पूरे नेटवर्क को जमीन से उखाड़ फेंकना.

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