बिन दहेज मिला दुल्हा! 1 रुपये का शगुन और हाथी संग बैंड-बाजा-बारात, देखें VIDEO
नारनौल में शुक्रवार की रात एक युवक हाथी और बैंड बाजे के साथ अपनी बारात लेकर लड़की वालों के घर पहुंचा. दूल्हे ने शादी में न कोई दहेज लिया और सिर्फ 1 रुपये का शगुन लेकर अपनी दुल्हन को ले गया. यह शादी पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बन गई है. यह शादी लोगों को दहेज के बिना शादी करने का संदेश दे रही है.

Haryana News: देश भर में इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है. लोग अपनी वेडिंग को अनोखा और यादगार बनाने के लिए कुछ न कुछ अलग करते नजर आते हैं. ऐसा ही कुछ हरियाणा में देखने को मिला. नारनौल में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. यहां एक दुल्हा घोड़ी की जगह हाथी पर बारात लेकर अपनी दुल्हनिया को लेने पहुंचा.
नारनौल में शुक्रवार की रात एक युवक हाथी और बैंड बाजे के साथ अपनी बारात लेकर लड़की वालों के घर पहुंचा. दूल्हे ने शादी में न कोई दहेज लिया और सिर्फ 1 रुपये का शगुन लेकर अपनी दुल्हन को ले गया. यह शादी पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बन गई है.
हाथी पर निकाली बारात
जानकारी के अनुसार राजस्थान के झुंझुनूं निवासी हरीश खन्ना विदेश में नौकरी करते हैं. उनकी अच्छी खासी सैलरी है और आर्थिक स्थिति में मजबूत है. उनकी शादी नारनौल की बेटी नेहा से तय हुई थी. वह कल पूरी शान शौकत के साथ हाथी-घोड़ों को लेकर दुल्हन के घर रवाना हुए. हाथी पर दुल्हे को देखकर हर कोई दंग रह गया. सोशल मीडिया पर बारात का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. रास्ते में लोग अपने घरों से निकले और दुल्हे के साथ सेल्फी लेने लगे.
दुल्हे ने नहीं लिया दहेज
दूल्हे के अपनी शादी में दहेज लेने से बिल्कुल इनकार कर दिया. उनके पिता संजय कुमार ने बताया कि उन्होंने केवल एक रुपये का शगुन लिया है और अपने बेटे की बिना दहेज के शादी की है. यह शादी लोगों को दहेज के बिना शादी करने का संदेश दे रही है. दूल्हे हरीश ने बताया कि वह अपनी खुशियों का भार लड़की के माता-पिता पर नहीं डालना चाहते हैं. यह न तो नैतिक है और न ही व्यावहारिक है. इसलिए मैंने एक रुपये का शगुन लेने का फैसला किया.
समाज में बदलाव की कोशिश
दूल्हे के शादी में दहेज न लेने ने फैसला लिया. इससे समाज में दहेज मैसेज जाएगा शादी के लिए लड़की वालों से दहेज की मांग नहीं करनी चाहिए. इस मामले को लेकर सामाजिक संस्था प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सकारात्मक से भरपूर ऐसी शादियां सामाजिक बदलाव के प्रतीक हैं. लोगों ने अब दहेज की जगह रिश्तों को महत्व देना शुरू कर दिया है.