जामिया मिलिया इस्लामिया में क्यों शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन? हिरासत में लिए गए 10 छात्र
जामिया मिलिया इस्लामिया में दो पीएचडी छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन किया. प्रशासन के अनुरोध पर पुलिस ने 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया. छात्रों पर विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और प्रतिबंधित वस्तुएं रखने के आरोप लगे. प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच गतिरोध जारी है.

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गुरुवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 से अधिक छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. ये छात्र दो पीएचडी शोधार्थियों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई का विरोध कर रहे थे. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उन पर पिछले वर्ष विश्वविद्यालय की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप था.
पुलिस के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुरोध पर सुबह करीब चार बजे इन छात्रों को परिसर से हटा दिया गया. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए परिसर के बाहर भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया है. छात्रों का विरोध प्रदर्शन सोमवार को शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई की निंदा की थी. विशेष रूप से यह प्रदर्शन दिसंबर 2024 के 'जामिया प्रतिरोध दिवस' कार्यक्रम से संबंधित था, जो 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध प्रदर्शनों की सालगिरह को चिह्नित करता है.
संपत्तियों को पहुंचाया नुकसान
विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने केंद्रीय कैंटीन सहित संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय का गेट तोड़ दिया. इसके अलावा, छात्रों पर 'आपत्तिजनक प्रतिबंधित वस्तुएं' ले जाने के भी आरोप लगे. प्रशासन का कहना है कि छात्रों की शिकायतों पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित की गई थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय अधिकारियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया.
25 फरवरी को होगी अनुशासन समिति की बैठक
दिल्ली पुलिस के अनुसार, विश्वविद्यालय ने आगे किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध किया था. हिरासत में लिए गए छात्रों को हटा दिया गया है और मामले की जांच जारी है. इस मामले में अनुशासन समिति 25 फरवरी को बैठक करेगी, जिसमें 'जामिया प्रतिरोध दिवस' के आयोजन में दो पीएचडी छात्रों की भूमिका की समीक्षा की जाएगी.
छात्रों की क्या है चार मांगें?
वहीं, छात्र नेताओं की चार प्रमुख मांगें हैं- दो पीएचडी छात्रों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस को रद्द किया जाए, विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने वाले 2022 के आदेश को वापस लिया जाए, पोस्टरों के लिए लगाए गए जुर्माने को खत्म किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हो.