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AAP की उम्‍मीदों पर फिरेगी झाड़ू या जारी रहेगा BJP का सूखा, दिल्ली चुनाव में दोनों पार्टियों का क्‍या-क्‍या दांव पर?

दिल्ली चुनाव बीजेपी और आप दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. एक ओर आप के लिए यह सत्ता बचाने और अपनी लोक-लुभावन योजनाओं को सही साबित करने की परीक्षा है, वहीं बीजेपी के लिए यह अपनी दिल्ली में वापसी और मोदी लहर की मजबूती का सवाल है. इस चुनाव का असर न केवल दिल्ली, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा.

AAP की उम्‍मीदों पर फिरेगी झाड़ू या जारी रहेगा BJP का सूखा, दिल्ली चुनाव में दोनों पार्टियों का क्‍या-क्‍या दांव पर?
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 6 Feb 2025 2:42 PM IST

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान हो चुके हैं. 8 फरवरी को रिजल्ट आएंगे और इसी के साथ स्पष्ट हो जायेगा कि इस बार दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या बीजेपी लगभग 28 साल बाद नए सिरे से सत्ता संभालेगी. इस बार के एग्जिट पोल के नतीजे ने सबको चौंका दिया है. 10 में से 8 ने बीजेपी की सरकार बनाई है. वहीं, 2 ने फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की बात कही है.

अब इस चुनाव में बीजेपी और आदमी पार्टी के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है. इस बार अगर बीजेपी को जीत मिलती है तो इसका क्रेडिट पीएम मोदी को दिया जाएगा. क्योंकि केंद्र में तीन बार से बीजेपी की सरकार है. यह जीत पीएम मोदी की सत्ता के लिए फायदेमंद साबित होगी. वहीं, आम आदमी पार्टी की जीत होती है तो वह चौथी बार सरकार बनाएगी और बीजेपी के दिल्ली फतह की उम्म्मीदों पर पानी फेरेगा.

आप के लिए दांव पर क्या है?

सत्ता बचाने की चुनौती: आप ने पिछले दो विधानसभा चुनावों (2015 और 2020) में प्रचंड जीत दर्ज की थी. 2015 में 70 में से 67 और 2020 में 62 सीटें जीतकर उसने दिल्ली में अपनी मजबूत पकड़ दिखाई. यह चुनाव उसके लिए सत्ता बचाने की लड़ाई है. अगर आप जीतती है, तो अरविंद केजरीवाल को एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में देखा जाएगा. अगर आप दिल्ली में मजबूत रहती है, तो राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी गठबंधन में उसकी स्थिति मजबूत होगी.

मुफ्त योजनाओं की परीक्षा: दिल्ली में आप की सरकार ने कई लोक-लुभावन योजनाएं चलाई हैं, जैसे बिजली-पानी मुफ्त, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, सरकारी स्कूलों और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार साथ ही कई और जन सरोकार की योजना चलाई है. अगर आप यह चुनाव हारती है, तो इन योजनाओं को लेकर जनता की नाराजगी मानी जाएगी.

भ्रष्टाचार के आरोपों से उबरने की कोशिश: हाल ही में दिल्ली शराब नीति घोटाले और अन्य आरोपों के कारण पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है. केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेताओं पर कानूनी शिकंजा कसने से आप को राजनीतिक झटका लगा है. यह चुनाव साबित करेगा कि जनता इन मुद्दों पर पार्टी के साथ है या नहीं.

राष्ट्रीय विस्तार की महत्वाकांक्षा: पंजाब में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी देश के अन्य राज्यों में भी विस्तार की योजना बना रही है. अगर वे दिल्ली में जीतते हैं, तो इससे उनके राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने की संभावना मजबूत होगी. हारने की स्थिति में उनकी राष्ट्रीय राजनीति में पकड़ कमजोर हो सकती है.

बीजेपी के लिए दांव पर क्या है?

दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का मौका: बीजेपी पिछले 27 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. अगर वह यह चुनाव जीतती है, तो वह लंबे समय बाद दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब होगी. पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत है. पार्टी यह चुनाव मोदी की गारंटी और केंद्र सरकार की नीतियों पर लड़ रही है. अगर बीजेपी हारती है, तो इसे मोदी ब्रांड की कमजोरी के रूप में देखा जा सकता है.

केजरीवाल मॉडल को चुनौती: बीजेपी शुरू से ही आप की मुफ्त योजनाओं को 'रेवड़ी कल्चर' बताकर आलोचना करती रही है. लेकिन इस बार पार्टी ने खुद भी लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं, जैसे- झुग्गीवासियों को पक्के घर देने का वादा, गरीबों और महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता योजनाएं, छोटे व्यापारियों और मध्य वर्ग के लिए राहत पैकेज.

हिंदुत्व और राम मंदिर फैक्टर: बीजेपी दिल्ली चुनावों में हिंदुत्व को भी एक प्रमुख मुद्दा बना रही है. दिल्ली में हिंदू वोटरों का बड़ा हिस्सा होने के कारण पार्टी को इससे फायदा मिलने की उम्मीद है. इसके साथ ही पार्टी ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' और रोहिंग्या के मुद्दे को भी बढ़िया से उठाया है.

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