दिल्ली में बढ़ता जा रहा आवारा कुत्तों का आतंक, रेबीज से बच्ची की मौत पर SC ने लिया स्वत: संज्ञान
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्ते के काटने से 6 साल की बच्ची मामले पर चिंता जताई. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया जिससे आगे की उचित कार्रवाई की जा सके. आदेश सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया जा रहा है और इसे एक जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया जाए.

Supreme Court: राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. कभी पार्क में तो कभी सड़क पर ये छोटे-छोटे बच्चों और बड़ों पर भी हमला कर रहे हैं. हाल ही में एक 6 साल की बच्ची की कुत्ते के काटने से हुई मौत. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 28 जुलाई को सुनवाई की.
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने एक अखबार में छपी खबर के आधार पर इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया. अदालत ने कहा कि यह एक बेहद चिंताजनक और परेशान करने वाली स्थिति है, जहां आवारा कुत्तों के काटने के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, खासकर बड़े शहरों और उनके आसपास के इलाकों में.
कोर्ट ने की सुनवाई
आवारा कुत्ते के काटने से कई मामलों में बच्चों और बुजुर्गों को जानलेवा रेबीज संक्रमण हो गया है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया जिससे आगे की उचित कार्रवाई की जा सके.
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने आदेश सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया जा रहा है और इसे एक जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया जाए. दरअसल दिल्ली के पूठ कलां क्षेत्र की 6 साल की बच्ची छवि शर्मा से जुड़ा यह मामला है. 30 जून को एक आवारा कुत्ते ने उसे काट लिया था. इलाज के बावजूद बच्ची को रेबीज हो गया और 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई. इससे सामने आया कि समय पर टीका या इलाज न मिलने पर कुत्ते के काटने की घटना कितनी जानलेवा साबित हो सकती है.
आवारा कुत्तों को खुले में खाना खिलाना खतरा
इससे पहले 15 जुलाई को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की बेंच ने टिप्पणी की थी कि आवारा कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाना जोखिम भरा है. अगर लोग उन्हें खाना खिलाना चाहते हैं तो वे यह काम अपने घरों में करें.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता रीमा शाह के वकील से पूछा- क्या आप सुबह साइकिल चलाने जाते हैं? एक दिन जाइए, पता चलेगा. यह टिप्पणी उन लोगों के लिए थी जो सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाते हैं, जिससे साइकिल चालकों, बाइक सवारों और मॉर्निंग वॉक करने वालों को अक्सर खतरे का सामना करना पड़ता है.
क्या है मामला?
रीमा शाह ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने 3 मार्च 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए हुए फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में जन सुरक्षा और पशु प्रेमियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की थी. रीमा शाह ने अपने तर्क में दिल्ली हाईकोर्ट के 2021 के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें आरडब्ल्यूए और नगर निगमों को निर्देश दिया गया था कि वे कुत्तों को खिलाने के लिए निर्धारित स्थान तय करें ताकि विवाद और खतरे की स्थिति से बचा जा सके.