राहुल गांधी अचानक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन क्यों पहुंच गए? कुलियों ने खोला राज
कांग्रेस सा्ंसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल ने 1 मार्च को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कुलियों को पूरे देश की ओर से धन्यवाद किया, क्योंकि हादसे के समय कुली भाइयों ने इंसानियत दिखाते हुए जिस तरह लोगों की मदद की, वह बेहद सराहनीय था. राहुल ने कहा कि उम्मीद है कि सरकार ऐसे हादसों से सबक लेगी, ताकि आगे कभी ऐसी घटनाएं न हों.

Rahul Gandhi Met With Porters: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे. यहां उन्होंने कुलियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं के बारे में जाना. वे यहां करीब आधे घंटे तक रहे. वहीं, राहुल को अपने बीच पाकर कुलियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने कहा कि हमें उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, ''अक्सर सबसे अंधकार भरे समय में ही इंसानियत की रोशनी सबसे ज्यादा चमकती है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के दौरान कुली भाइयों ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए कई यात्रियों की जान बचाई थी. इसके लिए मैंने आज देशवासियों की तरफ से उनका धन्यवाद किया.''
'ऐसे हादसों से सीख लेना ज़रूरी है'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसे हादसों से सीख लेना ज़रूरी है. भीड़ नियंत्रण, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और आपातकालीन व्यवस्थाओं को मजबूत करके इन्हें रोका जा सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी, ताकि हर वर्ग के यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकें.
'हमें खुशी है कि वह यहां आए'
एक कुली बताया कि राहुल गांधी यहां 40 मिनट तक रुके. हमने उन्हें ग्रुप डी और मेडिकल सुविधाओं समेत अपनी सारी मांगें बताईं. हमें खुशी है कि वह यहां आए. हमने अपनी समस्याओं के बारे में उन्हें जानकारी दी.
'उन्होंने हमारी सभी समस्याएं सुनीं'
एक अन्य कुली ने कहा कि हमें खुशी है कि राहुल गांधी हमसे मिलने आए. उन्होंने हमारी सभी समस्याएं सुनीं और हमें उम्मीद है कि वे उनका समाधान करेंगे. वे यहां करीब 40 मिनट तक रुके और हमारी बातें सुनीं.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना कैसे हुई?
बता दें कि 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए. यह हादसा उस समय हुआ, जब हजारों यात्री प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों को पकड़ने के लिए स्टेशन पर उमड़ पड़े थे. घटना की जांच के लिए गठित समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर यात्रियों की भारी भीड़ थी. ये सभी प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. उसी समय, प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर दरभंगा जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में सवार होने के लिए भी बड़ी संख्या में यात्री जमा थे. इन दोनों प्लेटफार्मों पर भीड़ बढ़ती जा रही थी.
रेलवे अधिकारी प्रयागराज के लिए हर घंटे लगभग 1,500 जनरल टिकट जारी कर रहे थे, जिससे प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर अधिक यात्री इकट्ठा हो रहे थे. भीड़ की बढ़ती संख्या को देखते हुए, रात करीब 10 बजे रेलवे अधिकारियों ने प्लेटफॉर्म नंबर 16 से प्रयागराज के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की. यह घोषणा सुनकर प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़े यात्री फुट ओवरब्रिज पार करके प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर दौड़ पड़े, जिससे भगदड़ मच गई.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका
इस हादसे के बाद आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की. इस याचिका में दावा किया गया कि रेलवे प्रशासन मौतों की सही संख्या छुपा रहा है और वास्तविक आंकड़ा लगभग 200 मौतों का है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 200 लोगों की मौत के दावे का सबूत मांगा और कहा कि प्रभावित लोगों को अदालत का रुख करने दें. बाद में, शीर्ष अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया.