Delhi Police Commissioner: दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पर IPS संजय अरोड़ा को सेवा-विस्तार नहीं तो नया कौन? INSIDE STORY
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा 31 जुलाई 2025 को रिटायर हो रहे हैं, जिसके बाद अगला पुलिस प्रमुख कौन होगा, इस पर अटकलें तेज़ हैं. चर्चा है कि उन्हें सेवा-विस्तार मिल सकता है या तिहाड़ डीजी सतीश गोलचा को कार्यभार दिया जा सकता है. अग्मूटी कैडर के कई अधिकारी जैसे प्रवीर रंजन, नुजहत हसन, एसबीके सिंह रेस में हैं, पर सरकार बाहरी कैडर को प्राथमिकता देती आई है. आखिर फैसला केंद्र सरकार को करना है कि दिल्ली पुलिस का अगला ‘बॉस’ कौन होगा.

तमिलनाडू कैडर 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 (गुरुवार Delhi Police Commissioner IPS Sanjay Arora Retirement) को पूरा हो रहा है. वह अगस्त 2022 से दिल्ली पुलिस कमिश्नर (Delhi Police Commissioner) की कुर्सी पर बैठे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि संजय अरोरा के बाद दिल्ली पुलिस का अगला ‘बॉस’ यानी पुलिस कमिश्नर कौन बनेगा? इस एक सवाल की ‘तह-तक’ में पहुंचने के लिए कई उन अन्य संभावित नामों पर भी चर्चा करना जरूरी है, जो अग्मूटी कैडर के आईपीएस हैं. जिन्होंने आईपीएस (IPS) बनने के बाद से अब तक की अपनी पूरी नौकरी ही इसी उम्मीद में कर डाली कि, एक न एक दिन वह भी जरूर दिल्ली पुलिस का ‘बॉस’ बन ही जाएंगे. ऐसा मगर बीते कुछ साल से दिल्ली में हो नहीं पा रहा है.
क्योंकि साल 2020 के बाद से जब-जब दिल्ली में अग्मूटी कैडर के आईपीएस का पुलिस कमिश्नर बनने का नंबर आने वाला होता है. तब-तब हुकूमत किसी न किसी बाहरी कैडर के आईपीएस को दिल्ली पुलिस आयुक्त की कुर्सी पर लाकर जबरिया ही ‘सजा-संवार’ कर बैठा दे रही है. हालांकि, इस अवधि में अग्मूटी कैडर के आईपीएस और अब रिटायर्ड पुलिस आयुक्त सच्चिदानंद श्रीवास्तव भाग्यशाली रहे. क्योंकि उनके बाद से ही दिल्ली को अग्मूटी कैडर का पुलिस कमिश्नर नही दिया जा रहा है.
जितने मुंह उतनी बातें
फिलहाल 30 जुलाई 2025 को शाम तक भी दिल्ली पुलिस में हर जुबान पर सवाल यही है कि, दिल्ली पुलिस का अगला बॉस कौन? इसे लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं. एक से सुनकर दूसरा और दूसरा फिर तीसरे को हवा में बातें आगे बढ़ा दे रहा है. पुष्ट रूप से इन खाली-ठाली बैठे “पंचायतियों” को भले ही मालूम कुछ न हो कि, केंद्र की हुकूमत आखिर वास्तव में दिल्ली का पुलिस आयुक्त बना किसको रही है?
संजय अरोड़ा क्या PMO पहुंचे?
चर्चाओं के मुताबिक, बुधवार को देर शाम दिल्ली के मौजूद पुलिस आयुक्त संजय अरोरा को पीएमओ बुलाया गया था. हालांकि इसकी पुष्टि स्टेट मिरर हिंदी नहीं करता है. संजय अरोड़ा को पीएमओ बुलाए जाने की खबर में अगर दम है तो फिर, सवाल यह पैदा होना लाजिमी है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि हुकूमत संजय अरोड़ा को ही तीन या छह महीने का सेवा-विस्तार दे रही है? अगर ऐसा है तो फिर सवाल यह पैदा होता है कि जब संजय अरोड़ा को सेवा-विस्तार मिलना ही है तब फिर ऐसे में उन्हें रिटायरमेंट (31 जुलाई 2025 गुरुवार) से ठीक एक शाम पहले यानी 30 जुलाई 2025 (बुधवार) को प्रधानमंत्री कार्यालय किसने और क्यों बुलाया? सेवा-विस्तार की आधिकारिक सूचना तो संजय अरोरा को अन्य तमाम संचार माध्यमों से भी दी जा सकती थी.
डीजी तिहाड़ सतीश गोलचा इसलिए चर्चा में
बुधवार 30 जुलाई 2025 को शाम होते-होते दिल्ली पुलिस मुख्यालय और केंद्रीय गृह-मंत्रालय के आसपास इस तरह की चर्चाओं का बाजार भी गरम होने लगा कि, संजय अरोरा 31 जुलाई को ही पुलिस आयुक्त पद से रिटायर किए जा रहे हैं. उनकी जगह 1992 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश गोलचा (DG Tihar Jail IPS Satish Golcha) जोकि इन दिनों तिहाड़ जेल के महानिदेशक हैं, उनको संजय अरोरा के रिटायरमेंट से खाली हुई कुर्सी का अतिरिक्त प्रभार दिया जा रहा है. स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने जब इन कथित दावों की पुष्टि के लिए जब संबंधित कुछ आईपीएस अफसरों को खंगाला तो, यह चर्चा भी हाल-फिलहाल निर्मूल सी ही साबित होती दिखाई पड़ने लगी.
एक IPS के वश की नहीं तिहाड़-दिल्ली पुलिस
कहा गया कि, तिहाड़ जेल और दिल्ली पुलिस को एक साथ एक ही पुलिस आईपीएस अफसर से संभलना आसान नहीं है. यह वैसा ही साबित होगा जैसे शेर के मुंह में बकरी और हिरन दोनो को रख दिया, यह देखने की उम्मीद में कि देखें शेर किसे खाएगा और किसे जिंदा छोड़ देगा? क्योंकि दिल्ली पुलिस और तिहाड़ जेल दोनो ही सुरक्षा-कानून व्यवस्था के लिहाज से संभालना अपने आप में एक से बढ़कर एक चुनौती हैं. तिहाड़ जेल हो या फिर दिल्ली की कानून-व्यवस्था संभालना. दोनो ही काम गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं है कि, जब चाहो खेल लो जब चाहो किसी खिलौने की मानिंद तोड़ कर फेंक दो.
सतीश गोलचा गले में खुद घंटी क्यों बांधेंगे?
दिल्ली पुलिस हो या फिर तिहाड़ जेल की व्यवस्था. एक बार अगर फेल हुईं तो संभालना मुश्किल हो जाएंगी. वैसे तो हुकूमत की नौकरी में उसका हुकूम बजाना ही हर ब्यूरोक्रेट का पहला अनुशासन होता है. हुकूमत जो कहेगी सतीश गोलचा हों या फिर कोई और आईपीएस. उसे हुकूमत का हुकूम न चाहते हुए भी बजाना पड़ेगा. जितना मैं सतीश गोलचा को बीते करीब 28 साल से जानता हूं, तो मुझे नहीं लगता कि जिस तरह की पैनी नजर की मजबूत ‘पुलिसिंग’ वे अब तक के अपने पुलिस-सेवा के अतीत में करते रहे हैं, उसके मुताबिक अब वे तिहाड़ जेल के डीजी और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार एक साथ संभालने के लिए खुशी-खुशी राजी होंगे. मगर फिर वही अगर केंद्रीय हुकूमत ने उन्हें तदर्थ रूप से दिल्ली पुलिस कमिश्नर का प्रभार भी सौंपा तो, फिर किसी आईपीएस की भला इतनी मजाल कहां जो वह, हुकूमत के हुकूम को बजाने से इनकार करके अपने गले में खुद ही घंटी बांध ले.
संजय अरोड़ा, सतीश गोलचा नहीं तो कौन?
ऐसे में हुकूमत संजय अरोरा को ही दो चार छह महीने का सेवा-विस्तार दे देती है. तब तो समझिए हाल-फिलहाल दिल्ली पुलिस कमिश्नर के सिंहासन पर किसी अन्य को सजा-संवार कर बैठाने का रगड़ा ही खतम. आगे की आगे देखी जाएगी. एक तलाशा जाएगा दस आईपीएस दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने के लिए लार टपकाते मिल जाएंगे. हां, अगर संजय अरोरा को सेवा-विस्तार नहीं मिलता है. और डीजी तिहाड़ जेल सतीश गोलचा को भी अतिरिक्त प्रभार दिल्ली पुलिस कमिश्नर का नहीं दिया जाता है. तब ऐसे में क्या होगा? यह सवाल भी सौ टके का है.
ऐसे में अग्मूटी कैडर के आईपीएस के कुछ संभावित नामों का भी यहां उल्लेख तो किया ही जा सकता है. वह भी तब जब देश की हुकूमत बीते दो चार साल से जिस तरह अग्मूटी कैडर के आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली पुलिस का बॉस न बनाने की जिद छोड़े तब. क्योंकि अमूल्य पटनायक के बड़ी ही बेइज्जती से दिल्ली पुलिस से ही विदाई के बाद, जिन अग्मूटी कैडर के आईपीएस एस एन श्रीवास्तव को दिल्ली का कमिश्नर बनाया गया था. वह भी बिचार पुलिस कमिश्नरी के अपने पूरे कार्यकाल में ‘नियमित’ (रेगुलर स्थाई) पुलिस आयुक्त की चिट्ठी देखने को तरसा दिए गए थे. जब उनके रिटायरमेंट का वक्त करीब आया तभी उन्हें दिल्ली पुलिस आयुक्त पद की पक्की चिट्ठी देकर महकमे से रिटायर किया गया. एस एन श्रीवास्तव (IPS SN Shrivastav) की दिल्ली पुलिस कमिश्नरी जैसे-तैसे हुई पूरी हो ही गई.
आईपीएस बालाजी श्रीवास्तव की क्या कही जाए?
एस एन श्रीवास्तव से गई-गुजरी हालत बिचारे आईपीएस बालाजी श्रीवास्तव की हो गई. क्योंकि एस एन श्रीवास्तव के बाद 1988 बैच के जिन बालाजी श्रीवास्तव (IPS Balaji Srivastava AGMUT Cader) को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया. वह बिचारी ब-मुश्किल एक महीने भी दिल्ली पुलिस कमिश्नरी का स्वाद पूरी तरह नहीं चख सके. जुलाई 2021 में उन्हें पुलिस कमिश्नर का अस्थाई प्रभार दिया गया और उसी महीने उनसे वह कार्यभार ले लिया गया. बालाजी श्रीवास्तव से कार्यभार लेकर सौंपा गया, सीबीआई में खूब उठा-पटक मचवा कर दिल्ली पुलिस में लाए गए, गुजरात कैडर 1984 बैच के आईपीएस राकेश अस्थाना (IPS Rakesh Asthana) को.
सीबीआई के चर्चिच राकेश अस्थाना
राकेश अस्थाना के रिटायरमेंट से ऐन पहले भी खूब शोर-शराबा मचा कि, दिल्ली पुलिस में अपनी हाई-प्रोफाइल जान-पहचान के चलते दिल्ली पुलिस कमिश्नर बने राकेश अस्थाना को ही हुकूमत सेवा-विस्तार देगी. ऐसे में तब भी अग्मूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी मुंह पर लगाम कसकर खामोश होकर बैठ गए. हालांकि राकेश अस्थाना को सेवा-विस्तार देने की बात छोड़िए, उन्हें जिस तरह अचानक दिल्ली पुलिस का कार्यकाल पूरा होते ही दिल्ली पुलिस से रिटायर होना पड़ा, उसने न केवल जमाने को अपितु खुद राकेश अस्थाना को भी चक्कर में डाल दिया. मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पर देश की हुकूमत उसी को सजा-संवार कर बैठायेगी जो हुकूमत के काम का होगा. फिर चाहे वह आईपीएस अग्मूटी कैडर का हो किसी अन्य राज्य कैडर का आईपीएस. इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. इसका सबसे बड़ा नमूना कहिए या ताजा उदाहरण तमिलनाडू कैडर के आईपीएस संजय अरोरा ही हैं. जिनके बारे में किसी ने साल 2022 में दूर दूर तक नहीं सोची थी कि, वह भी दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बन सकते थे, मगर हुकूमत ने चाहा तो वह दिल्ली के पुलिस आयुक्त बने.
इन IPS अफसरों पर भी नजर डाल लें
चलिए इस तमाम उठा-पटक के बीच एक नजर डालते हैं उन आईपीएस अधिकारियों पर, जो हाल-फिलहाल दिल्ली पुलिस कमिश्नर की रेस में दौड़ रहे हैं. मसलन प्रवीर रंजन, नुजहत हसन, शशि भूषण कुमार सिंह (एसबीके सिंह), वीरेंद्र सिंह चहल (सभी अग्मूटी कैडर), 1991 बैच असम कैडर के आईपीएस जी पी सिंह (ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह) जोकि मौजूदा वक्त में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के महानिदेशक हैं और, असम राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक, हरियाणा कैडर 1990 बैच के शत्रुजीत कपूर (हरियाणा के मौजूदा पुलिस महानिदेशक) आदि-आदि. अब इनमें से दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर कौन, क्यों, कैसे लाकर बैठा दिया जाएगा? इन सवालों के जवाब हुकूमत के पास और भविष्य के गर्भ में ही है.