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दिल्ली में हाई सियासी पारा! बगावत का दौर हुआ शुरू, विधानसभा चुनाव में कितना होगा असर?

दिल्ली सियासत में रविवार को जो दो बड़े बदलाव हुए हैं, वे राजनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं. पहला बदलाव पर्यटन मंत्री कैलाश गहलोत का इस्तीफा है. गहलोत ने आम आदमी पार्टी (आप) छोड़ते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

दिल्ली में हाई सियासी पारा! बगावत का दौर हुआ शुरू, विधानसभा चुनाव में कितना होगा असर?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 17 Nov 2024 4:11 PM IST

दिल्ली सियासत में रविवार को जो दो बड़े बदलाव हुए हैं, वे राजनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं. पहला बदलाव पर्यटन मंत्री कैलाश गहलोत का इस्तीफा है. गहलोत ने आम आदमी पार्टी (आप) छोड़ते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यह पार्टी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि गहलोत ने सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके इस्तीफे से दिल्ली की राजनीति में नए सवाल उठ सकते हैं,

वहीं, दूसरा बदलाव भाजपा नेता अनिल झा के आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने से जुड़ा है. झा पहले किराड़ी विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक रह चुके थे, और अब उन्होंने आप में शामिल होकर पार्टी के साथ अपने राजनीतिक भविष्य को जोड़ा है. यह भाजपा के लिए एक नुकसान और आप के लिए एक लाभ का संकेत हो सकता है, क्योंकि ऐसे नेताओं के पार्टी में शामिल होने से स्थानीय स्तर पर असर पड़ता है.



अनिल झा का आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होना, खासकर उनके द्वारा अरविंद केजरीवाल की तारीफ करते हुए पूर्वांचली समुदाय के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख करना, दिल्ली की सियासत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है. झा ने जो बयान दिया, उससे यह स्पष्ट होता है कि वह केजरीवाल के नेतृत्व से प्रभावित हैं, विशेष रूप से पूर्वांचली समुदाय के लिए उनकी सरकार द्वारा किए गए कामों को लेकर. उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 10 वर्षों में हर घर में पीने का पानी पहुंचा है", यह एक प्रमुख उपलब्धि है, जो उनके लिए बड़ी बात है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पहले बुनियादी सुविधाओं का अभाव था.

अनिल झा ने केजरीवाल की तारीफ की

अरविंद केजरीवाल ने भी झा का पार्टी में स्वागत करते हुए उनकी नेतृत्व क्षमता को सराहा और कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने सालों तक पूर्वांचली समुदाय की समस्याओं को नजरअंदाज किया. केजरीवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान इन कॉलोनियों में विकास कार्य शुरू किए, जो उस समुदाय के लिए एक बड़ा कदम था. उनके नेतृत्व में, आप ने दिल्ली के उन इलाकों में बेहतर बुनियादी ढांचे की दिशा में काम किया, जो पहले उपेक्षित थे.

पूर्वांचली समुदाय, जो पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, 2015 में आप की तरफ मुड़ा था. इस समुदाय के 13 नेता उस चुनाव में जीते थे, जिससे आप की दिल्ली में मजबूत पकड़ बन गई थी. अब अनिल झा के शामिल होने से, पार्टी इस समुदाय में अपनी स्थिति और मजबूत करने के प्रयास में एक और कदम आगे बढ़ा रही है. यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आप के लिए एक बड़ा लाभ साबित हो सकता है, क्योंकि पूर्वांचली समुदाय के मतदाताओं का समर्थन पार्टी के लिए अहम होगा.

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