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Gen-Z Consenting Adults... शादी का वादा देकर मेरे साथ संबंध बनाना था, कोर्ट ने यह कहकर दे दी जमानत

दिल्ली कोर्ट ने शादी का झांसा देकर संबंध बनाने के आरोपी युवक को जमानत दी. कोर्ट ने कहा कि दोनों "Gen-Z consenting adults" हैं, जिन्होंने साढ़े तीन साल तक सहमति से संबंध बनाए.

Gen-Z Consenting Adults... शादी का वादा देकर मेरे साथ संबंध बनाना था, कोर्ट ने यह कहकर दे दी जमानत
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 20 Sept 2025 10:57 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने उस व्यक्ति को जमानत दे दी है, जिस पर शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने साफ कहा कि यह मामला 'Gen-Z consenting adults' का है, जहां दोनों पक्ष लगभग साढ़े तीन साल तक मर्जी से संबंध में रहे. अदालत ने माना कि इतने लंबे समय तक जारी रहे रिश्ते में दबाव, बल या धोखे का कोई तत्व नहीं दिखता.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरगुरवरिंदर सिंह जग्गी ने यह आदेश 19 सितंबर को सुनाया. अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों ही बराबरी से एक-दूसरे के साथ संबंध में थे और उनका रिश्ता तब बिगड़ा जब विवाह के समय धर्म परिवर्तन का मुद्दा सामने आया.

मामला और आरोप

आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 के तहत मामला दर्ज किया गया था. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दिसंबर 2021 से आरोपी ने महिला के साथ होटल कमरों में बार-बार शारीरिक संबंध बनाए और शादी का झूठा वादा कर उसे धोखा दिया.

अदालत की टिप्पणी

अदालत ने कहा कि 'यह किसी का भी मामला नहीं है कि शिकायतकर्ता और आरोपी सिर्फ़ situationship में थे. दोनों ही Gen-Z के वयस्क थे, जिन्होंने साढ़े तीन साल तक चले अपने रिश्ते के दौरान आपसी सहमति से सक्रिय शारीरिक संबंध बनाए.' अदालत ने स्पष्ट किया कि इतने लंबे समय तक चले इस रिश्ते में सहमति बनी रही और शिकायतकर्ता ने झगड़ों के बावजूद आरोपी से मिलना-जुलना, साथ रहना, घूमना और होटल जाना जारी रखा.

धर्म परिवर्तन बना टकराव का कारण

अदालत ने कहा कि दोनों के बीच धर्म परिवर्तन का मुद्दा ही विवाद की जड़ रहा. शिकायतकर्ता ने आरोपी से कहा था कि यदि शादी करनी है तो उसे इस्लाम अपनाना होगा. अदालत ने टिप्पणी की कि दोनों को पहले से ही धर्मों के बीच विवाह की बाधाओं का पता था और यह रिश्ते के अंत का मुख्य कारण बना.

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

अदालत ने 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि लंबे समय तक सहमति से चले रिश्ते में बाद में शादी का वादा पूरा न करना बलात्कार नहीं माना जा सकता, जब तक कि शुरुआत से ही वादा झूठा न हो. जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की चिंताएं, जैसे सबूतों से छेड़छाड़ या फरार होने का खतरा, सख्त जमानत शर्तों के जरिए दूर की जा सकती हैं.

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