दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को SC से मिली कस्टडी पैरोल, चुनाव में कर सकेंगे प्रचार, क्या है शर्तें और नियम?
दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को SC से कस्टडी पैरोल मिल गयी है. वह दिल्ली चुनाव में प्रचार कर सकेंगे. ताहिर हुसैन ने प्रचार के लिए कस्टडी पैरोल की मांग की, क्योंकि उनके पास 4-5 दिन ही हैं. दिल्ली पुलिस ने विरोध करते हुए कहा कि उनका घर दंगों का केंद्र रहा था और वहां से बम चलाए गए थे.

दिल्ली दंगे के आरोपी और एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से कस्टडी पैरोल मिल मिल गई है. वह दिल्ली चुनाव में 29 जनवरी से 3 फरवरी तक प्रचार कर सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हुसैन अपने हिरासत पैरोल के लिए सभी खर्च वहन करेंगे, जिसमें उनके साथ तैनात किए जाने वाले दिल्ली पुलिस अधिकारी, जेल वैन और एस्कॉर्ट खर्च भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 12 घंटे का खर्च यानी करीब 2 लाख जमा करने पर हुसैन को जेल मैनुअल के मुताबिक जेल से रिहा कर दिया जाएगा. जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. इससे पहले, इस मामले की सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच- जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के बीच मतभेद हो गया था, जिसके कारण यह मामला तीन जजों की बेंच को सौंपा गया था.
घर नहीं जाएंगे, होटल में ही रहेंगे
सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने अदालत में कहा कि उन्होंने प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन अब 4-5 दिन ही शेष हैं. ऐसे में उन्होंने कस्टडी पैरोल की मांग की है ताकि हिरासत में रहते हुए मतदाताओं से जुड़ सकें. उन्होंने कहा कि वह घर नहीं जाएंगे, होटल में रहेंगे और प्रचार के लिए अनुमति चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मिल भी जाए, तो अन्य मामलों में वे कैसे बाहर आएंगे?
दिल्ली पुलिस ने किया विरोध
दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन की कस्टडी पैरोल की मांग का विरोध करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत मिलने पर भी वे बाहर नहीं आ पाएंगे. पुलिस ने यह भी तर्क दिया कि उनके घर को दंगों का केंद्र बताया गया था और वहां से बम चलाए गए थे. पुलिस ने अदालत को याद दिलाया कि दिल्ली दंगों के दौरान 56 लोगों की मौत हुई, जिसमें एक आईबी अधिकारी भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से कहा कि ताहिर हुसैन लंबे समय से सार्वजनिक सेवा में हैं और यह चुनाव लड़ने का उनका नया कदम नहीं है.
क्या होती है कस्टडी पैरोल?
कस्टडी पैरोल एक विशेष प्रकार की पैरोल होती है, जो किसी आरोपी या दोषी को जेल से बाहर अस्थायी रूप से रखने की अनुमति देती है, लेकिन उसे पुलिस की कस्टडी में रखा जाता है. यह आमतौर पर उन मामलों में दी जाती है, जहां आरोपी को किसी विशेष कारण (जैसे, चुनाव प्रचार, परिवारिक स्थिति, या स्वास्थ्य संबंधी कारण) के लिए अस्थायी छूट की जरूरत होती है. कस्टडी पैरोल में आरोपी को जेल से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है, लेकिन उसे पुलिस की निगरानी में रहना पड़ता है. इसमें आरोपियों को पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जाता, बल्कि उन्हें अपने निर्दिष्ट स्थानों पर रहकर, पुलिस से संपर्क में रहना होता है. यह पैरोल किसी अदालत के आदेश के तहत दी जाती है और इसकी अवधि सीमित होती है.