दिल्ली सरकार ने जारी की नई न्यूनतम मजदूरी पॉलिसी, देश में सबसे अधिक मेहनताना का दावा
Delhi New Minimum Wage Policy: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने न्यूनतम मजदूरी में बड़ी वृद्धि की घोषणा की है. इसके जरिए दिल्ली में काम कर रहे श्रमिकों की मजदूरी में बढ़ोत्तरी की गई है. यह घोषणा अगले साल की शुरूआत में होने वाली दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की गई है.

Delhi New Minimum Wage Policy: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने श्रमिकों को एक नया तोहफा दिया है. आप सरकार ने नई न्यूनतम मजदूरी पॉलिसी की घोषणा की है, जिसके तहत मजदूरों की मासिक वेतन बढ़ाई गई है. इस बढ़ोत्तरी में हर अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग सैलरी तय की गई है. आतिशी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली 'आप' सरकार को भारत में सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी लागू करने का क्रेडिट दिया है.
प्रेस बयान में कहा गया कि जो मजदूर ट्रेंड नहीं हैं, उनके लिए मासिक सैलरी 18,000 रुपये रहेगी. जबकि सेमी-ट्रेंड मजदूरों के लिए मासिक सैलरी 21,000 रुपये तय की गई है. वहीं जो बिल्कुल ट्रेंड मजदूर हैं, उनके लिए मासिक सैलरी 21,917 रुपये तय की गई है. नई दर के बारे में बात करते हुए मुकेश अहलावत ने कहा कि यह देश में सबसे अधिक न्यूनतम मजदूरी है. बैठक में गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और कैलाश गहलोत सहित प्रमुख मंत्रियों के साथ-साथ 26 विभागों के प्रमुख भी शामिल हुए.
आतिशी बीजेपी को मजदूर विरोधी बताया
सीएम आतिशी ने कहा कि सरकार ने श्रमिकों को सम्मानजनक जीवन स्तर प्रदान करने का संकल्प लिया है.उन्होंने कहा, 'दिल्ली सरकार में न्यूनतम मजदूरी सबसे अधिक है. केजरीवाल सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि लोग सम्मान के साथ जिएं.' उन्होंने अपने भाषण में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर हमला करते हुए, उसे गरीब विरोधी, मजदूर विरोधी और किसान विरोधी करार दिया.
आतिशी ने आगे कहा कि केजरीवाल सरकार ने न केवल अदालती फैसलों के माध्यम से न्यूनतम मजदूरी के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया बल्कि भाजपा के विरोध के बावजूद सालाना दो बार इसमें संशोधन भी अनिवार्य कर दिया. उन्होंने ये भी दावा किया कि भाजपा शासित राज्यों में न्यूनतम मजदूरी शायद दिल्ली में दी जा रही मजदूरी की आधी है.
क्या है न्यूनतम मजदूरी?
न्यूनतम मजदूरी श्रमिकों को दी जाने वाली वह राशि है जो किसी देश या राज्य में सरकार द्वारा कानूनी तौर पर तय की जाती है. न्यूनतम मजदूरी का उद्देश्य श्रमिकों को बहुत कम वेतन मिलने से बचाना है और इससे गरीबी और असमानता को कम करने में भी मदद मिल सकती है. भारत का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन प्रतिदिन 178 रुपये या मासिक 5,340 रुपये है.