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16 साल की बाली उमर और हर रात 10 मर्द...घर में बताती थी जा रही कॉल सेंटर- पढ़ें दिल्ली की इस लड़की की हैरान कर देने वाली Story

लोग समझते थे वो कॉल सेंटर में काम करती है. उसकी चुप्पी को उसके पिता ने कभी तोड़ा नहीं. शायद इसलिए भी क्योंकि पिता खुद शराब के नशे में टूट चुके थे और बेटी की खामोशी में उन्हें कोई खतरा नहीं दिखा. लेकिन असलियत कुछ और थी। ये कॉल सेंटर नहीं था...ये हर रात 5 से 10 दरिंदों की भूख का अड्डा था और वो? बस एक 'सामान'.

16 साल की बाली उमर और हर रात 10 मर्द...घर में बताती थी जा रही कॉल सेंटर- पढ़ें दिल्ली की इस लड़की की हैरान कर देने वाली Story
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 6 Aug 2025 4:43 PM IST

हर रोज़ शाम पांच बजे वो चुपचाप घर से निकलती. आंखों में थकान नहीं, बल्कि डर होता था. पीठ पर एक छोटा सा बैग, जिसमें सिर्फ कुछ कपड़े और दवाइयों की स्ट्रिप्स होती थीं. दर्द निवारक, एंटीबायोटिक और कभी-कभी नींद की गोलियां भी. लोग समझते थे वो कॉल सेंटर में काम करती है. उसकी चुप्पी को उसके पिता ने कभी तोड़ा नहीं. शायद इसलिए भी क्योंकि पिता खुद शराब के नशे में टूट चुके थे और बेटी की खामोशी में उन्हें कोई खतरा नहीं दिखा. लेकिन असलियत कुछ और थी. ये कॉल सेंटर नहीं था...ये हर रात 5 से 10 दरिंदों की भूख का अड्डा था और वो? बस एक 'सामान'.

उसकी उम्र सिर्फ 16 साल थी, लेकिन वो हर रात 40 साल के थके हुए मर्दों के जिस्म का बोझ उठाती थी. उसकी आंखों में सपने नहीं, सवाल थे. 'मैं यहां कैसे पहुंची?' दिल्ली के एक छोटे से कमरे में, जहां हर सुबह दर्द शुरू होता और हर रात डर के साथ खत्म होती थी, एक लड़की एक साल से गुम थी...और किसी को पता तक नहीं था.

जिस बाप ने कभी उसे स्कूल भेजा था, अब शराब के नशे में धुत रहता था. मां बहुत पहले इस दुनिया से जा चुकी थी. और वो? वो रात में निकलती थी ये कहकर कि कॉल सेंटर में काम करती है… लेकिन असलियत कुछ और थी. एक ऐसी सच्चाई जिसे वो खुद भी ज़बान पर लाते हुए कांपती थी.

'भाईया' जिसने करोड़ों के वादे किए, और...

उसने बताया कि सब कुछ एक 'दोस्त' से शुरू हुआ. वही दोस्त जिसने कहा था, 'तेरे पैसे की दिक्कतें खत्म हो जाएंगी. उसने मुझे एक भाईया से मिलवाया, जिसने कहा बहुत पैसे मिलेंगे. मैं नहीं समझ पाई कि मैं कहां जा रही हूं,' लड़की ने बताया. जिस दिन वो पहली बार गई, उसी दिन समझ आ गया कि अब लौटना मुश्किल है. लेकिन जब मना किया, तो जवाब में मिली धमकी. 'तेरे वीडियो बना लिए हैं. अगर निकली तो सब वायरल कर देंगे.

हर रात पांच से दस ग्राहक, और बदले में बस एक झूठी मुस्कान

हर शाम 5 बजे वो घर से निकलती और सुबह 5 बजे तक लौटती. उस बीच, 5 से 10 लोग उसकी देह को खरीदते और अपनी भूख मिटाकर चले जाते. दर्द होता तो पेनकिलर मिलती, जलन होती तो एंटीबायोटिक, लेकिन छुट्टी? वो शब्द उसकी ज़िंदगी से मिट चुका था. जब दर्द से रोती थी, तो दवाई देकर फिर से भेज देते थे. कभी-कभी बस 500 रुपये पकड़ाते थे... और वो भी किसी एहसान की तरह.

ग्राहक बने पुलिस, एक महीने की तैयारी और फिर रेड

सीनियर डायरेक्टर मनीष शर्मा ने बताया कि 'इस रैकेट का पर्दाफाश ऐसे ही नहीं हुआ. एक एनजीओ Association for Voluntary Action की टीम ने ग्राहक बनकर इस रैकेट के मुख्य आरोपी तक पहुंच बनाई. हमें एक महीने लग गया उसकी भरोसेमंदी जीतने में. कई बार एडवांस पेमेंट भेजना पड़ा, लोकेशन बदली गई. आखिरकार उसने हमें द्वारका बुलाया.'

जैसे ही लोकेशन कन्फर्म हुई, टीम ने DCP अंकित कुमार सिंह को सूचना दी और रेड की तैयारी शुरू हुई. लेकिन रेड से कुछ घंटे पहले आरोपी ने पता बदल दिया और लोकेशन मोहन गार्डन कर दी. जब पुलिस टीम उस फ्लैट तक पहुंची, तो नज़ारा रूह कंपा देने वाला था. ज़मीन पर बिखरी शराब की खाली बोतलें, टेबल पर पड़ी एंटीबायोटिक और पेनकिलर, और एक कोने में बैठी वो लड़की, जो किसी को देख नहीं रही थी. बस दीवार को घूर रही थी. कोविड के बाद से घरों और मसाज पार्लरों के जरिए देह व्यापार बढ़ गया है.

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