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अननेचुरल सेक्स से हुई पत्नी की मौत, हाई कोर्ट ने कहा- अपराध नहीं

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. इसके बाद महिला की हालत खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी मौत हो गई. इस मामले में आरोपी पति को कोर्ट ने जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद व्यक्ति का पत्नी की सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं.

अननेचुरल सेक्स से हुई पत्नी की मौत, हाई कोर्ट ने कहा- अपराध नहीं
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 12 Feb 2025 2:15 PM IST

Chhattisgarh HC On Unnatural Sex: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है. कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद व्यक्ति का पत्नी की सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं. इस दौरान कोर्ट मृतक महिला के पति को जमानत दे दी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है जिसकी पत्नी की अननेचुरल सेक्स के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी. भारत में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता है. हाई कोर्ट के अनुसार, अप्राकृतिक यौन संबंध भी दंड के दायरे से बाहर हैं.

क्या है मामला?

आरोप है कि 11.12.2017 की रात को एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। घटना के बाद महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. बाद में महिला की मौत हो गई. मरने से पहले दिए गए बयान में उसने कहा कि उसके पति ने उसके साथ जबरदस्ती सेक्स किया. बाद में डॉक्टरों ने पता चला कि महिला की मौत पेरिटोनिटिस और मलाशय में छेद की वजह से हुई.

मामले पर कोर्ट का फैसला

कोर्ट ने कहा, "इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया कोई भी यौन संबंध बलात्कार नहीं कहा जा सकता. इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनता है."

बता दें कि केंद्र का कहना है कि विवाह संस्था की सुरक्षा जरूरी है और वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए इस मामले पर फैसला लेना अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भी कहा कि संसद ने विवाहित महिला की सहमति की रक्षा के लिए कई उपाय किए हैं.

पति को निचली अदालत द्वारा 10 वर्ष के कारावास की सजा दी गई थी, तथा उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. कोर्ट में कहा गया कि आईपीसी की धारा 375 की परिभाषा के अनुसार, अपराधी को पुरुष के रूप में वर्गीकृत किया गया है. अगर इस केस में अपील करने वाला एक पति है और पीड़िता एक महिला होकर एक पत्नी है. इसलिए घटना को अपराध नहीं माना गया.

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