छत्तीसगढ़ री- एजेंट घोटाले की एक के बाद एक खुल रही परतें, Porsche से लेकर Mercedes तक लग्जरी गाड़िया जब्त
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित री-एजेंट प्रोक्योरमेंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है. रायपुर जोनल ऑफिस की इस छापेमारी में मोक्शित कॉरपोरेशन से जुड़ी दो लग्जरी गाड़ियां Porsche Cayenne Coupe और Mercedes-Benz—जब्त की गईं. कंपनी को शशांक चोपड़ा और उनके पिता शांतिलाल चोपड़ा संचालित करते हैं. जांच में सामने आया है कि मेडिकल उपकरणों और री-एजेंट्स की खरीद फर्जी टेंडर प्रक्रिया और बढ़े हुए दामों पर की गई.
ईडी ने यह कार्रवाई एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW), रायपुर की दर्ज एफआईआर के आधार पर की. इस घोटाले में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) और डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DHS) के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भी मिलीभगत के आरोप हैं. जांच एजेंसी का दावा है कि आरोपियों ने फर्जी मांग और झूठे बिल बनाकर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया और राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया.
कैसे हुआ घोटाला?
जांच में सामने आया है कि मोक्षित कॉरपोरेशन के निदेशक शशांक चोपड़ा और कुछ अफसरों ने मिलकर टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की. आरोपियों पर सस्ते री-एजेंट्स और मेडिकल इक्विपमेंट्स को फर्जी बिलिंग के जरिए कई गुना महंगे दामों पर खरीदने का आरोप है. ₹8.50 कीमत के री-एजेंट को ₹2,352 में खरीदा दिखाया गया.
₹5 लाख की मशीन को ₹17 लाख में खरीदा गया.
इस तरह झूठी मांग और ओवरप्राइसिंग के जरिए सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ और इस रकम से महंगी संपत्तियां और लग्जरी गाड़ियां खरीदी गईं. इससे पहले 30 जुलाई 2025 को भी ईडी ने इसी केस में छापेमारी कर करीब ₹40 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त और फ्रीज़ की थी. उस वक्त मोक्षित कॉरपोरेशन से जुड़ी Mini Cooper और Toyota Fortuner जैसी लग्जरी गाड़ियां जब्त की गई थीं. अब तक की कार्रवाई में ईडी ने बैंक खाते, एफडी, डिमैट शेयर और अन्य मूल्यवान दस्तावेजों समेत कुल ₹310 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की है. इनमें से ₹289 करोड़ की रकम बैंक सहयोग समूह को वापस भी की जा चुकी है.
ईडी ने दिया संकेत और भी बड़े नाम आएंगे सामने
ईडी सूत्रों का कहना है कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और आने वाले समय में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं. इस घोटाले में नीतिगत स्तर पर जुड़े अधिकारियों, सहकर्मी कंपनियों और अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है. ईडी का मकसद है कि मेडिकल प्रोक्योरमेंट की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए ताकि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोका जा सके.





