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कैसे तुलसी गांव यूट्यूब की राजधानी कहलाने वाला गांव बना, बच्चा और बुजुर्ग भी है डिजिटल क्रिएटर

छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव जहां छोटे बच्चे से लेकर बड़ा बुजुर्ग भी डिजिटल क्रिएटर है. इस गांव की आबादी कुल 4 हजार लोगों की है. उसमें से 1 हजार व्यक्ति डिजिटली ग्रो होने की चाह रखता है. ऐसे में इसकी शुरुआत कैसे हुई, गांव को कैसे इसके लिए मोटिवेट किया गया आइए जानते हैं.

कैसे तुलसी गांव यूट्यूब की राजधानी कहलाने वाला गांव बना, बच्चा और बुजुर्ग भी है डिजिटल क्रिएटर
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( Image Source:  Representative Image/ Freepik )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 19 Feb 2025 3:32 PM

आज भी भारत में कई ऐसी जगह हैं जहां लोगों के घरों तक न तो टीवी है, न ही बिजली पहुंच पाई है. लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं, जो डिजिटली काफी आगे बढ़ चुके हैं. इस कारण उनकी चर्चा दूरो-दूर तक होती है. हम जिस चर्चित गांव की बात आपसे कर रहे हैं, वो छत्तिसगढ़ में ही स्थित है. बात हो रही है तुलसी गांव की यहां लोगों की आबादी सिर्फ 4 हजार है. लेकिन इस आबादी में हजार लोग ऐसे हैं, जो डिजीटली खुद भी आगे बढ़ रहे हैं और अपने गांव का नम रोशन कर रहे हैं.

जैसा की बताया कि इस गांव के एक हजार लोग यूट्यूब पर हैं. नजारा ऐसा कि यहां रहने वाला 5 साल से लेकर 85 साल तक के व्यक्ति का अकाउंट आपको यूट्यूब पर मिल ही जाएगा. गली और खेतों में लोग वीडियो शूट करते नजर आ ही जाएंगे. लेकिन इसकी पहल आखिर हुई कैसे? कैसे आखिर सभी लोग यूट्यूब पर वीडियो बनाने को तैयार हो गए. आइए जानते हैं.

2016 में ऐसे हुई शुरुआत

इस गांव में डिजीटली ग्रो होने की शुरुआत 2016 से दो युवकों द्वारा जय और ज्ञानेंद्र द्वारा की गई. जय और ज्ञानेंद्र दोनों दोस्त थे. साल 2016 में इन्होंने यूट्यूब की शुरुआत की थी. इनमें जय पेशे से एक टीचर हैं जो 11 से लेकर बीएससी तक के बच्चों को ट्यूशन दिया करते थे. क्योंकी शुरुआत से ही उनकी रुचि फिल्म और एक्टिंग में रही तो इस प्लेटफॉर्म ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचा. दोनों ने मिलकर कॉमेडी वीडियो बनाने शुरू कर दिए.

दोनों का सपना था कि कुछ अलग और सबसे हटके करके दिखाना है. उनके इस उत्साह ने यहां तक पहुंचाया. लेकिन इस दौरान कई मुश्किलों का भी उन्हें सामना करना पड़ा. कई वीडियो अपलोड किए गए जिन्हें कॉपीराइट इश्यू के कारण हटा लिया गया. क्योंकी दोनों में से टेक्नीकल नॉलेज काफी कम थी. लेकिन वो हारे नहीं और सभी मुश्किलों को पार कर आगे बढ़ते रहे.

गांव वालों को मिली प्रेरणा

इतनी मुश्किलों के बाद भी ये लोग यहं नहीं रुके. जिसका नतीजा उन्हें ऊंचाई छूने का मौका मिला. साल 2018 में दोनों दोस्तों ने मिलकर एक चैनल लॉन्च किया जिसका नाम था छत्तिसगढ़िया. हालांकि इसे एक छोटे और एक्सपेरिमेंट के रूप में चलाया गया था. बहुत जल्द इस चैनल पर हजारों में सब्सक्राइबर्स आ गए. उनकी इस सक्सेस ने गांव के बाकी लोगों को भी प्रोत्साहित किया. इस तरह ये गांव डिजीटल क्रिएटर्स का एक केंद्र बन गया. आज, यहां की गलियों से बिना फिल्म क्रू के गुजरना मुश्किल है, जो डांस परफॉर्मेंस से लेकर कॉमेडी स्किट और DIY वीडियो तक सब कुछ शूट करते हैं.

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