छत्तीसगढ़ की बदल रही तस्वीर, नक्सल प्रभावित इस गांव में पहली बार हर घर में नल से पहुंच रहा पानी
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव जो नक्सल प्रभावित था. आज इस गांव का नक्शा बदल रहा है. जहां गांव में पिछले साल तक न सड़क जाती थी, न ही बिजली कनेक्शन था. आज उस गांव में नल से पानी पहुंच रहा है.

छत्तीसगढ़ के कई इलाके आज भी माओवादी प्रभावित हैं. इसके कारण ज्यादातर लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इतना ही नहीं, इस वजह से कई इलाकों का विकास भी नहीं होता है, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. जहां छत्तीसगढ़ के एक दूर-दराज के गांव छुटवाही में 120 घरों में नल से पानी मिल रहा है.
इस गांव की सरपंच कुसुम अवलम ने बताया कि इस कदम से लोगों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि पहले गांव में सिर्फ सात हैंडपंप थे. छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने नियाद नेल्लनार योजना शुरू की थी, जिसके तहत गांव में नल के पानी के कनेक्शन लाए गए. इस स्कीम के नाम का मतलब 'आपका अच्छा गांव' है.
न थी सड़क न ही बिजली कनेक्शन
यह गांव बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. पिछले साल जब तक इस इलाके में पुलिस कैंप बना था, तब तक गांव जाने के लिए सड़क से बहुत दूर था. इतना ही नहीं, पिछले साल नवंबर तक गांव में बिजली का कनेक्शन नहीं था.
खर्च हुए 37.93 लाख रुपये
हर घर नल से जल के लिए वाटर टैंक बनाए गए. साथ ही, 6,576 मीटर पाइप बिछाई गई, जिससे 120 घरों को नल कनेक्शन दिया गया. इस पूरे काम में 37.93 लाख रुपये खर्च हुए. इस पर बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि ' 10 महीने के भीतर हमने जल जीवन मिशन (JJM) योजना को लागू किया है और हर घर में नल का पानी पहुंचाया है, जो हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है.'
बीजापुर के बारे में
बीजापुर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सबसे अधिक माओवाद प्रभावित जिला है. छत्तीसगढ़ में माओवादियों की अधिकांश गिरफ़्तारियां और सरेंडर से लेकर माओवाद से जुड़ी हिंसा बीजापुर में होती है. यह जिला 6562.48 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और जिले के सौ से ज़्यादा गांवों में अभी भी बिजली की कनेक्टिविटी नहीं है. जल जीवन मिशन डैशबोर्ड के अनुसार, बीजापुर के 565 गांवों में से केवल 72 ने हर घर में नल का पानी मिलने की सूचना दी है.