अंधी मछलियों की रहस्यमयी गुफा: छत्तीसगढ़ के अनोखे टूरिस्ट स्पॉट की खोज, गूंजती हैं अजीब आवाजें
छत्तीसगढ़ के कुटुमसर में करोड़ों साल पुरानी एक गुफा. जिसकी खोज लगभग 1900 के सन में आदिवासियों के द्वारा की गई थी. इस गुफा को देखने का उत्साह लोगों में बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए यहां इस गुफा को काफी लंबे समय के बाद टूरिस्ट के लिए 16 नवंबर से खोल दिया गया है.
सर्दियों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. ऐसे में अगर आप इस सर्दियों को और भी यादगार बनाना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके काफी काम आने वाली है. दरअसल छत्तीसगढ़ की एक कुटुमसर गुफा आपके लिए घूमने के लिए बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकती है. इस गुफा में आपको शानदार अनुभव मिलने वाला है.
दरअसल यहां आपको कई ऐसी चीजें देखने मिल जाएंगी. जिसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे. वहीं यह जगह टूरिस्ट के बीच आकर्षण का केंद्र बन रही है. ऐसा इसलिए क्योंकी यहां ऐसी मछलियां पाई जाती हैं. जिसके बारे में शायद आपने पहले कभी न सुना हो.
गुफा में पाई जाती हैं अंधी मच्छलियां
दरअसल इस गुफा में अंधी मच्छलियां पाई जाती हैं. यह गुफा के अंदर ही रहती है उस दौरान मछलियों की ऐसी आवाज गूंजती है जो आपके घूमने के अनुभव को और भी शानदार बनाती है. आपको बता दें कि यह गुफा कई करोड़ों साल पुरानी है. लेकिन यहां की प्राकृतिक चीजें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं.
दरअसल इस गुफा को लेकर लंबे समय के बाद विवाद के बाद एक बार फिर से खोला गया है. 16 नवंबर से गुफा में पर्यटक घूमने पहुंच सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बारिश और विवाद के कारण इसे एक महीने की देरी के बाद खोला गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक एक हफ्ते में एक हजार से भी ज्यादा टूरिस्ट इस गुफा में पहुंच चुके हैं.
कैसे हुई गुफा की खोज
जैसा की बताया कि कुटुमसर गुफा करोड़ों साल पुरानी है. इसकी खोज लगभग 1900 के आसपास आदिवासियों द्वारा की गई थी. इस गुफा की गहराई 40 फीट है, और 330 मीटर चौड़ी और 4500 मीटर लंबी है. यहां तक पहुंचने के लिए आपको जगदलपुर से 40 किलोमीटर का सफर तय करके कांगेर वैली नेशनल पार्क पहुंचना होगा. जहां ये गुफा मौजूद है.
मच्छलियों के अंधे होने का कारण?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यहां कई तरह की चीजों को देखकर लोग दंग रह जाते हैं. गुफा में घुसने के बाद लोगों को यहां ऐसी मछलियां देखने को मिलती हैं जो अंधी है. ऐसा इसलिए उनकी आखों में सफेद रंग की परत होती है. मच्छलियों को ना दिखने का कारण गुफा के अंदर होने वाला घना अंधेरा है. गुफा में बिल्कुल भी रोशनी नहीं आती. इस कारण मच्छलियों की आखों पर असर पड़ा, और समय रहते हुए आखों के आगे एक सफेद परत बनती गई.





