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शिक्षा के साथ खिलवाड़ : कबाड़ी में बेची गईं किताबें, पाठ्यपुस्तक निगम डिपो का प्रभारी सस्पेंड

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में बेची जा रही थीं. इस पर ज़िला शिक्षा अधिकारी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सूरजपुर पाठ्यपुस्तक निगम डिपो के प्रभारी और दो चपरासियों को सस्पेंड कर दिया है.

शिक्षा के साथ खिलवाड़ : कबाड़ी में बेची गईं किताबें, पाठ्यपुस्तक निगम डिपो का प्रभारी सस्पेंड
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Photo Credit- Internet

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में बेची जा रही थीं. इस पर ज़िला शिक्षा अधिकारी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सूरजपुर पाठ्यपुस्तक निगम डिपो के प्रभारी और दो चपरासियों को सस्पेंड कर दिया है. यह कार्रवाई 2023-24 और 2024-25 की किताबों को कबाड़ में बेचने के मामले में की गई है, और अभी इस मामले की जांच जारी है.

हाल ही में सिलियारी स्थित पेपर मिल में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में बेचे जाने की जानकारी मिली. एक बिल भी मिला है, जिससे पता चला कि ये किताबें शशिकांत ट्रेडर्स सूरजपुर के द्वारा बेची गई थीं. इसके बाद सूरजपुर कलेक्टर ने SDM को जांच का जिम्मा सौंपा.

सस्पेंशन की कार्रवाई

जांच में यह सामने आया कि गणित, विज्ञान, नैतिक शिक्षा, और होमवर्क की कॉपियों समेत किताबें कबाड़ी में बेची गई थीं, जिनका वजन लगभग 4000 किलो था. SDM की रिपोर्ट के आधार पर ज़िला शिक्षा अधिकारी ने तुरंत डिपो प्रभारी और दो चपरासियों को सस्पेंड कर दिया. अब इस मामले में और भी जांच चल रही है.

DEO ने की निलंबन की कार्रवाई

SDM की ओर से जानकारी मिलने के बाद DEO सूरजपुर बुक डिपो पहुंचें और मामले में प्रभारी और चपरासी से पूछताछ की. लेकिन पूछताछ के दौरान उन्हेंने घुमा फिराकर जवाब दिया. मामले पर उचित जवाब न मिलने पर SDM ने कलेक्टर से जांच रिपोर्ट की मांग की है. अब इस मामले में डिपो प्रभारी अमर बेल एक्का, चपरासी अजीत कुमार गुप्ता और जितेंद्र कुमार साहू को निलंबित कर दिया गया है. बता दें कि इस मामले की जानकारी डीपीआई रायपुर को दे दी गई है.

कलेक्टर ने बनाई कमेटी

ज़िला शिक्षा अधिकारी ललित पटेल ने बताया कि कलेक्टर ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक कमेटी बनाई है. इस कमेटी का नेतृत्व संयुक्त कलेक्टर करेंगे और यह जांच करेंगी कि कब से किताबें बेची जा रही थीं, कौन सी किताबें और कितनी मात्रा में बेची गईं, और इसमें कौन लोग शामिल थे. यह मामला शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है, और इस पर पूरी गंभीरता से काम किया जाएगा.

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