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'आलसी लोगों की नहीं करते मदद', नौकरी लेने गए बेटे को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फटकारा

छत्तीसढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर सुनवाई की. कोर्ट ने फैसले में कहा कि अपने अधिकार के लिए प्रत्येक नागरिक को सजग रहना जरूरी है. आगे कहा गया कि कोर्ट लापरवाह और आलसी लोगों की मदद नहीं करता और यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जह विभाग ने आवेदन खारिज किया, तब वे हाईकोर्ट पहुंच गए.

आलसी लोगों की नहीं करते मदद, नौकरी लेने गए बेटे को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फटकारा
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Chhattisgarh High Court: देश भर में किसी भी सरकारी दफ्तर में काम रहे कर्मचारी किसी मृत्यु होने पर सरकार की ओर से उसके परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है. साथ ही मृतक कर्मचारी की जगह परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाती है. ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मृतक के बेटे को फटकार लगाई.

छत्तीगसढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर सुनवाई की. कोर्ट ने फैसले में कहा कि अपने अधिकार के लिए प्रत्येक नागरिक को सजग रहना जरूरी है. आगे कहा गया कि कोर्ट लापरवाह और आलसी लोगों की मदद नहीं करता और यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

कोर्ट ने खारिज की याचिका

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता की जब मृत्यु हुई तब ताम्रध्वज यादव के तीन और भाई हैं, जो मजदूरी करते हैं और पिता की मौत के सम. तीनों ही वयस्क थे. पिता की जगह नौकरी के लिए तीनों में से कोई भी आवेदन कर सकता था लेकिन उन्होंने नहीं किया. मृतक के मृत्यु के ढाई साल बाद उन्हें आवेदन करने का ध्यान आया. कोर्ट ने कहा कि जह विभाग ने आवेदन खारिज किया, तब वे हाईकोर्ट पहुंच गए.

कोर्ट ने की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा कि देरी से की गई कार्रवाई से जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है. बिना किसी कारण के अपनी सुविधानुसार कोर्ट में याचिका दायर करने का नुकसान संबंधित व्यक्ति तो ही भुगतना पड़ेगा. इसलिए समय पर कामकाज करने की आदत डालनी चाहिए.

SC के फैसले का हवाला

सुनाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए पेश आवेदन और याचिका दोनों उचित नहीं है. कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया. जिसमें देरी के चलते याचिका को खारिज कर दिया गया था. तब याचिकाकर्ता ने पिता की मौत के 2 साल बाद 8 महीने बाद जल संसाधन विभाग में नौकरी के लिए आवेदन पेश किया था.

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने अधिकारी के प्रति जागरूक होना चाहिए. इस मामले में लापरवाही के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा है. बता दें कि ताम्रध्वज यादव के पिता पुनारान यादव जल संसाधन विभाग दुर्ग में वाटरमैन के पद पर कार्यरत थे और 14 फरवरी 2005 को ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.

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