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कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर! प्रियंका और PK की दो घंटे सीक्रेट मीटिंग से अफवाहों का बजार गर्म

दिल्ली में प्रियंका गांधी वाड्रा और प्रशांत किशोर के बीच हुई करीब दो घंटे की कथित सीक्रेट मीटिंग ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. इस मुलाकात के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या प्रशांत किशोर एक बार फिर कांग्रेस के करीब आ सकते हैं. हालांकि दोनों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. सूत्रों के मुताबिक बिहार चुनाव में करारी हार के बाद विपक्षी रणनीति पर मंथन चल रहा है, जिसके चलते इस बैठक को अहम माना जा रहा है.

कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर! प्रियंका और PK की दो घंटे सीक्रेट मीटिंग से अफवाहों का बजार गर्म
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( Image Source:  @news_sprite- X )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 15 Dec 2025 7:58 PM

दिल्ली के 10 जनपथ स्थित सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) के बीच हुई कथित मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है. NDTV में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह मुलाकात पिछले हफ्ते हुई, ठीक उस वक्त जब बिहार चुनाव में कांग्रेस और जन सुराज- दोनों को ही करारी हार का सामना करना पड़ा.

बीजेपी और जेडीयू के सामने चुनावी मैदान में पिछड़ने के बाद यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब विपक्ष अपनी रणनीति पर फिर से सोचने को मजबूर है. यही वजह है कि इस मुलाकात को कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच रिश्तों के संभावित री-सेट के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि दोनों पक्ष फिलहाल सार्वजनिक तौर पर चुप्पी साधे हुए हैं.

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मुलाकात पर चुप्पी, लेकिन बयान चर्चा में

जब प्रियंका गांधी वाड्रा से इस मुलाकात के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'किसी को इस बात में दिलचस्पी नहीं होनी चाहिए कि मैं किससे मिलती हूं… या किससे नहीं मिलती. वहीं प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेता से किसी भी तरह की मुलाकात से साफ इनकार कर दिया. इसके बावजूद, मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि “possibilities” मौजूद हैं- खासकर तब, जब दोनों ही पक्ष बिहार चुनाव में बुरी तरह असफल रहे हों.

बिहार चुनाव की हार बनी बड़ी वजह?

सूत्रों के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 6 सीटें हासिल कीं- जो पिछली बार से 13 कम थीं. इस दोहरी हार ने विपक्षी खेमे में आत्ममंथन को तेज कर दिया है.

प्रशांत किशोर और कांग्रेस का रिश्ता नया नहीं है!

2017 में पंजाब में PK की रणनीति ने अमरिंदर सिंह को बीजेपी–अकाली दल के खिलाफ शानदार जीत दिलाई. लेकिन उसी साल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस–सपा गठबंधन को करारी हार मिली. इस हार के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने PK पर ज़रूरत से ज़्यादा दखल देने के आरोप लगाए. बाद में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ काम करने के अनुभव को “bad” बताया और पार्टी की संगठनात्मक संस्कृति और निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाए.

2021: कांग्रेस में शामिल होने से पहले टूटी बात

चार साल बाद, 2021 में उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के करीब पहुंच गए थे. इस दौरान उनकी सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी से कई दौर की बातचीत हुई. सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी PK को वह “free hand” देना चाहती थीं, जिसकी वह मांग कर रहे थे, ताकि कांग्रेस की चुनावी रणनीति को पूरी तरह बदला जा सके. लेकिन पार्टी का ओल्ड गार्ड और खासतौर पर राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं थे.

'Truth Bombs' और बढ़ती दूरी

इसी दौर में प्रशांत किशोर के कुछ बयानों ने कांग्रेस नेतृत्व को असहज कर दिया. अक्टूबर 2021 में उन्होंने कहा था कि, जब एक बार आपको 30 फीसदी वोट मिल जाते हैं… तो आप जल्दी कहीं जाने वाले नहीं होते. उनका इशारा साफ थाबीजेपी आने वाले कई सालों तक भारतीय राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी. यह बयान कांग्रेस के भीतर कई नेताओं को चुभ गया. अप्रैल 2022 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस से पूरी तरह दूरी बना ली. उन्होंने कहा कि 'मेरी विनम्र राय में, मुझसे ज़्यादा ज़रूरी है कि पार्टी के पास ऐसा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति हो, जो गहरी जड़ें जमा चुकी संरचनात्मक समस्याओं को परिवर्तनकारी सुधारों के जरिए ठीक कर सके.'

इसके बाद जन सुराज पार्टी का जन्म हुआ, जिसका मकसद बिहार में नई राजनीति की शुरुआत करना था. जहां जाति के बजाय रोजगार और विकास जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा जाए. नवंबर में PK ने दावा किया था कि उनकी पार्टी ने बिहार में राजनीतिक विमर्श को जाति से हटाकर रोजगार पर केंद्रित किया. लेकिन चुनावी नतीजों ने उनकी रणनीति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. सिर्फ जन सुराज ही नहीं, बल्कि कांग्रेस और आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन भी 2020 के प्रदर्शन को दोहरा नहीं सका.

2026–27 की तैयारी और 2029 का बड़ा लक्ष्य

सूत्रों का कहना है कि लगातार हार ने कांग्रेस और प्रशांत किशोर- दोनों को अपने रिश्तों पर फिर से सोचने को मजबूर किया है. खासकर तब, जब 2026 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और असम, 2027 में उत्तर प्रदेश. और सबसे बड़ा लक्ष्य 2029 लोकसभा चुनाव सामने है, जहां बीजेपी ऐतिहासिक चौथी जीत की कोशिश करेगी. यही वजह है कि प्रियंका गांधी–प्रशांत किशोर की यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बातचीत नहीं, बल्कि आने वाले सियासी समीकरणों का संकेत मानी जा रही है.

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