Bihar Chunav 2025: सीएम की रेस में चल रहे युवा नेता इस बार दिखा पाएंगे दम? जानें किसकी क्या है खासियत
बिहार चुनाव नजदीक आते ही इस बात की चर्चा फिर जोर पकड़ने लगी है कि इस बार भी सीएम नीतीश कुमार ही बनेंगे या किसी और को मौका मिलेगा? आखिर नीतीश कुमार कब तक सीएम पद पर रहेंगे? अगर चुनाव परिणाम सामने आने के बाद सीएम बदलने की स्थितियां बनी तो क्या प्रदेश को युवा सीएम मिलेगा? ऐसा हुआ तो कौन होगा युवा सीएम?

दूसरी तरफ चिराग पासवान इस बार भी खुलकर सामने आ गए हैं, लेकिन पांच साल पहले की तरह वो नीतीश कुमार को हटाने के लिए बयान नहीं दे रहे हैं, पर अपने हर भाषण में वो अप्रत्यक्ष रूप से बदलाव की मांग करते नजर आ रहे हैं.
जहां तक बात महागठबंधन की है तो विपक्षी दलों के बीच लगभग यह आम राय है कि तेजस्वी यादव सीएम फेस हैं. अगर एनडीए में चुनाव बाद सीएम बदलने की संभावना बनी तो बीजेपी की ओर से सम्राट चौधरी सीएम पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं. हालांकि, जेडीयू के कई नेता यह कह रहे हैं कि क्यों न नीतीश कुमार की जगह उनके बेटे निशांत कुमार के बना दिया जाए. वह शिक्षित भी हैं और वह अपने पिता के अनुभवों का भी लाभ उठा सकते हैं. कुल मिलाकर बतौर युवा सीएम सम्राट चौधरी, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, प्रशांत किशोर और निशांत कुमार का नाम चर्चा हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि किसकी क्या खासियत है?
ओबीसी नेता सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार के डिप्टी सीएम हैं. वे बिहार की राजनीति में पिछड़े वर्गों खासकर कोयरी (कुशवाहा) समुदाय के प्रमुख नेता माने जाते हैं. सम्राट चौधरी पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता रहे स्वर्गीय शकुनी चौधरी के पुत्र हैं. उन्होंने विभिन्न दलों आरजेडी, जेडीयू और अब बीजेपी में रहकर सक्रिय राजनीति कर रहे हैं.
बिहार विधान परिषद के सदस्य सम्राट चौधरी को संगठन और प्रभावी रणनीतिकार में माहिर माना जाता है. साल 2023 में उन्हें बीजेपी की कमान मिली. तब से वे नीतीश कुमार सरकार और महागठबंधन पर तीखे हमलों और आक्रामक बयानों के लिए लगातार सुर्खियों में हैं. वे भाजपा की सामाजिक समीकरण साधने वाली रणनीति का अहम चेहरा बनकर उभरे हैं. अगर बीजेपी की ओर से सीएम बनने की स्थिति में वो सबसे प्रबल दावेदारों में से एक होंगे.
महागठबंधन सीएम फेस तेजस्वी यादव
राष्ट्रीय जनता दल में लालू यादव के बाद तेजस्वी यादव दूसरे सबसे बड़े नेता हैं. वह पार्टी और महागठबंधन की ओर से सीएम फेस भी हैं. वह पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के पुत्र भी हैं. बतौर क्रिकेटर करियर की शुरुआत करने वाले तेजस्वी यादव ने दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से आईपीएल खेला, लेकिन जल्द ही राजनीति में कदम रखा. साल 2015 में वे बिहार के उपमुख्यमंत्री बने और राज्य की राजनीति में युवा चेहरा और जातीय समीकरणों के संतुलन के रूप में उभरकर सामने आए.
उन्होंने पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को अपनी राजनीति का मुख्य मुद्दा बनाया है. तेजस्वी यादव अपने आक्रामक और भड़काऊ भाषण के लिए जाने जाते हैं. वह बीजेपी-जेडीयू गठबंधन पर तीखे हमलों का कोई मौका नहीं गंवाते. साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन का नेतृत्व करते हुए आरजेडी को सबसे बड़ी पार्टी बनाया. युवा मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी है. वह खुद को सामाजिक न्याय की राजनीति के उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित करने में लगे हैं.
दलित और युवा नेता चिराग पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान बिहार के प्रमुख और तेज तर्रार युवा राजनेताओं में से एक हैं. वर्तमान में वह केंद्रीय मंत्री हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और दलित नेता रामविलास पासवान के बेटे हैं. चिराग ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर बॉलीवुड में करियर बनाने की कोशिश की थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने राजनीति की राह पकड़ ली. साल 2014 में जमुई लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का खुला समर्थन किया.
दलित नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद उन्होंने पार्टी में नेतृत्व की कमान संभाली और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ अकेले चुनाव लड़कर खुद को 'बिहारी युवा नेता' के रूप में स्थापित करने की कोशिश की। चिराग पासवान साफगोई के साथ बयानबाजी और विकास की राजनीति के लिए पहचाने जाते हैं. वह खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताते हैं.
जातिवाद और परिवारवाद विरोधी प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर उर्फ पीके पेशे से देश के चर्चित चुनावी रणनीतिकार हैं. पिछले कुछ सालों से बिहार की राजनीति को बदलने के लिए गांव-गांव जाकर मुहिम चला रहे हैं. वह बिहार जन सुराज पार्टी के संस्थापक और प्रमुख हैं. साल 2011 में यूएन के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य से राजनीति में कदम रखा और गुजरात में नरेंद्र मोदी के लिए काम करके अपना स्ट्रैटेजिस्ट करियर शुरू किया.
प्रशांत किशोर ने जाति-धर्म और परिवारवादी राजनीति के विरोधी है. वह अपनी हर चुनावी सभाओं में मतदाता खासकर युवा वोटर्स से कहते हैं आप हमारी पार्टी भले ही वोट मत दीजिए लेकिन जाति के नाम पर वोट मत कीजिए. जाति से हटकर शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार और विकास नाम पर वोट कीजिए. बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वोट कीजि. मुखर नेता पीके ने एलीटिज्म और भाई‑भतीजावाद की निंदक हैं. वह युवा मतदाताओं को बिहार में बदलाव का वाहक बनते देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में मतदाता अपने लिए वोट करें.
नीतीश कुमार के लिए वोट मांगने उतरे
निशांत कुमार बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पूर्व शिक्षिका मंजू सिन्हा के इकलौते पुत्र हैं. उन्होंने रांची के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है. उनकी राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं है, न ही नीतीश कुमार ने अभी तक उन्हें आगे लाने के बारे कोई आधिकारिक बयान दिया है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह 'आध्यात्मिक जीवन' जीना चाहते हैं.
इसके बावजूद बिहार के मतदाताओं को एक तबका और पार्टी के नेता नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी व सीएम के रूप में देखना चाहते हैं. हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही उन्होंने पहली बार सार्वजनिक राजनीति में कदम रखा और अपने पिता के लिए वोट की अपील की. बिहार के सियासी विश्लेषकों का मानना है कि वह जल्द ही सक्रिय राजनीति में शामिल हो सकते हैं. उन्हें हरनौत या इस्लामपुर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पार्टी के नेता पेशकश कर चुके हैं.