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बिहार में वोटर लिस्ट सुधार से दिक्कत किसको? RJD बोली - एजेंट न बने चुनाव आयोग, चिराग की पार्टी ने विपक्ष की कर दी बोलती बंद

Bihar Voter List Special Intensive Revision: बिहार में चुनाव से पहले ईसी (EC) द्वारा मतदाता सूची में संशोधन को लेकर शुरू अभियान पर विवाद हो गया है. सत्ताधारी और विपक्ष के नेता इस मसले पर आमने सामने आ गए हैं. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बीजेपी इसके बहाने एनआरसी लागू करना चाहती है. चुनाव आयोग एजेंट के रूप में काम न करे.

बिहार में वोटर लिस्ट सुधार से दिक्कत किसको? RJD बोली - एजेंट न बने चुनाव आयोग, चिराग की पार्टी ने विपक्ष की कर दी बोलती बंद
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बिहार में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी शुरू कर दी है. इस योजना के तहत चुनाव आयोग ने बीते सप्ताह एक बयान जारी कर कहा था कि प्रदेश के वोटर लिस्ट में संशोधन किया जाएगा? इसके लिए घर-घर जाकर नागरिकों की जांच की जाएगी. वैध दस्तावेजों के आधार पर उनका रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी योग्य नागरिकों का रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर उनका वेरिफिकेशन किया जाएगा. जरूरत के हिसाब से लिस्ट से नाम हटाए या जोड़े जाएंगे. चुनाव आयोग का कहना है कि इससे पहले मतदाता सूची में स्पेशल इंटेन्सिव रिविजन साल 2003 में किया गया था.

क्या है एसआईआर का मकसद?

बिहार चुनाव आयोग के अनुसार स्पेशल इंटेन्सिव रिविजन के जरिए ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी योग्य नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट में हों. ताकि वो मतदान के अपने हक का इस्तेमाल कर सकें. लिस्ट में कोई ऐसा व्यक्ति न हो जो वोट देने योग्य न हो. साथ ही चुनाव आयोग ने कहा है कि इसके लिए लिस्ट में नाम जोड़े जाएंगे और जिनकी पुष्टि न हो सके, वो नाम लिस्ट से हटा दिए जाएंगे.

चुनाव आयोग ने 24 जून को अपने बयान में कहा, "तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लगातार पलायन, युवा नागरिकों का वोट देने के योग्य होना, मौतों की सूचना न देना और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने जैसे कई कारणों से मतदाता सूचियों की सत्यनिष्ठा और त्रुटि-रहित तैयारी सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया है.

अब मतदाताओं को करना होगा ये काम

विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए तैयार फॉर्म से पता चलता है कि 1 जुलाई 1987 से पहले पैदा हुए लोगों को अपनी जन्म तिथि या जन्म स्थान साबित करना होगा. 1 जुलाई 1987- से 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुए लोगों को अपनी जन्म तिथि और अपने माता-पिता में से किसी एक की जन्म तिथि या स्थान साबित करना होगा. दूसरी ओर 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को अपनी जन्मतिथि या स्थान के साथ-साथ अपने माता-पिता दोनों की जन्मतिथि या स्थान भी साबित करना होगा. 25 जून को शुरू हुई यह कवायद दो महीने में पूरी होगी.

SIR में भाग न लेने वालों का हटेगा नाम-EC

बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में वर्तमान 7,89,69,844 मतदाताओं के लिए नये मत प्रपत्रों की छपाई और घर-घर जाकर वितरण का काम 25 जून से जारी है. इस बीच चुनाव आयोग ने विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए नए मतदाता पहचान पत्र बनाने पर रोक लगा दी है. एसआइआर में भाग नहीं लेने वाले मतदाताओं का मतदाता पहचान पत्र भी एक अगस्त को प्रारूप प्रकाशन के साथ ही अवैध हो जाएगा. इस पहल का मकसद मतदाता सूची को शुद्ध और वास्तविक बनाना और मतदान प्रतिशत में सुधार करना है. विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण में भाग लेने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के साथ ही इपिक भी उपलब्ध कराने को कहा गया है. इस काम में तत्काल 77,895 बूथ स्तरीय पदाधिकारी बीएलओ काम पर लगाया गया है.

बिहार कुल मतदाता 7.73 करोड़

बिहार चुनाव आयोग के मुताबिक अभी तक तैयार मतदाता सूची मुताबिक प्रदेश में करीब 7.73 करोड़ मतदाता हैं. नया सूची तैयार करे के लिए चुनाव आयोग योग्य मतदाताओं की पहचान और उनके रजिस्ट्रेशन के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 के तहत दिए नियमों के अनुसार काम करेगा.

किसने क्या कहा?

इस बीच विपक्ष ने इसको लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. इस स्टोरी में हम जानेंगे कि वोटर लिस्ट सुधार को लेकर अलग-अलग दलों के नेताओं की राय क्या है?

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ईसी (EC) द्वारा मतदाता सूची में संशोधन को लेकर कहा है कि बीजेपी-आरएसएस बिहार के गरीबों के मतदान का अधिकार समाप्त कर देना चाहती है.

एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि चुनाव आयोग बिहार में गुप्त तरीके से राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू कर रहा है. ताकि अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान की जा सके.

बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव के आरोपों का जवाब देते हुए आरजेडी की मानसिकता संविधान विरोधी है.

चुनाव आयोग एजेंट न बने- नवल किशोर यादव

आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर यादव का कहना है कि सवाल यह है कि ये काम चुनाव से तीन माह पहले क्यों? तीन माह पूर्व कराने की जरूरत क्या हैं? अगर करा भी रहे हैं तो नागरिकता साबित करने की बात कहां से आ गई? क्या चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर या एजेंट के रूप में काम कर रही है? या फिर बिहार में इसी के बहाने एनआरसी लागू करने की योजना है. ऐसा इससे पहले कहां हुआ कि चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया हो. इसके पीछे बीजेपी की मंशा साफ है.

विपक्ष को जनता देगी जवाब- गुरु प्रकाश पासवान

बिहार बीजेपी के गुरु प्रकाश का कहना है कि विपक्ष का आरोप में दम नहीं है. हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में रिविजन का काम होता है. यह कोई नया मामला नहीं है. विपक्ष को हर मसले पर नुक्ताचीनी की आदत हो गई है. उसके इस सोच का जनता जवाब देगी. विपक्ष का आरोप निराधार है, उसे बता है कि बिहार फिर एनडीए की सरकार बनने वाली है.

जिन्हें लोकतंत्र में विश्वास नहीं वो उठा रहे सवाल- रंजन सिंह

एलजेपीआर के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना है कि सवाल वे लोग उठा रहे हैं, जिन्हें लोकतंत्र में विश्वास नहीं है. फर्जी वोट के सहारे सत्ता में बने रहना चाहते हैं. कुछ खास मतदाता ऐसे हैं जिनका नाम बिहार की मतदाता सूची में भी और दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में वोट डालते हैं. इसी तरह के फर्जी मतदाताओं का नाम हटाने के लिए वोटर लिस्ट में सुधार का काम हो रहा है.

उन्होंने कहा कि ईसी स्वायत्त संस्था है. वह अपना काम करती है. अगर ईसी निष्पक्ष तौर पर काम नहीं करती तो कर्नाटक में कांग्रेस की, पंजाब में आम आदमी पार्टी और हाल जी में झारखंड में महागठबंधन की सरकार कैसी बन गई? जब लाभ मिलता है तो चुनाव को अच्छा बताता हैं और हारने पर उसी को बुरा बताते हैं. ये विपक्ष की फितरत में शामिल हो गया है. सवाल है कि महागठबंधन के लोगों को पारदर्शी व्यवस्था से दिक्कत है. चुनाव आयोग के दम पर ही कांग्रेस ने देश में दशकों शासन किया. इसे कांग्रेस न भूले.

विपक्ष को अभी से सताने लगा हार का डर- सोनम

एलजेपीआर की प्रवक्ता सोनम का कहना है कि चुनाव आयोग अगर मतदाता सूची में सुधार को लेकर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करा रहा है तो इसमें गलत क्या है? विपक्ष को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए. लगता है कि विपक्ष के नेताओं को अभी से हार का डर सताने लगा है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहार
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