तबीयत बिगड़ी अस्पताल में भर्ती हुए खान सर, क्या है BPSC में नॉर्मलाइजेशन विवाद, जिस पर मचा है बवाल?
बिहार में BPSC नॉर्मलाइजेशन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पटना में इस मुद्दे को लेकर छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके दौरान पुलिस को गर्दनीबाग इलाके में हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा. इस बीच, प्रसिद्ध शिक्षक खान सर की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.

बिहार में BPSC नॉर्मलाइजेशन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पटना में इस मुद्दे को लेकर छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस बीच छात्रों के लिए प्रदर्शन कर रहे खान सर की तबीयत अचानक बिगड़ गई है. डिहाइड्रेशन और फीवर के बाद उन्हें प्रभात मेमोरियल अस्पताल में एडमिट कराया गया है. वह लगातार छात्रों के लिए प्रदर्शन में शामिल हैं.
छात्रों के प्रदर्शन दौरान पुलिस को गर्दनीबाग इलाके में हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा. इस बीच, प्रसिद्ध शिक्षक खान सर की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खान सर के एक्स हैंडल (@KhanGlobalStudies) पर पटना के गर्दनीबाग थाने में FIR दर्ज की गई है. आरोप है कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स ने छात्रों को आंदोलन के लिए उकसाया. बताया जा रहा है कि यह ट्विटर हैंडल खान सर का आधिकारिक हैंडल है, हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
गिरफ्तार या हिरासत में खान सर
एसडीपीओ सचिवालय के डॉ अन्नू कुमार ने पुष्टि की है कि खान सर की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. खान सर को कल गर्दनीबाग ने अटल पथ पर खान सर के आग्रह पर उनके गाड़ी के पास छोड़ दिया था. बता दें कि FIR के बाद ऐसी चर्चा होने लगी थी कि खान सर को गिरफ्तार कर लिया गया है.
प्रदर्शनकारी क्या मांग है?
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि BPSC प्रारंभिक शिक्षा अंकों के सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग करने की बजाय एक पाली एक पेपर प्रारुप में आयोजित की जाए. समान्यीकरण एक सांख्यिकीय सूत्र का उपयोग करके कई पालियों में आयोजित परीक्षाओं के अंकों को बराबर करता है. अगर पहली शिप्ट में उम्मीदवारों के औसत अंक कम हैं या प्रयासों की संख्या भी कम है तो ऐसे पेपर को कठिन पेपर माना जाता है.
इस स्थिति में परीक्षार्थियों के औसत अंक कम हो जाते हैं. इसी तरह, अगर दूसरी शिफ्ट में उम्मीदवारों के औसत अंक ज़्यादा हैं या प्रयासों की संख्या ज़्यादा है, तो ऐसे पेपर को आसान पेपर माना जाता है. जब समग्र परिणाम तैयार किया जाता है, तो यह उम्मीदवारों के औसत अंकों के आधार पर होता है, जिसे सामान्यीकरण कहा जाता है.