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बिहार में वोटर लिस्ट घोटाला? जमुई में जिंदा मतदाता का नाम लिस्ट से गायब, कैसे मुर्दों ने वोटर फॉर्म भरकर किया सिग्नेचर?

बिहार के जमुई से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. मतदाता पुनरीक्षण के दौरान पेंघी गांव में चार मृत लोगों के नाम सूची में दर्ज हो गए. इतना ही नहीं, उनके फॉर्म पर हस्ताक्षर भी मौजूद दिखाए गए हैं. जबकि कई जीवित मतदाताओं का नाम लिस्ट से गायब है. स्थानीय लोग चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं और जांच की मांग कर रहे हैं.

बिहार में वोटर लिस्ट घोटाला? जमुई में जिंदा मतदाता का नाम लिस्ट से गायब, कैसे मुर्दों ने वोटर फॉर्म भरकर किया सिग्नेचर?
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 19 Aug 2025 7:46 AM

बिहार में मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है. इस दौरान जमुई जिले से ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यहां मृत लोगों के नाम न केवल मतदाता सूची में दर्ज पाए गए बल्कि उन्होंने आवेदन फॉर्म और हस्ताक्षर भी जमा किए बताए जा रहे हैं.

जमुई जिले के बरहट प्रखंड के पेंघी गांव में यह चौंकाने वाली गड़बड़ी उजागर हुई है. न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, गांव में चार मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं. इनमें से तीन एक ही परिवार से संबंधित हैं. फॉर्म पर उनके दस्तखत भी दर्ज दिखाए जा रहे हैं, जिससे पूरा मामला संदिग्ध हो गया है.

परिजनों ने दी थी जानकारी, फिर भी नाम दर्ज

गांव की तबस्सुम खातून ने बताया कि उनके पिता इम्तियाज मियां की मृत्यु तीन साल पहले हो चुकी है. बावजूद इसके उनका नाम मतदाता सूची में शामिल है. यही नहीं, उनके चाचा अब्दुल मियां की मृत्यु 2021 में और मां जबरा खातून की मौत 2023 में हो गई थी, लेकिन दोनों के नाम भी लिस्ट में दर्ज हैं.

कोरोना काल में मरे शनीफ का नाम भी शामिल

गांव के ही मोहम्मद शनीफ की मृत्यु 2021 में कोरोना काल के दौरान हुई थी. शनीफ के परिजनों का कहना है कि उन्होंने बीएलओ को मृत्यु की जानकारी दी थी और दस्तावेज भी सौंपे थे, फिर भी नाम हटाया नहीं गया. इससे ग्रामीणों में यह धारणा बन रही है कि फर्जीवाड़ा जानबूझकर किया गया है.

जीवित का नाम गायब, मृतक का मौजूद

गांव की सबीर खातून ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उसके बेटे मोहम्मद आसिफ का नाम सूची से हटा दिया गया है, जबकि मृत पति अब्दुल मियां का नाम अब भी मौजूद है. यह विरोधाभास लोगों के लिए बड़ा झटका है. इससे ग्रामीणों का मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया पर भरोसा डगमगाने लगा है.

बीएलओ ने झाड़ा पल्ला

मामले पर स्थानीय बीएलओ चंदन कुमार ने सफाई दी कि उनकी हाल ही में नियुक्ति हुई है और पुरानी सूची से यह गड़बड़ी आई है. लेकिन लोगों का कहना है कि जब हाल ही में सभी दस्तावेज जमा कराए गए थे तो मृतकों के नाम दर्ज होना गंभीर लापरवाही का संकेत है.

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल

यह मामला केवल एक गांव का नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करता है. जब मृत लोगों के नाम हटाए नहीं जा रहे और जीवित लोगों का नाम गायब हो रहा है तो निष्पक्ष चुनाव की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है. ग्रामीण अब इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.

लोगों में नाराजगी

गांव के लोग खुलकर कह रहे हैं कि अगर ऐसी ही मतदाता सूचियां बनेंगी तो चुनाव परिणाम कितने सही होंगे यह बड़ा सवाल है. इस गड़बड़ी ने मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर अविश्वास पैदा कर दिया है. अब सबकी नजरें इस पर हैं कि क्या जिला प्रशासन और चुनाव आयोग दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा या मामला दबा दिया जाएगा.

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