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मां जानकी मंदिर को सजाएगा वंशी पहाड़पुर का खास लाल पत्थर, जानिए क्‍यों है खास!

बिहार के सीतामढ़ी स्थित पुनौराधाम में बन रहे 151 फीट ऊंचे मां जानकी मंदिर का निर्माण राजस्थान के करौली जिले के वंशी पहाड़पुर से लाए गए खास लाल बलुआ पत्थर से हो रहा है. यह पत्थर न केवल अपनी मजबूती और टिकाऊपन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उस पर की गई नक्काशी भी भव्य दिखती है. इसका लाल रंग मंदिर को दिव्यता प्रदान करता है. यह मंदिर न केवल श्रद्धा, बल्कि भारतीय स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनेगा.

मां जानकी मंदिर को सजाएगा वंशी पहाड़पुर का खास लाल पत्थर, जानिए क्‍यों है खास!
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( Image Source:  X/NitishKumar )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 31 July 2025 2:53 PM

बिहार के सीतामढ़ी जिले में पुनौराधाम स्थित मां जानकी मंदिर का निर्माण कार्य देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, शिल्पकला और आस्था का संगम बन रहा है. 151 फीट ऊंचे इस भव्य मंदिर को आकार देने में जिस तत्व की सबसे अहम भूमिका है, वह है राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से लाया गया विशेष लाल बलुआ पत्थर.

यह वही पत्थर है जिससे अयोध्या का राम मंदिर, आगरा किला और दिल्ली का लाल किला भी बने हैं. यह पत्थर न सिर्फ मजबूती में बेजोड़ है, बल्कि इस पर की गई महीन नक्काशी सदियों तक सुरक्षित रहती है. प्राकृतिक रूप से गहरे लाल रंग वाला यह पत्थर सूर्य की रोशनी में झिलमिलाता है और मंदिर को दिव्य आभा देता है.

यह मंदिर बिहार के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव का नया प्रतीक बनने जा रहा है. यहां केवल पत्थरों का ढांचा नहीं तैयार हो रहा, बल्कि उनमें श्रद्धा, परंपरा और भारतीय वास्तुकला की आत्मा बसाई जा रही है. मां जानकी का यह जन्मस्थल देश-दुनिया के रामभक्तों के लिए एक नई आस्था-भूमि के रूप में उभर रहा है.

क्यों खास है वंशी पहाड़पुर का लाल पत्थर?

वंशी पहाड़पुर का यह पत्थर दुनिया के सबसे मजबूत और टिकाऊ बलुआ पत्थरों में गिना जाता है. इसकी प्राकृतिक मजबूती और शानदार बनावट इसे मंदिर जैसे स्थायी संरचनाओं के लिए आदर्श बनाती है. यह पत्थर बारिश, गर्मी और सर्दी जैसी किसी भी जलवायु परिस्थिति में टिके रहने की क्षमता रखता है, जो इसे पीढ़ियों तक मंदिर को सुरक्षित रखने योग्य बनाता है.

कला और नक्काशी का सर्वोत्तम साथी

इस पत्थर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें बारीक नक्काशी करना बेहद आसान और टिकाऊ होता है. मंदिर की दीवारों, खंभों और छतों पर जो देवी-देवताओं की आकृतियां और पौराणिक कथाएं उकेरी जाएंगी, वे इस पत्थर की वजह से और भी सजीव दिखेंगी. हर नक्काशी एक कथा कहेगी - मां जानकी के जन्म से लेकर उनके त्याग और आदर्शों की.

लाल रंग की दिव्य आभा से मंदिर को मिलेगा अद्वितीय स्वरूप

इस पत्थर का प्राकृतिक लाल रंग सूर्य की किरणों में झिलमिलाता है और मंदिर को एक राजसी और दिव्य तेज प्रदान करता है. यह रंग न सिर्फ दूर से ध्यान खींचता है, बल्कि मंदिर को एक ऐसा आध्यात्मिक प्रभाव देता है, जो श्रद्धालुओं को मानसिक रूप से जोड़ता है.

जहां परंपरा और आधुनिकता मिलें एक स्वर में

राम मंदिर अयोध्या हो या लाल किला, या आगरा का किला, इन्हीं जैसे पत्थरों से तैयार मां जानकी मंदिर में इतिहास, परंपरा और आधुनिक इंजीनियरिंग का संगम देखने को मिलेगा. पत्थर की पारंपरिक खूबसूरती और आधुनिक निर्माण तकनीक इस मंदिर को भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक विरासत बना रही है.

बिहार की सांस्कृतिक पहचान को मिलेगा नया केंद्र

मां जानकी का जन्मस्थल माने जाने वाले पुनौराधाम में यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि बिहार के गौरव का प्रतीक बनेगा. यह न केवल प्रदेशवासियों की आस्था को नई ऊर्जा देगा, बल्कि देश-दुनिया के राम-सीता भक्तों के लिए एक नया तीर्थस्थल भी साबित होगा.

पत्थरों में बसाई जा रही है आस्था और आत्मा

इस मंदिर में इस्तेमाल हो रहा हर पत्थर एक संदेश है - धैर्य, श्रद्धा और परंपरा का. इसकी दीवारों पर उकेरी जा रही कथाएं आस्थावानों को दर्शन के साथ-साथ शिक्षा भी देंगी. वंशी पहाड़पुर का यह लाल पत्थर जब मां जानकी के मंदिर का हिस्सा बनेगा, तो वह सिर्फ एक पत्थर नहीं रहेगा, बल्कि एक जीवंत गाथा का माध्यम होगा.

एक मंदिर, एक इतिहास, एक विश्वास

पुनौराधाम का मां जानकी मंदिर जब तैयार होगा, तब यह वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर के साथ न केवल भारतीय स्थापत्यकला का चमत्कार होगा, बल्कि एक ऐसा तीर्थस्थल बनेगा जहां श्रद्धा और गौरव दोनों सिर झुकाए खड़े होंगे. यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा, एक आस्था और एक सांस्कृतिक परंपरा का जिंदा प्रतीक बनेगा.

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