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कुएं में चीते की शक्ल का अनोखा जानवर, पहचान हुई तो हैरान रह गए लोग

कुछ समय पहले तक कस्तूरी बिलाव भारत में बहुतायत से पाए जाते थे, लेकिन दवा और परफ्यूम बनाने के लिए इनकी तस्करी शुरू हो गई और अब ये लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में हैं. बिल्ली प्रजाति के ये जीव कभी इंसानों पर हमले नहीं करते. इनका मुख्य भोजन सांप, मेढ़क एवं अन्य छोटे जीव हैं.

कुएं में चीते की शक्ल का अनोखा जानवर, पहचान हुई तो हैरान रह गए लोग
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फाइल फोटो
स्टेट मिरर डेस्क
by: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 17 Sept 2024 7:36 PM

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सूखे कुएं के अंदर एक ऐसा जानवर मिला है जो दिखने में तो चीते के जैसा है, हरकत बाघ जैसी है. चूंकि इस तरह का जानवर क्षेत्र मे पहली बार देखा गया था, इसलिए लोग इसे देखकर डर गए. आनन फानन में सूचना वन विभाग को दी गई. वन विभाग की टीम पहुंची और इसकी पहचान कर जो खुलासा किया, लोग हैरान रह गए. दरअसल यह जानवर कुछ और नहीं, बल्कि कस्तूरी बिलाव था. यह वही जानवर है, जिसके एनल ग्लैंड से कस्तूरी निकलती है, जिसका इस्तेमाल महंगे परफ्यूम और कई असाध्य बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है. यह जानकर बड़ी संख्या में लोग इस अजीबो-गरीब जानवर को देखने के लिए उमड़ पड़े.

बाद में वन विभाग के अधिकारियों ने इसे रेस्क्यू करने के बाद जंगल में ले जाकर छोड़ दिया.मामला मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड में रामचंद्रा चौक के पास का है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बिल्ली प्रजाति का यह जानवर दिखने में चीते जैसा और हरकते खूंखार बाघ की तरह करता है, लेकिन इसका स्वभाव बेहद शांत है. यह कभी भी इंसानों पर हमला नहीं करता. बल्कि उन्हें तो देखकर यह पेड़ पर बिल्डिंग पर चढ़ जाता है. आम तौर पर यह जानवर आबादी की ओर नहीं आता, इसलिए लोग इसके बारे में बहुत कम जानते हैं. पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव रंजन के मुताबिक कस्तूरी बिलाव रात में एक्टिव होता है और छोटे जानवरों को मारकर खाता है.

विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में है कस्तूरी बिलाव

उन्होंने बताया कि यह जीव बहुत फुर्तीला होता है. इसे यदि खुले में छोड़ दिया जाए तो पकड़ पाना संभव नहीं है. चूंकि यह कुएं में गिर गया था और लोगों ने घेर लिया था. इसलिए यह डर कर एक शांत हो गया था. उन्होंने बताया कि इस जानवर के शरीर पर बड़े-बड़े धब्बे होते हैं. कुछ साल पहले तक भारत के कई राज्यों में कस्तूरी बिलाव बहुतायत से पाया जाता था. खासतौर पर केरल और कर्नाटक के अलावा बिहार और झारखंड तो इसके घर थे, लेकिन तस्करी और शिकार की वजह से इनकी संख्या घटती चली गई. अब इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इन्हें विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा है.

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