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NDA से बगावत लेकिन मोदी से दोस्ती! बिहार चुनाव से पहले जीतन राम मांझी के पैंतरे के क्या हैं मायने?

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियां अपनी जमीन तलाशने में लग गए हैं. जीतन राम मांझी ने तो केंद्र में कैबिनेट मंत्री पद छोड़ने की धमकी भी दे डाली है, जिससे NDA में हलचल जैसा माहौल बन गया है.

NDA से बगावत लेकिन मोदी से दोस्ती! बिहार चुनाव से पहले जीतन राम मांझी के पैंतरे के क्या हैं मायने?
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Bihar Assembly Election 2025
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 22 Jan 2025 11:37 AM IST

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 इस साल के अंत तक कभी भी हो सकता है. इससे पहले ही राजनीतिक पार्टियों में इसे लेकर हलचल देखने को मिल रही है. इस बीच चुनाव से पहले ही केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कैबिनेट में अपना पद छोड़ने की धमकी देकर खलबली मचा दी है.

जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया है कि इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को NDA में उचित सहयोग नहीं मिल रहा है. मांझी का वोट बैंक 'भुइयां-मुहसर' (दलित) है. रामायण की एक पंक्ति का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया है कि अक्सर भय से सम्मान पैदा होता है. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि मुझे मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ेगा.'

मांझी क्यों दे रहे ऐसी धमकी?

मांझी ने कहा, 'झारखंड और दिल्ली में हमें कुछ नहीं मिला. यह कहा जा सकता है कि मैंने कोई मांग नहीं की. लेकिन क्या यह न्याय है? मुझे नजरअंदाज किया गया क्योंकि इन राज्यों में मेरी कोई हैसियत नहीं थी. इसलिए हमें बिहार में अपनी योग्यता साबित करनी होगी.'

मांझी के पैंतरे के मायने

मांझी के ये पैंतरे सिर्फ दिल्ली या फिर झारखंड को लेकर नहीं है. वह इसके जरिए बिहार चुनाव को लेकर अपनी जमीन तैयार करने में लगे हैं, जहां के लिए उनकी पार्टी 'हम' बिहार विधानसभा की 243 सीट में से 40 सीटों की मांग कर रही है. बात 2020 के विधानसभा चुनाव की करें तो मांझी की पार्टी को NDA ने 243 में से 7 सीटें दी थीं और उन्होंने 4 पर जीत दर्ज की थी. बिहार में मांझी का असली भुइयां-मुहसर जाति है.

'मोदी के विरोध का सवाल ही नहीं'

जीतन राम मांझी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं उन्होंने एनडीए का विरोध तो किया, लेकिन पीएम मोदी के विरोध से बचते नजर आए. उन्होंने यह भी कहा, 'कुछ लोग कह सकते हैं कि मैं एनडीए से लड़ रहा हूं. लेकिन नरेंद्र मोदी का नेतृत्व ऐसा है कि बगावत का कोई सवाल ही नहीं उठता. मैं टकराव की स्थिति में शामिल नहीं हो रहा हूं.'

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