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अपने घर से क्‍यों निकाले गए चिराग पासवान के चाचा, पटना में यही था 40 साल से उनका आशियाना

चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने अपने 40 साल पुराने आवास को खाली कर दिया है. हालांकि इस आवास को खाली न करने को लेकर उन्होंने बीजेपी से मदद मांगी थी. लेकिन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की जिद्द के आगे उनकी एक नहीं चल पाई. नतीजा उन्हें अपना आवास खाली करना पड़ा.

अपने घर से क्‍यों निकाले गए चिराग पासवान के चाचा, पटना में यही था 40 साल से उनका आशियाना
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 12 Nov 2024 12:36 PM

चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस को अपना 40 साल पुराना आवास छोड़ना पड़ा. बता दें कि पटना एयरपोर्ट के पास ही में इस घर को चिराग पासवान के पिता राम विलास पासवान (Ramvilas Paswan) ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के कार्यालय के रूप में रजिस्टर कराया था. अनौपचारिक रूप से यह पशुपति पारस का घर भी था और अपने परिवार के साथ यहीं रहते थे.

वहीं इस पर काफी समय पहले से विवाद जारी था. बिहार सरकार ने पशुपति पारस का आवास खाली करवा लिया है. हालांकि आवास खाली करने के बाद वह अपने MLA कॉलोनी में मौजूद घर में शिफ्त हुए हैं. मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने नोटिस जारी करते हुए आवास खाली करने को कहा था. इसके लिए उनके पास 13 नवंबर तक का समय था. लेकिन समय से पहल ही उन्होंने आवास खाली कर दिया.

BJP से लगाई थी गुहार

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने इस आवास को बचाने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से इसे बचाने की गुहार लगाई थी. लेकिन चिराग पासवान की जिद्द के आगे चाच फेल हो गए. उनकी एक नहीं चल पाई. दरअसल पार्टी के विभाजन के बाद कथित तौर पर चिराग पासवान को अपामान का सामना करना पड़ा था. दरअसल उस दौरान उन्हें बंगले से बेदखल कर दिया गया था. उस बंगले से लगभग उनके पिता का स्थायी निवास बन गई थी.

सड़क पर पड़ा था सामान

जिस समय चिराग पासवान को उनके आवास से बेदखल किया गया था. उस समय उनके परिवार का सामान सड़क पर पड़ा दिखाई था. इन सामान में चिराग के पिता रामविलास पासवान की कुछ तस्वीरें भी थी. वहीं उस समय में उन्होंने कहा था कि मेरे पिता की तस्वीर को फेंक दिया था. उन्होंने कहा कि ऐसी प्यारी तस्वीरें थी जिसपर चप्पल लेकर चढ़ गए थे. बिस्तरों पर भी चप्पलें पहन रखी थीं. वहीं इन सब का दोषी चिराग पासवान ने उस समय पशुपति पारस को ठहराया था. चिराग पासवान ने निष्कासन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा की गई अव्यवस्था को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.

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