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बिहार चुनाव 2025: PK की समझदारी या कोई चाल? खिलाडियों को मैदान में उतारकर 'कप्तान' का राजनीतिक अखाड़े से यूं बाहर होना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्राशांत किशोर ने खुद चुनावी मैदान से दूरी बनाए रखी, लेकिन अपनी पार्टी जन सुराज के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. इस कदम को लेकर राजनीतिक दलों ने उन पर जीत से पहले हार मानने का आरोप लगाया. आइए उनके इस फैसले का राज जानते हैं.

बिहार चुनाव 2025: PK की समझदारी या कोई चाल? खिलाडियों को मैदान में उतारकर कप्तान का राजनीतिक अखाड़े से यूं बाहर होना
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( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 18 Oct 2025 11:36 PM IST

बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है. जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बुधवार को ऐलान किया कि वे इस बार विधानसभा चुनाव में खुद चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे. हालांकि, उनका लक्ष्य राज्य की सत्ता समीकरण को चुनौती देना है, जो लंबे समय से नीतीश कुमार की JD(U) और लालू प्रसाद यादव की RJD के बीच झूलता रहा है.

राजनीति के जानकारों का मानना है कि किशोर का यह कदम न केवल पार्टी को केंद्रित करने की रणनीति है, बल्कि यह उनके राजनीतिक दांव का भी हिस्सा है. बिहार के जाति-प्रधान राजनीतिक परिदृश्य में उनकी यह चाल कितनी कारगर होगी, यह देखने वाली बात है.

चुनावी मैदान में न उतरने का कारण

रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी के नेताओं ने किशोर से आग्रह किया कि वे अपने समय का अधिकतम इस्तेमाल अन्य उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में करें. इसी कारण उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. किशोर ने खुद कहा, "पार्टी के सदस्यों ने मुझे अन्य उम्मीदवारों की जीत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा."

इस फैसले के तुरंत बाद विपक्ष ने उन पर हमला बोला. BJP और RJD ने उन्हें "जंग से पहले हार स्वीकार करने" का आरोप लगाया. BJP नेता गिरीराज सिंह का कहना है कि किशोर ने चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं देखी, इसलिए उन्होंने खुद चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया. उनकी पार्टी केवल वोट काटने वाली पार्टी है, जन सुराज RJD की 'बी टीम' है. RJD प्रवक्ता मृत्युञ्जय तिवारी ने कहा कि किशोर और उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करेंगे, यही कारण है कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की."

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषक कुमार विजय का कहना है कि किशोर का यह कदम समझदारी भरा है. 'यदि किशोर केवल एक सीट पर ध्यान केंद्रित करते, तो वह अन्य उम्मीदवारों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते. यह उनकी पहली बार बिहार में चुनाव लड़ने की रणनीति है और एकमात्र बड़ी पहचान होने के नाते उन्होंने अपने उम्मीदवारों पर ध्यान देने का निर्णय लिया.'

विजय ने कहा, 'वर्तमान स्थिति में, NDA और महागठबंधन की टिकट वितरण प्रणाली में उत्पन्न हुई गड़बड़ी ने जन सुराज को एक अवसर प्रदान किया है. किशोर भले ही एक 'जायंट स्लेयर' नहीं बनें, लेकिन यह रणनीति पार्टी के लिए सीटें बढ़ाने का अवसर बना सकती है.'

जन सुराज का बड़ा लक्ष्य

जन सुराज पार्टी का उद्देश्य 243 में से 150 सीटें जीतना है, और इसके नीचे प्रदर्शन को हार माना जाएगा. हालांकि, यह लक्ष्य फिलहाल चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है. बिहार की राजनीति में व्यक्तित्व, जातिगत गणित और धारणा निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जैसे-जैसे चुनावी जंग तेज होगी, यह देखा जाएगा कि बाहरी रणनीतिकार का यह प्लेबुक बिहार की राजनीति को नए दिशा देगा या यह भी एक महत्वाकांक्षी प्रयोग के रूप में धुंधला हो जाएगा.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025प्रशांत किशोर
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