बिहार के इस अस्पताल में गजब का तमाशा! मुर्दा को जिंदा करने के लिए शव पर लगाया आटा-पाउडर और फिर...
बिहार के एक अस्पताल में अंधविश्वास का अजीब मामला सामने आया, जहां एक मृत व्यक्ति को जिंदा करने के लिए परिजनों ने उसके शरीर पर आटा और पाउडर रगड़ना शुरू कर दिया. यह तमाशा अस्पताल स्टाफ के सामने हुआ। लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई, लेकिन डॉक्टरों ने व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया था। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

बिहार के बेगूसराय जिले में अंधविश्वास का एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने न सिर्फ इंसान की समझ पर सवाल खड़े किए बल्कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था और जागरूकता की भी पोल खोल दी. सदर अस्पताल परिसर में एक मृत युवक के परिजनों ने उसे 'जिंदा' करने की अंधविश्वासी कोशिश की, जिसके लिए उन्होंने न सिर्फ आटा पाउडर और बेलन का इस्तेमाल किया, बल्कि एक नर्स के सहयोग की बात भी सामने आई है.
मामला बेगूसराय के मोसादपुर गांव का है, जहां 25 वर्षीय मनीष कुमार की करंट लगने से मौत हो गई. इसके बाद जब डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया तो परिजन उसे वापस लाने के लिए अंधविश्वास की सीमा लांघ गए. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
वेल्डिंग करते समय करंट से झुलसा युवक
बेगूसराय के रिफाइनरी थाना क्षेत्र के मोसादपुर गांव निवासी मनीष कुमार पेशे से एक गैरेज संचालक था. शनिवार को वह वेल्डिंग का काम कर रहा था तभी वह बिजली की तार की चपेट में आ गया. परिवारवालों ने उसे तत्काल एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे बेगूसराय सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
अस्पताल में किया गया अंधविश्वास का खेल
मनीष के मृत घोषित होने के बाद परिजन सदर अस्पताल परिसर में ही उसके शव को एक बेंच पर लिटा कर आटे का पाउडर और बेलन से उसके शरीर को रगड़ने लगे. परिजनों का विश्वास था कि ऐसा करने से मनीष को होश आ सकता है. इस दौरान वहां मौजूद कई अन्य लोग भी यह दृश्य देख रहे थे और किसी ने भी इस अंधविश्वासी क्रिया को रोकने की कोशिश नहीं की. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे अस्पताल परिसर एक तमाशा बन गया.
'नर्स भी रगड़ने में कर रही थी मदद'
परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में मौजूद एक नर्स भी इस 'रगड़ने' की प्रक्रिया में उनकी मदद कर रही थी. हालांकि बाद में डॉक्टरों ने उसे अंदर बुला लिया. उनका दावा है कि अगर इलाज में लापरवाही नहीं होती तो मनीष की जान बच सकती थी.
प्रशासन ने दी सफाई, कहा-मृत अवस्था में लाया गया था
सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मनीष को अस्पताल में मृत अवस्था में लाया गया था. डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया था. 'परिजनों ने अपने पारंपरिक विश्वास और अंधविश्वास के चलते ऐसा किया, अस्पताल प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है,' उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने इसे जागरूकता की कमी और अंधविश्वास की प्रवृत्ति का परिणाम बताया. फिलहाल प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
आधुनिक अस्पतालों में अंधविश्वास के लिए जगह क्यों?
इस घटना ने एक बार फिर बिहार समेत देश के कई इलाकों में फैले अंधविश्वास की भयावह सच्चाई को उजागर किया है. सवाल यह है कि आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था के होते हुए भी लोग अभी तक अंधविश्वास का सहारा क्यों ले रहे हैं? क्या यह शिक्षा और जागरूकता की कमी है या फिर चिकित्सा व्यवस्था में भरोसे की कमी?