Begin typing your search...

ईरान-इजरायल की जंग से फीका हो रहा असम की इस चाय का जायका

ईरान-इज़रायल युद्ध से असम की ऑर्थोडॉक्स चाय का सबसे बड़ा बाज़ार खतरे में है. ईरान हर साल असम से 25 मिलियन किलो चाय मंगाता है, जो राज्य के कुल निर्यात का 25% है. तनाव बढ़ने से चाय की कीमतें ₹160 से ₹60 तक गिर गई हैं. जलवायु परिवर्तन और अरुणाचल से सस्ती, घटिया पत्तियों की खरीद से संकट और गहरा गया है. अगर हालात नहीं सुधरे, तो असम की चाय अर्थव्यवस्था और हज़ारों मज़दूरों की रोज़ी-रोटी पर बड़ा असर पड़ेगा.

ईरान-इजरायल की जंग से फीका हो रहा असम की इस चाय का जायका
X
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 25 Jun 2025 12:48 PM IST

ईरान-इज़रायल की जंग ने असम की विश्वविख्यात ऑर्थोडॉक्स चाय के भविष्य पर संकट ला दिया है. यह वही चाय है जिसे उसकी खुशबू, स्वाद और गहराई के लिए दुनियाभर में पसंद किया जाता है. लेकिन इस चाय के सबसे बड़े खरीदारों में से एक – ईरान – अब अस्थिरता के भंवर में फंसा है, और इसका सीधा असर असम की चाय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

ईरान को असम से हर साल करीब ढाई करोड़ किलोग्राम ऑर्थोडॉक्स चाय निर्यात की जाती है, जो कुल ऑर्थोडॉक्स उत्पादन का 30% और राज्य के कुल निर्यात का लगभग 25% हिस्सा है. अगर ईरान का बाजार ठप होता है, तो असम को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

बाजार में दाम गिरे, चाय बागानों में चिंता गहराई

रिपोर्ट के अनुसार चाय की कीमतों में पहले से ही तेज गिरावट देखने को मिल रही है. कुछ समय पहले तक जो चाय 160 रुपये प्रति किलो बिक रही थी, वह अब 60 रुपये पर आ गई है. उन्होंने कहा, “अगर यही हाल रहा तो चाय उद्योग चलाना नामुमकिन हो जाएगा.”

अरुणाचल की पत्तियों से असम की साख को खतरा

चिंता का एक और बड़ा पहलू है - बॉट-लीफ फैक्ट्रियों द्वारा अरुणाचल प्रदेश से सस्ती लेकिन खराब गुणवत्ता की पत्तियां खरीदना. ये पत्तियां असम की प्रीमियम चाय की ब्रांड वैल्यू को कमजोर कर रही हैं.

जलवायु परिवर्तन से भी बिगड़ा हाल

चाय के उत्पादन में मौसम की भूमिका सबसे अहम होती है, लेकिन अब वही मौसम असम की चाय के लिए मुसीबत बन गया है. आदर्श तापमान 35°C होना चाहिए, लेकिन अब जून में 38°C तक पहुंच रहा है. ऊपर से अनियमित बारिश चक्र - कभी बहुत ज़्यादा तो कभी बिल्कुल नहीं - फसल चक्र बिगाड़ रहा है."

असम सालाना 70 करोड़ मिलियन किलोग्राम से ज़्यादा चाय बनाता है, जिसमें से 14 करोड़ किलोग्राम निर्यात की जाती है. ऐसे में अगर ईरान जैसा बड़ा बाज़ार बंद हो गया, तो इसका असर सिर्फ बागानों पर ही नहीं बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और हज़ारों परिवारों की आजीविका पर पड़ेगा. चाय - जो असम की आत्मा है - आज भू-राजनीति और जलवायु दोनों की दोहरी मार झेल रही है.

असम न्‍यूज
अगला लेख