सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस, असम के चाय श्रमिकों को नहीं मिला बकाया
असम में चाय श्रमिकों बीते कुछ समय से वेतन नहीं दिया गया है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने असम सरकार के साथ केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई है. जस्टिस ओक ने कहा कि निगम ने किराए की आय से 38 करोड़ रुपये कमाए लेकिन श्रमिकों को पैसे क्यों नहीं दिए गए.

Assam News: असम के चाय श्रमिकों को बीते कुछ समय से बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने असम के मुख्य सचिव को तलब किया है. साथ ही केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने चाय श्रमिकों के बकाया राशि के भुगतान मामले पर सुनवाई की. पीठ ने उचित प्रयास न करने पर सरकार की खिंचाई की है.
क्यों हो रही देरी-SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असम के चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के बकाये का भुगतान करने के लिए सही कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं? असम सरकार के वकील ने कहा कि हम गरीब कामगारों के बकाए का भुगतान करने का मामले में फंसे हुए हैं. जब तक हम कठोर नहीं होंगे, तक तक कुछ नहीं होगा. हम आपकी परेशानी समझ सकते हैं लेकिन यह जरूरी है.
38 करोड़ की हुई कमाई
जस्टिस ओक ने कहा कि निगम ने किराए की आय से 38 करोड़ रुपये कमाए लेकिन श्रमिकों को पैसे क्यों नहीं दिए गए. न्यायालय ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या बाकी 4 करोड़ रुपये का कोई हिस्सा श्रमिकों के बकाए का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. कोर्ट ने आगे कहा कि ATCL राज्य का एक भाग है इसलिए यह सुनिश्चति करने के लिए बाध्य है कि श्रमिकों के वेतन और भत्ते का भुगतान किया जाए.
सरकार ने घाटे की कही बात
असम सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि चाय बागानों के कई चीजों में वित्तीय घाटा हुआ है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य चाय बागानों का प्रबंधन नहीं कर पा रहा है तो श्रमिकों को उनका बकाया प्राप्त करने के लिए सभी संपत्तियां बेच देनी चाहिए. असम सरकार ने दलील दी कि भुगतान को मंजूरी देने में केंद्र सरकार की प्रमुख भूमिका है. इस पर अदालत ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया. कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.
कितनी है बकाया राशि?
सोमवार को विचार-विमर्श के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि चाय बागानों के श्रमिकों को 414.73 करोड़ रुपये और पीएफ विभाग को 230.69 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है. इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति गठित की गई. इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर 2024 को होगी.