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सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई फटकार, माटिया ट्रांजिट कैंप में सुविधाओं की कमी पर मांगी रिपोर्ट

असम माटिया ट्रांजिट कैंप में रखे गए अवैध घुसपैठियों को जरुरी सुविधाएं जैसे पीने का पानी, बाथरूम की खराब व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस शिविर में औचक निरीक्षण के निर्देश दिए थे. साथ ही एक महीने में रिपोर्ट सौंपने को कहा था. वहीं रिपोर्ट सामने आने के बाद दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. अब असम सरकार से इस पर 9 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई फटकार, माटिया ट्रांजिट कैंप में सुविधाओं की कमी पर मांगी रिपोर्ट
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 4 Nov 2024 5:17 PM

गुवहाटीः सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान असम सरकार से मटिया ट्रांजिट कैंप में रहने की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. इस कैंप में आपको बता दें कि 200 से अधिक अवैध घुसपैठियों को विदेशी एक्ट 1946 के तहत हिरासत में रखा गया है. जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ए.जी मसीह के नेतृत्व वाली इस पीठ ने इस कैंप की स्थिति पर चिंता जताई है.

दरअसल इस कैंप में हिरासत में रह रहे लोगों को सुविधा नहीं मिल पा रही है. जिसपर अदालत ने चिंता जताई और उसे असंतोषजनक बताया है. इसी कड़ी में कोर्ट ने आवश्यक सुविधाओं की कमियों को दूर करने को लेकर 9 दिसंबर तक एक डिटेल रिपोर्ट की मांग की है.

कोई सुविधा नहीं है

कोर्ट ने स्टेट लेवल सर्विस ऑथोरिटी (SLSA) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर खामियों का जिक्र किया गया. इस दौरान शिविर में जरुरी सुविधाओं को प्रकाशित किया गया. न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि शिविर में कोई सुविधा नहीं है. महिला बंदियों के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रावधानों की कमी और पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण शैक्षिक और व्यावसायिक संसाधनों की कमी है.

सरप्राइज विजिट के दिए गए थे निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने SLSA को एक महिने पहले ट्रांसिट कैंप पर सरप्राइज विजिट करने के निर्देश दिए थे. जानकारी के अनुसार इस दौरान जरुरी सुविधाएं, जैसे स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए थे. इस संबंध में SLSA को एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के आदेश थे. वहीं 26 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी स्थिति की आलोचना की थी. उस दौरान गैर दस्तावेज, अप्रवासियों के लिए हिरासत में अपर्याप्त सुविधाएं जैसे जल आपूर्ति, बाथरूम की खराब व्यवस्था साफ सफाई जैसी स्थिति को पर आलोचना की थी.

इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब इस शिविर में म्यांमार से आए रोहिंग्या और चीन शरणार्थी अपनी लंबी हिरासत के विरोध में भूख हड़ताल पर चले गए थे. प्रदर्शनकारियों ने नई दिल्ली में प्रदर्शनकारियों ने नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) को स्थानांतरित करने की मांग की थी.

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