ट्रांसफर आदेश मानने से किया इनकार, असम सरकार ने 5 अधिकारियों को किया सस्पेंड
असम सरकार ने पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. जिसका कारण है कि इन अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया था. आदेश के बावजूद इन्होंने सरकार की बात नहीं मानी और ट्रांसफर किए गए जगह की वजह उसी जगह पर ये काम कर रहे थे. जैसे ही सरकार को पता चला तो उन्होंने सख्त कार्रवाई की और अधिकारियों पर गाज गिराई.

13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले असम सरकार ने पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है, क्योंकि उन्होंने चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के निर्देशों का पालन नहीं किया. यह कार्रवाई असम सिविल सेवा (एसीएस) के अधिकारियों के खिलाफ की गई, जिन्होंने अपने ट्रांसफर आदेशों का पालन नहीं किया और नए पदों पर रिपोर्ट नहीं किया.
सस्पेंशन आदेशों के अनुसार, इन अधिकारियों को असम सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1964 के तहत तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया.
सस्पेंड हुए अधिकारी
सरोज कुमार डेका - परबतझोरा असिस्टेंट कमिश्नर, जिन्होंने माजुली में चुनाव अधिकारी के रूप में शामिल होने से इंकार कर दिया और गुवाहाटी के पास तैनाती का अनुरोध किया, अपने किसी पर्सनल रिजन की वजह के चलते.
कब्यश्री दिहिंग्या - बक्सा की पूर्व चुनाव अधिकारी, जिन्होंने दीमा हसाओ में चुनाव अधिकारी के रूप में तैनाती से इनकार कर दिया. 'जिससे उन्होंने प्राधिकरण के आदेश की अवहेलना की और कार्यालय की मर्यादा को नष्ट कर दिया और इस प्रकार वे जनहित में कार्य करने में विफल रहीं.'
जिंटू सरमा - जोनाई के असिस्टेंट कमिश्नर, जिन्होंने माजुली में चुनाव अधिकारी के रूप में शामिल होने से इंकार किया और गुवाहाटी में तैनाती का अनुरोध किया.
परिशमिता देहिंगिया - बोकाखाट चुनाव अधिकारी, जिन्होंने शिवसागर में चुनाव अधिकारी के रूप में तैनाती से इंकार किया और चुनाव विभाग से मुक्त होने का अनुरोध किया.
कोंगकन ज्योति सैकिया - तिनसुकिया के पूर्व चुनाव अधिकारी, जिन्होंने बरपेटा में तैनाती से इनकार किया और चुनाव विभाग से मुक्त होने का अनुरोध किया.
इन अधिकारियों के खिलाफ यह कार्रवाई उनकी अवज्ञा और सरकारी आदेशों के उल्लंघन को लेकर की गई है, जो राज्य सरकार के अनुशासनात्मक नियमों के तहत गंभीर मानी जाती है.
कॉन्ट्रैक्चुअल स्टाफ को हटाने के आदेश से मचा तूफान
हाल ही में करीब एक महीने पहले राज्य मंत्रिमंडल द्वारा एक आदेश दिया गया था कि पार्ट टाइम फैक्लटी को फिर से नियुक्त किया जाए और अब सरकार ने आदेश दिया है कि कॉन्ट्रैक्चुअल स्टाफ को हटाया जाए, जिसे लेकर इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलिटेक्निक में हंगामा मच गया है.