क्या है झुमुर डांस? असम की इस जनजाति के महोत्सव का पीएम मोदी भी बनेंगे हिस्सा
Jhumur Dance: पीएम मोदी सोमवार को गुवाहाटी में झुमोइर बिनंदिनी 2025 में शामिल होने वाले हैं. इसमें झुमुर डांस किया जाएगा. यह डांस "चाय जनजातियों" लोकप्रिय नृत्य है. 'ये लोग न केवल राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, बल्कि राज्य के चाय उत्पादन में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं'. असम में चाय बागानों के श्रमिक इस डांस को त्योहारों में करते हैं.

Jhumur Dance: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को झुमोइर बिनंदिनी 2025 में शामिल होने वाला हैं. इसका आयोजन गुवाहाटी में किया जा रहा है. इवेंट में हजारों की संख्या में लोग शामिल होने वाले हैं. इस मेगा झुमुर कार्यक्रम में 8 हजार से ज्यादा कलाकार शामिल होने वाले हैं.
झुमुर डांस चाय जनजातियों का लोकप्रिय नृत्य है. यानी चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिक और उनके वंशज इस समुदाय से आते हैं. आज हम आपको असम के इस लोकप्रिय डांस के बारे में बताएंगे कि क्यों यह दुनिया भर में मशहूर है.
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असम की चाय जनजाति
चाय जनजाति का मतलब चाय की खेती करने वाले लोगों से है. ये लोग मध्य भारत से आए थे. चाय बागानों में काम करने के लिए 19वीं सदी में झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल से आकर असम में बस थे. ये लोग कम आय में कड़ी मेहनत करके चाय की बागवानी करते हैं. राज्य के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, शिवसागर, चराइदेव, गोलाघाट, लखीमपुर, सोनितपुर और उदलगुरी, और बराक घाटी में कछार और करीमगंज बड़ी संख्या में चाय की बागवानी करने वाले लोग रहते हैं. इन्हें ओबीसी का दर्जा प्राप्त है. हालांकि वे लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग कर रहे हैं.
असम के चाय जनजाति और आदिवासी कल्याण निदेशालय की वेबसाइट के अनुसार, 'ये लोग न केवल राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, बल्कि राज्य के चाय उत्पादन में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं'. हालांकि, सामाजिक-आर्थिक रूप से वे हाशिए पर हैं, और राज्य में सबसे गरीब लोगों में से हैं.
क्या है झुमुर डांस?
चाय जनजाति अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए जाना जाता है. असम में चाय बागानों के श्रमिक इस डांस को त्योहारों में करते हैं. इस समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार तुशु पूजा और करम पूजा हैं, जो आने वाली फसल का जश्न मनाते हैं. महिलाएं लोक नृत्य और गीत गाती हैं. वहीं पुरुष मादल , ढोल , या ढाक (ड्रम), झांझ, बांसुरी और शहनाई बजाते हैं. इनकी वेशभूषा की बात करें तो लाल और सफेद साड़ियां महिलाओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं. ये नागपुरी, खोरठा और कुरमाली में दोहे गाते हैं. असम में इनका विकास असमिया से काफी हद तक उधार लेकर हुआ है.