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48 घंटे में असम छोड़ो, बंगाली मुस्लिमों को मिल रही खुली धमकी, विपक्ष ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

शिवसागर से सामने आए एक वायरल वीडियो में सुरक्षाकर्मी किराए के मकानों में घुसकर लोगों से इलाका खाली करने के लिए कह रहे हैं. यह नजारा कई लोगों को 1980 के दशक के असम आंदोलन की याद दिला गया. इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इसके कारण ऊपरी असम में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा रही है.

48 घंटे में असम छोड़ो, बंगाली मुस्लिमों को मिल रही खुली धमकी, विपक्ष ने की राष्ट्रपति शासन की मांग
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Published on: 9 Aug 2025 4:01 PM

ऊपरी असम के शिवसागर में एक पुरानी सी किराए की बिल्डिंग में अफरा-तफरी मच गई. कुछ लोग अपने काम से लौट ही रहे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई. कुछ सुरक्षाकर्मी आए और उन्होंने जो कहा, उसने वहां रहने वालों की नींदें उड़ा दीं. 48 घंटे में इलाका खाली करो. ये वो लोग थे जो वर्षों से वहां रह रहे थे, काम कर रहे थे. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

सरकार अब एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने जा रही है, जिससे तथाकथित "मूल निवासी" लोग जो संवेदनशील इलाकों में रहते हैं, हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे. विपक्ष का आरोप है कि यह नीति लोगों को हिंसा के लिए प्रोत्साहित करती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वे अल्पसंख्यक हैं.

राष्ट्रवादी समूहों का ‘अभियान’

ऑल ताई अहोम स्टूडेंट्स यूनियन, जातीय संग्रामी सेना और बीर लचित सेना जैसे असमिया राष्ट्रवादी संगठनों ने बंगाली मूल के मुसलमानों को ऊपरी असम से हटाने के लिए एक संगठित अभियान छेड़ दिया है. ये समूह दावा करते हैं कि वे राज्य की "जनसांख्यिकीय सुरक्षा" के लिए काम कर रहे हैं. इन संगठनों द्वारा चलाया जा रहा यह तथाकथित "मिया खेड़ा आंदोलन" असम में सामाजिक तनाव को नई ऊंचाइयों पर ले गया है.

विपक्ष की चेतावनी- राज्य नियंत्रण से बाहर

कांग्रेस नेता रिपुन बोरा और रायजोर डोल के विधायक अखिल गोगोई ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है. रिपुन बोरा ने कहा कि 'हमारे संविधान में हर नागरिक को देश में कहीं भी बसने और काम करने का हक है. ये कौन होते हैं किसी को ‘मिया’ कहकर भगाने वाले? उन्होंने इसे भीड़ हिंसा भड़काने का मामला बताया और राष्ट्रपति शासन की मांग की. उन्होंने आगे कहा कि अगर यही चलता रहा, तो कब हालात काबू से बाहर हो जाएंगे, कोई नहीं जानता.'

सीएम सरमा का विवादित बयान

जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से पूछा कि क्या शिवसागर में हो रहे घटनाक्रम उनके संरक्षण में हैं, तो उन्होंने कहा कि 'यह मेरे संरक्षण में होना ही चाहिए. लोग वहां रहें जहां उन्हें रहना चाहिए.' इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया. विपक्ष ने इस प्रतिक्रिया को संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया.



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