लखीमपुर मंदिर में बंदरों के पड़े खाने के लाले, सोशल मीडिया ने ऐसी बचाई जान
मंदिरों के आसपास अक्सर ज्यादा जानवर होते हैं. इससे जानवरों को खाना आसानी से मिल जाता है, लेकिन अब लखीमपुर मंदिर में बंदरों के लिए खाने की कमी हो गई है, जिसके कारण वह लोगों पर हमला कर रह हैं. साथ ही, आसपास के गांव में घुसकर तबाही मचा रहे हैं.

लखीमपुर के बिहपुरिया में श्री श्री अनिरुद्धदेव नहरती थान में पिछले 6 महीनों से भक्तों की संख्या में कमी आई है. इसका असर बंदरों पर पड़ा रहा है और उनकी हालात खराब हो रही है. मायामोरा मंदिर 17वीं सदी में बना था. इस मंदिर में साल भप भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन मानसून और सर्दियों के शुरुआती महीनों में यहां भीड़ कम हो जाती है.
भक्त और विजिटर्स प्रसाद के तौर पर फल, चने और दाल लाते हैं. साथ ही, यह प्रसाद बंदरों को भी खिलाते हैं, लेकिन इस साल बंदरों की आबादी बढ़ गई है, जिसके चलते उन्हें खाने की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण खाने की तलाश में बंदर पड़ोसी गांवों में घुस रहे हैं.
मंदिर परिसर में हैं 300 से ज्यादा बंदर
स्थानीय लोगों के मुताबिक मंदिर परिसर में बंदरों की संख्या 300 से ज्यादा है, जो नहर के पेड़ों पर रहते हैं. इस मामले में असम ट्रिब्यून को एक ग्रामीण ने बताया कि खाने में कमी के कारण भूखे बंदर आस-पास के गांवों में घुसने लगे और वहां सब्जी के बगीचों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया. इससे पहले कोविड के दौरान भी बंदरों का यही हाल था, क्योंकि उस दौरान भक्त मंदिर में नहीं जा सकते थे.
सोशल मीडिया के जरिए मिली मदद
हालांकि, कुछ एनिमल लवर्स ने इस बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसके बाद बंदरों को खाना मिलना शुरू हो गया है. इसके बाद, लखीमपुर जिले के अलग-अलग हिस्सों से लोग छोटे-छोटे ग्रुप में थान में आने लगे और बंदरों के लिए खाना लेकर आए.
सोशल मीडिया पर इस तरह की पहल के पोस्ट ने सभी धर्मों और पंथों के लोगों को मायामोरा मंदिर के बंदरों के लिए फल और अन्य चीजें लाने के लिए मोटिवेट किया. इस बार थान की मैनेजिंग कमेटी बंदरों के लिए अलग से खाना रख रही है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह पूरा नहीं है.
बंदर कर रहे हमला
कहा जा रहा है कि भूखे बंदर खाने की तलाश में मंदिर में आने वाले भक्तों पर हमला कर रहे हैं और सब्जियों और खेतों में पके हुए धान को नुकसान पहुंचाकर आस-पास के गांवों में उत्पात मचा रहे हैं.