असम में बढ़ रही है फर्टिलिटी की समस्या! देर से शादी का फैशन बन रहा है बांझपन का कारण
आजकल पेरेंट्स बनना एक चुनौती बन गया है. न केवल शहर बल्कि गांव के लोगों को भी यह समस्या हो रहा है. अब इस परेशानी से असम भी अछूता नहीं है. फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स ने बताया कि राज्य में बांझपन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

विश्व आईवीएफ दिवस के मौके पर असम के कुछ फर्टिलिटी एक्सपर्ट ने चिंता जताई कि राज्य में बांझपन की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि ये बढ़ोतरी सिर्फ किस्मत की बात नहीं है, बल्कि हमारे लाइफस्टाइल और फैसलों का नतीजा है. एक्सपर्ट ने बताया कि आधुनिक ज़िंदगी की कई आदतें पुरुषों में बांझपन की वजह बन रही हैं.
अल्कोहल-ड्रग्स, हार्मोनल समस्या, गलत खान-पान और तंबाकू जैसे कारण स्पर्म की संख्या को कम कर देते हैं. कभी-कभी तो स्पर्म पूरी तरह गायब हो जाते हैं, ये दिक्कतें शहरों के साथ-साथ गांवों में भी आम हो रही हैं.
महिलाओं में भी बढ़ रहे हैं प्रजनन संबंधी रोग
एक्सपर्ट ने बताया कि लगभग 20-30% महिलाओं को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसी बीमारी होती है. ये एक ऐसी समस्या है, जिसमें ओवरीज में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं. इतना ही नहीं, कई महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से भी पीड़ित हैं. इसमें यूट्रस की परत असामान्य जगहों पर बढ़ जाती है, जो अक्सर बहुत दर्दनाक पीरियड का कारण बनती है. अब ये समस्याएं केवल शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि गांवों में भी आम होती जा रही हैं. इसका कारण है बच्चों के बचपन से ही गलत खान-पान और खराब जीवनशैली.
उम्र के साथ बढ़ते हैं खतरे
जो महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए आती हैं, उनमें से लगभग 30% का बार-बार अबॉर्शन का इतिहास होता है. ज्यादातर महिलाएं 35 साल से ऊपर की होती हैं. उन्होंने समझाया कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, अबॉर्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है. कई बार आईवीएफ के बावजूद सफलता नहीं मिलती. लेकिन अब प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) जैसी तकनीकें आ गई हैं, जिनसे भ्रूण की जांच पहले ही कर ली जाती है ताकि जीन की कोई समस्या हो तो उसे पहचाना जा सके. इससे बार-बार आईवीएफ फेल होने की घटनाएं कम हो जाती हैं.
जागरूकता और समय से कदम उठाना जरूरी
सभी एक्सपर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आज के युवा जो देर से पेरेंट्स बनने का सोच रहे हैं, उन्हें जल्दी जागरूक होना चाहिए. फर्टिलिटी की कैपिसिटी का समय रहते पता लगाना चाहिए. ताकि जब बच्चा चाहें, तो समस्या न हो.