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जंगल में लगी आग की तरह फैला BabyDoll Archita का ये Video! भाई ने पुलिस को बताया ये चेहरा मेरी बहन का लेकिन...

आर्चिता नाम की एक युवती का चेहरा इस्तेमाल कर बनाए गए एक अश्लील वीडियो ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर बवाल मचा दिया. जब उसके भाई ने वीडियो देखा, तो तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जांच में सामने आया कि वीडियो असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनाया गया डीपफेक था. यह मामला डिजिटल अपराध और निजता के खतरनाक उल्लंघन का गंभीर उदाहरण है.

जंगल में लगी आग की तरह फैला BabyDoll Archita का ये Video! भाई ने पुलिस को बताया ये चेहरा मेरी बहन का लेकिन...
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Who is baby dolla archi
( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 25 July 2025 11:29 PM IST

2020 में इंस्टाग्राम पर एक नया अकाउंट उभरा- नाम था 'बेबीडॉल आर्ची'. शुरुआत में यह कोई आम अकाउंट जैसा ही दिखा, लेकिन 2024 आते-आते यह अकाउंट इंटरनेट की दुनिया का चर्चित नाम बन चुका था. ग्लैमरस तस्वीरें, बोल्ड वीडियो, और अंतरराष्ट्रीय एडल्ट स्टार्स के साथ पोज़ करती एक युवती की मौजूदगी ने लाखों लोगों का ध्यान खींच लिया. भारत में उस समय इंस्टाग्राम पर तेजी से लोकप्रिय हो रहे कंटेंट क्रिएटर्स में 'बेबीडॉल आर्ची' का नाम सबसे ऊपर आने लगा. कुछ ही हफ्तों में उसके फॉलोअर्स की संख्या 14 लाख पार कर गई.

एक लाल साड़ी, एक विदेशी गाना, और मच गया हल्ला

जिस वीडियो ने 'बेबीडॉल आर्ची' को सोशल मीडिया की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया, उसमें वह लाल साड़ी में एक रोमानियाई गाने 'डेम उन ग्रर' पर बेहद कामुक अंदाज़ में डांस करती दिखीं. इंटरनेट पर यह वीडियो जंगल की आग की तरह फैला. कुछ ही दिनों में यह नाम हर तरफ ट्रेंड करने लगा. मीम्स बने, फैनपेज तैयार हुए, और मीडिया भी इस रहस्य को सुलझाने की दौड़ में लग गया कि आखिर 'बेबीडॉल आर्ची कौन है?'

शक की शुरुआत और असलियत का खुलासा

मीडिया रिपोर्ट्स और डिजिटल एक्सपर्ट्स के एक वर्ग को इस प्रोफ़ाइल पर शक होने लगा. कुछ ने अनुमान लगाया कि यह चेहरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनाया गया हो सकता है. लेकिन सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब असम के डिब्रूगढ़ में रहने वाली एक महिला- जिसे इस रिपोर्ट में सांची कहा गया है. उसके भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उनका दावा था कि यह चेहरा उनकी बहन का है, और उनकी बहन को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल एक फेक अकाउंट बनाने में हो रहा है.

कौन कर रहा था ये सब और क्यों?

जांच के बाद खुलासा हुआ कि इस पूरे मामले के पीछे सांची के पूर्व प्रेमी प्रतीम बोरा का हाथ था. सीनियर पुलिस अधिकारी सिज़ल अग्रवाल के अनुसार, 'सांची और बोरा के बीच रिश्ते खत्म होने के बाद बोरा ने बदला लेने के मकसद से यह पूरा प्लान रचा. उसने सांची की पुरानी तस्वीरों को मॉर्फ किया, फिर AI टूल्स जैसे ChatGPT और डिज़ाइन ऐप्स की मदद से डीपफेक कंटेंट बनाया और एक वर्चुअल इन्फ्लुएंसर खड़ी कर दी.' बोरा ने इस अकाउंट के ज़रिए न सिर्फ बदला लिया, बल्कि मोटी कमाई भी की. पुलिस का कहना है कि सिर्फ गिरफ्तारी से पहले के 5 दिनों में उसने 3 लाख रुपये कमाए और कुल मिलाकर लगभग 10 लाख रुपये इस अकाउंट से कमाए गए.

कब और कैसे हुआ मामला उजागर?

सांची सोशल मीडिया से दूर थीं, और उनके पूरे परिवार को उस अकाउंट से ब्लॉक कर दिया गया था। उन्हें इस बारे में तब ही पता चला जब वीडियो वायरल होने लगे. 11 जुलाई को परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज की. सांची ने जब पुलिस को बताया कि वह प्रतीम बोरा को जानती हैं, तो पुलिस ने इंस्टाग्राम से जानकारी हासिल कर तिनसुकिया जिले से 12 जुलाई को बोरा को गिरफ़्तार कर लिया. बोरा के पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन, हार्ड ड्राइव और बैंक दस्तावेज़ जब्त किए गए.

अब तक की जांच में क्या सामने आया?

  • अकाउंट पर कुल 282 पोस्ट थे, जो अब सार्वजनिक नहीं हैं.
  • लिंक्ट्री पर 3,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर्स थे.
  • आरोपी ने एडल्ट कंटेंट से मोटी कमाई की थी.
  • डीपफेक वीडियो पूरी तरह AI टूल्स से बनाए गए थे.
  • सांची को इस फेक प्रोफाइल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

क्या कहते हैं कानून और विशेषज्ञ?

बोरा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. जिनमें यौन उत्पीड़न, अश्लील सामग्री का प्रसार, साइबर अपराध, धोखाधड़ी और मानहानि शामिल हैं. दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है. AI कानून विशेषज्ञ मेघना बल का कहना है, 'सांची के साथ जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन अब ऐसे डीपफेक बनाना बहुत आसान हो गया है. पीड़ितों को अक्सर यह पता भी नहीं चलता कि वे किस हद तक निशाना बनाए जा रहे हैं.

क्या है आगे का रास्ता?

मेघना बल मानती हैं कि वर्तमान कानून काफी हद तक पर्याप्त हैं, लेकिन जनरेटिव AI और डीपफेक जैसे तकनीकी खतरों के लिए स्पष्ट और सख़्त नियमों की जरूरत है. उन्होंने आगाह किया कि कानून बनाते समय इस बात का ख्याल रखना होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न कुचली जाए, लेकिन शोषण और प्रतिशोध जैसे मामलों को गंभीरता से निपटाया जाए.

असम न्‍यूज
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