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असम के कछार में दोगुना हुआ नवजात की मृत्यु का आंकड़ा, अब तक 158 की हुई मौत

असम के कछार जिले में साल 2024 अप्रैल से नवंबर तक 158 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है. इन आकड़ों ने चिंता पैदा की है. वहीं जानकारी के अनुसार इनमें से करीब 50 से 60 फीसदी मौतें नवजात अवधि के दौरान हुई हैं.

असम के कछार में दोगुना हुआ नवजात की मृत्यु का आंकड़ा, अब तक 158 की हुई मौत
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( Image Source:  Representative Image/ Freepik )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 21 Nov 2024 6:44 PM

असम के कछार जिले में नवजात शिशु की मौत के आकड़ें काफी चिंताजनक रहे हैं. इसी साल अप्रैल से नवंबर 18 तक 158 बच्चों की मौत के आकंड़ें सामने आए हैं. यह आंकड़ा 2023 की तुलना में दोगुना तेजी को दर्शाता है. पिछली साल इसी समय तक 79 बच्चों की मौत का आकंड़ा सामने आया था. लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़ा है.

अगर सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों की अगर बात की जाए तो उनमें लखीपुर, सोनाई और धोलाई जैसे शहर सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले शहरों में से एक है. जानकारी के अनुसार इन इलाकों में पिछले कुछ महीनों में 10 से 12 शिशुओं की मौत हो चुकी है. जो बेहद ही चिंता के आंकड़ों की ओर इशारा करते हैं. साथ ही नवजात की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

डॉक्टरों ने बताया कारण

वहीं कछार के स्वास्थ्य सेवाओं के जॉइंट डॉयरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस डॉ. आशुतोष बर्मन ने कहा कि अप्रेस से लेकर नवंबर के के बीच में जिले के अंदर पांच साल सेकम उम्र के 158 शिशुओं की मौत हो गई है. उन्होंने बतया कि इनमें कई मौते लगभग जन्म के पहले या फिर जन्म के पहले 28 दिनों के दौरान दर्ज दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि इसका कारण जन्म के समय में दम घुटना समय है.

विभाग कर रहा कई कार्रवाई

डॉ. का कहना है कि इन आकड़ों में सुधार लाने के लिए कई कार्रवाइ की गई है. उन्होंने बताया कि सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएमसीएच) मूल कारणों का समाधान करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम पेश कर रहा है. साथ ही उन्होंने ये भी जानकारी दी कि नवजात शिशुओं की देखभाल केंद्र को मजूत करने और कर्मचारियों को दोबारा इस मामले में निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग रेफरल प्रक्रिया में भी सुधार और नवजात स्थिरीकरण इकाइयों (एनबीएसयू) की निगरानी को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है.

आशा कार्यकर्ताओं को सौंपा गया ये काम

डॉ. बर्मन ने कहा कि होम बेस्ड नवजात शिशू की देखभाल के लिए भी आशा कार्यकर्ताओं को घरों का दौरा करने और उनके स्वास्थ्य की स्थिति की निगरानी करने का काम और रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. वहीं A.H. सरकार स्टेट हेल्थ कंसल्टेंट जिन्होंने हालही में कछार के अस्पतालों की ऐसी सिचुएशन का दौरा किया और इसकी डिटेल रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंप दी जाएगी.

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