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असम सरकार का बड़ा फ़ैसला! दो से ज़्यादा बच्चे हुए तो पंचायत-नगर निगम चुनाव लड़ना बंद! इन्हें मिलेगी छूट

असम सरकार ने 5-6 दिसंबर 2025 को 'जनसंख्या एवं महिला सशक्तिकरण नीति (संशोधन)-2025' को अधिसूचित कर तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. यह देश की सबसे सख्त राज्य-स्तरीय परिवार नियोजन नीतियों में से एक है. सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाओं और रोजगार सृजन कार्यक्रमों के लिए सिर्फ दो जीवित बच्चों वाले व्यक्ति ही पात्र होंगे.

असम सरकार का बड़ा फ़ैसला! दो से ज़्यादा बच्चे हुए तो पंचायत-नगर निगम चुनाव लड़ना बंद! इन्हें मिलेगी छूट
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( Image Source:  Create By AI Sora )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 6 Dec 2025 2:23 PM

असम सरकार ने शुक्रवार को एक नई जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण नीति (संशोधन 2025) को मंजूरी दे दी है और इसे तुरंत लागू कर दिया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि राज्य में परिवार छोटे रहें, लोग दो बच्चों तक ही परिवार पूरा करें और समाज में परिवार नियोजन को बढ़ावा मिले.इस नई नीति में बहुत सारे सख्त नियम बनाए गए हैं.

असम सरकार चाहती है कि लोग छोटा परिवार रखें, कम उम्र में शादी न करें और पढ़े-लिखे लोग ही गांव-शहर की पंचायत और नगर निगम चलाएं इसके लिए उसने सरकारी नौकरी, चुनाव लड़ने और सरकारी मदद को ही हथियार बनाया है. कुछ पिछड़े और जनजातीय समुदायों को तीन बच्चों की छूट देकर सरकार ने संतुलन बनाने की कोशिश की है.इन्हें बहुत ही सरल और आसान भाषा में समझाते हैं:

सरकारी नौकरी के लिए नियम

अब असम में सरकारी नौकरी पाने के लिए व्यक्ति के सिर्फ दो ही बच्चे होने चाहिए। अगर तीसरा बच्चा हो गया तो सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. जो लोग पहले से सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें भी आगे चलकर दो बच्चों का नियम मानना होगा. वे समाज के लिए अच्छा उदाहरण बनें, इसलिए उन पर भी यह नियम लागू होगा.

कम उम्र में शादी करने वालों को सजा

अगर कोई लड़का या लड़की कानूनी उम्र (लड़की 18, लड़का 21) से पहले शादी कर लेता है, तो उसे कभी भी सरकारी नौकरी या सरकार की कोई रोजगार देने वाली योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

खास समुदायों को थोड़ी छूट

अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC), चाय बागान की जनजातियां, मोरन और मोटोक समुदाय के लोगों को तीन बच्चों तक की छूट दी गई है यानी इन समुदायों के लोग तीन बच्चे होने पर भी सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाओं का लाभ और स्वयं सहायता समूह (SHG) की सुविधाएं ले सकते हैं. बाकी सभी के लिए सख्ती से सिर्फ दो बच्चे ही मान्य होंगे.

स्वयं सहायता समूह (SHG) को इनाम

जिन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्य दो बच्चों (या खास समुदायों में तीन बच्चों) तक ही रुक जाते हैं, उन समूहों को सरकार अतिरिक्त अनुदान (पैसे) और विशेष सुविधाएं देगी.

पंचायत और नगर निगम चुनाव लड़ने पर रोक

अगर किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो वह पंचायत चुनाव या नगर निगम (म्युनिसिपल) के चुनाव नहीं लड़ सकेगा. सरकार इसके लिए जल्द ही कानून बनाएगी. इसी तरह के नियम अन्य स्थानीय निकायों के लिए भी लाए जा सकते हैं.

शिक्षा का भी नियम आने वाला है

पंचायत चुनाव लड़ने के लिए जल्द ही न्यूनतम पढ़ाई-लिखाई (जैसे 10वीं पास या 8वीं पास) का नियम भी लग सकता है.

विधायक बनने के लिए भी दो बच्चों का नियम

असम सरकार केंद्र सरकार से कहेगी कि हमारे राज्य के विधायक भी दो बच्चों से ज्यादा न रखें. अगर कोई विधायक तीसरा बच्चा पैदा करता है तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है और आगे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है.

किन बच्चों की गिनती होगी? सिर्फ जीवित बच्चे गिने जाएंगे

अपना बच्चा या कानूनी रूप से गोद लिया हुआ बच्चा भी गिना जाएगा. बच्चे को छोड़ देने या त्याग देने से यह नियम टल नहीं जाएगा, ऐसा करना गलत माना जाएगा.

कुछ खास मामलों में छूट मिल सकती है अगर दूसरी डिलीवरी में जुड़वां या तीन बच्चे एक साथ हो जाएं. अगर बच्चा दिव्यांग पैदा हो, ऐसे मामलों में सरकार एक-एक करके देखकर छूट दे सकती है. यह सारी नई नीति अभी से, यानी दिसंबर 2025 से ही लागू हो गई है. स्वास्थ्य विभाग ने इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है और इसे उनकी वेबसाइट पर भी डाल दिया गया है.

असम न्‍यूज
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