बंगाल के एंटी-रेप बिल में क्या-क्या है खास, जानें सजा-ए-मौत को लेकर पूरा अपडेट
बंगाल के एंटी-रेप बिल में क्या-क्या है खास, जानें सजा-ए-मौत को लेकर पूरा अपडेट

West Bengal Anti-Rape Bill: 9 अगस्त को, जहां भारत ने नीरज चोपड़ा की सिल्वर मेडल जीत के साथ विदेशों में परचम लहराया, वहीं पश्चिम बंगाल के कोलकाता से एक अत्यंत शर्मनाक खबर आई। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला दिया। इस घिनौनी घटना के विरोध में व्यापक प्रदर्शनों, कानूनी कार्रवाइयों और देशभर में अशांति फैल गई।
इन घटनाक्रमों के बीच,ममता बनर्जी की सरकार ने एक महत्वपूर्ण विधेयक को विधानसभा में पारित किया है, जिसे "एंटी-रेप बिल" नाम दिया गया है। इस बिल के पास होने के बाद, लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि इस बिल में क्या-क्या प्रावधान हैं और क्या रेपिस्ट को सीधे फांसी की सजा दी जाएगी। यदि ऐसा है, तो फांसी की सजा देने की प्रक्रिया कितनी तेजी से पूरी होगी? आइए, इस बिल के प्रमुख प्रावधानों और उनकी प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानें।
West Bengal Anti-Rape Bill: प्रमुख प्रावधान
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण विधेयक, "एंटी-रेप बिल,"* पारित किया है, जो यौन अपराधों और अपराधियों के खिलाफ कड़े प्रावधानों के साथ आया है। इस विधेयक के प्रमुख प्रावधान कुछ इस प्रकार है...
1. फांसी की सजा का प्रावधान: रेप और हत्या के अपराधियों के लिए सीधे फांसी की सजा का प्रावधान है। इसके तहत, चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का निर्णय लिया जाएगा।
2. जांच की अवधी: जांच को 21 दिनों के भीतर पूरा करना होगा, जिससे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जा सके।
3. सहायता देने पर सजा: अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
4. स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स: हर जिले में एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जो रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में कार्रवाई करेगी।
5. एसिड अटैक और जीवनकाल की सजा: एसिड अटैक को रेप के समान गंभीर मानते हुए, इसके लिए भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
6. पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा: यदि कोई पीड़िता की पहचान उजागर करता है, तो उसके खिलाफ 3-5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
7. BNSS प्रावधानों में संशोधन: विधेयक में रेप की जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए BNSS (Bengal Neglect of Sexual Offences) प्रावधानों में संशोधन शामिल है।
8. सुनवाई की समयसीमा: सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी।