World Junior Championships में भारत के धनुष ने दिखाया दम, 2 ब्रॉन्ज मेडल जीत देश का नाम किया रौशन
World Junior Championships : धनुष ने अपने शुरुआती करियर में राष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल की और यह साबित किया कि वे एक उभरते हुए वेटलिफ्टर हैं। लेकिन आर्थिक चुनौतियां अभी भी उनके सामने खड़ी हैं.

World Junior Championships : भारतीय वेटलिफ्टिंग का सितारा धनुष लोगनाथन ने हाल ही में स्पेन में आयोजित World Junior Championships में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से दो कांस्य पदक अपने नाम किए. तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले 17 वर्षीय धनुष ने स्नैच में 107 किलोग्राम और कुल 231 किलोग्राम (स्नैच और क्लीन एंड जर्क मिलाकर) उठाकर भारत का गौरव बढ़ाया.
धनुष, जो Group B का हिस्सा थे, को उन लिफ्टर्स से मुकाबला करना पड़ा जो Group A में अधिक वज़न के साथ प्रवेश कर चुके थे. धनुष ने न केवल प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन किया बल्कि कई अन्य वेटलिफ्टर्स के कमज़ोर प्रदर्शन का फायदा उठाते हुए कांस्य पदक जीतने में सफल रहे. उन्होंने बताया, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं पदक जीतूंगा, मेरा लक्ष्य केवल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना था. जब मैंने अपने सभी प्रयास पूरे कर लिए, तब मुझे लगा कि मैं छठे या सातवें स्थान पर रहूंगा, लेकिन अंत में सब कुछ मेरे पक्ष में चला गया."
संघर्ष और सफलता की कहानी
धनुष का सफर तिरुवल्लूर से शुरू हुआ, जहां वे एक बढ़ई के बेटे हैं. उनके पिता ने हमेशा उनका समर्थन किया, भले ही इसके लिए उन्हें कर्ज़ क्यों न लेना पड़ा. धनुष ने तीन साल पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) औरंगाबाद में ट्रेनिंग शुरू की थी. इससे पहले, दो बार के ओलंपियन राघवन चंद्रशेखरन ने उन्हें प्रशिक्षित किया, जिन्होंने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. धनुष ने कहा, "चंद्रशेखरन सर ने न केवल मुझे वेटलिफ्टिंग सिखाई बल्कि शुरुआती दिनों में मेरी आर्थिक मदद भी की. उन्होंने मुझे बताया कि और सुधार की गुंजाइश है."
धनुष ने बताया, "मेरे पिता ने मेरे राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए यात्रा खर्च के लिए कर्ज़ लिया. मेरी बहन यमुना भी वेटलिफ्टर है, और मेरे पिता उनकी भी मदद करते हैं. हमें किसी स्पॉन्सर की बहुत ज़रूरत है जो हमारी मदद कर सके."
उनके कोच राघवन चंद्रशेखरन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वजन श्रेणी बदलना आसान नहीं है, क्योंकि शरीर के वजन और प्रदर्शन की लगातार निगरानी की आवश्यकता होती है. "धनुष को धैर्य रखना होगा क्योंकि उच्च वजन श्रेणी में स्थानांतरित होना आसान नहीं होता है. इसके लिए निरंतर मेहनत और अनुशासन की आवश्यकता है," चंद्रशेखरन ने कहा.
संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ते कदम
धनुष की कहानी केवल पदक जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके संघर्षों और कठिनाइयों का प्रतीक भी है. एक बढ़ई के बेटे के रूप में, उन्होंने न केवल आर्थिक चुनौतियों का सामना किया बल्कि अपने खेल में भी उत्कृष्टता प्राप्त की. उनके कोच, परिवार और दोस्तों की मदद से उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है.