सहवाग, धोनी और गांगुली जैसे खिलाड़ियों के टेस्ट करियर पर BGT ने लगा दिया था ब्रेक, क्या कोहली और रोहित का भी यही हाल होगा?
Rohit and Kohli : यह सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए मील का पत्थर साबित होगी. युवा और सीनियर खिलाड़ियों का तालमेल अगर एकजुट होकर दमदार प्रदर्शन करता है, तो यह टीम ना सिर्फ जीत की नई कहानी लिख सकती है बल्कि WTC फाइनल की दौड़ में भी मजबूती से खड़ी हो सकती है.

भारतीय क्रिकेट के लिए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) सिर्फ एक सीरीज नहीं, बल्कि मान-सम्मान और करियर की दिशा तय करने वाला एक मंच बन चुकी है. अतीत में कई महान भारतीय खिलाड़ियों का टेस्ट करियर इसी सीरीज के बाद समाप्त हुआ है. वीरेंद्र सहवाग, एमएस धोनी, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ियों ने इसी सीरीज के बाद अपने टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया. अब सवाल उठता है कि क्या विराट कोहली, रोहित शर्मा और आर अश्विन के टेस्ट करियर का भविष्य भी इसी ट्रॉफी पर निर्भर है?
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में बने रहने की चुनौती
भारत ने हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में हार का सामना किया, जिससे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंचने की संभावनाओं पर गहरा असर पड़ा है. अब अगर टीम इंडिया को WTC फाइनल में जगह बनानी है, तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 4-0 जैसी जोरदार जीत दर्ज करनी होगी. यह सीरीज भारतीय टीम और उसके वरिष्ठ खिलाड़ियों के लिए बेहद अहम हो गई है, खासकर तब, जब टीम का हालिया प्रदर्शन औसत से कम रहा है.
प्रदर्शन पर टिकी है सीनियर खिलाड़ियों की विरासत
विराट कोहली और रोहित शर्मा, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में बेहतरीन रिकॉर्ड्स बनाए हैं, पिछले कुछ टेस्ट मैचों में अपने प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रख पाए हैं. विराट कोहली, जो एक समय टेस्ट क्रिकेट के सबसे प्रभावशाली बल्लेबाजों में से एक माने जाते थे, अब संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. इसी तरह रोहित शर्मा का भी हालिया प्रदर्शन उनकी बल्लेबाजी के स्तर के अनुसार नहीं रहा है. आर अश्विन ने हाल के मैचों में कुछ शानदार पारियां खेली हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन भी हमेशा संतुलित नहीं रहा.
इतिहास के पन्नों में BGT और बड़े खिलाड़ी
भारत की क्रिकेट इतिहास में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी ने हमेशा खिलाड़ियों के करियर में निर्णायक मोड़ दिया है. उदाहरण के लिए, एमएस धोनी, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी इस सीरीज के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. इन दिग्गजों के टेस्ट करियर का अंत भी बीजीटी के साथ ही जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है. अगर वर्तमान सीनियर खिलाड़ी इस बार सीरीज में प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पाते, तो उनका टेस्ट करियर भी एक प्रश्नचिह्न के घेरे में आ सकता है.
क्या दोहराएगा इतिहास खुद को?
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी इतिहास दोहराया जाएगा. क्या बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी एक बार फिर से वरिष्ठ खिलाड़ियों के करियर का आखिरी अध्याय लिखेगी? या विराट, रोहित और अश्विन अपनी विरासत को और मजबूत करते हुए टीम इंडिया को WTC फाइनल तक पहुंचाएंगे?