कौन हैं रुबीना फ्रांसिस, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक्स में रचा इतिहास?
पैरालंपिक्स 2024 में भारतीय शूटरों ने जमकर जलवा दिखाया है. रुबीना फ्रांसिस ने भी इस क्रम को जारी रखा और भारत के लिए कांस्य जीता और मेडल टैली को आगे बढ़ाया.

पैरालंपिक्स 2024 भारत के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है. भारत ने शूटिंग में कमाल किया है. भारत के पास गोल्ड है, सिल्वर है और ब्रॉन्ज भी है. भारत का तिरंगा भी बजा, भारत का डंका भी. भारत की बेटियों ने गजब कमाल किया है. अवनि लेखरा ने अपनी जीत से कमाल करने की शुरुआत की और रुबीना ने शूटिंग में भारत को एक और मेडल दिलाया.
पैरालंपिक्स 2024 में भारत के शूटरों ने कमाल किया है. अवनि लेखरा, मोना अग्रवाल के बाद रुबीना फ्रांसिस ने भी गजब कमाल किया है. उन्होंने शनिवार को 31 अगस्त को शूटिंग के एक मुकाबले में इतिहास रच दिया है. उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 कंपटीशन में कांस्य पदक अपने नाम किया है. शारीरिक बाधाओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने यह शानदार जीत अपने नाम दर्ज की है.
रुबीना के लिए यह संघर्ष आसान नहीं रहा है. महज 25 साल की उम्र में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर ली है लेकिन इसके पीछे उनका संघर्ष बहुत बड़ा है. वे जन्म से ही टैलिप्स नाम की एक बीमारी से पीड़ित थीं. इस बीमारी को क्लब फुट के नाम से भी जाना जाता है. वे स्थिर खड़ी नहीं पाती थीं, उनसे निशाना चूक जाता था. लगातार मेहनत से उन्होंने सब बदल दिया. उन्होंने बाधाओं को पार करने के लिए बैठकर निशाना लगाना सीखा.
कौन हैं रुबीना फ्रांसिस?
मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर जबलपुर से आने वाली रुबीना ने इसे बाधा नहीं बनने दिया. वे ओलंपिक मेडलिस्ट गगन नारंग को अपनी प्रेरणा मानती हैं. उन्होंने अपने आइकॉन से प्रेरणा लेकर मेहनत की और अपना नाम बनाया. वे बैठकर भी स्थिर नहीं रह पाती थीं, इसलिए उनके कोच ने स्पेशल जूते डिजाइन कराए. उनके कोच जेपी नौटियाल ने उन पर जी-तोड़ मेहनत की और लक्ष्य के प्रति सचेत करते रहे.
पिस्टल शूटिंग में उन्होंने अपनी मेहनत से देश को पहला मेडल दिलाया. उनके पिता एक गैराज चलाते हैं और मां नर्स हैं. उनके घर में तमाम आर्थिक संघर्ष थे लेकिन उन्होंने मेहनत से खुद को हर बार साबित किया. साल 2015 में रुबीना ने पहली बार एमपी शूटिंग में एडमिशन लिया. यहीं उन्हें बेसिक ट्रेनिंग मिली.
कैसे सफल होती गईं रुबीना फ्रांसिस?
साल 2018 फ्रांस वर्ल्ड कप में खेलकर उन्हें एहसास हुआ कि अब वे पैरालंपिक्स खेलों के लिए खुद को तैयार करेंगी. उन्होंने साल 2021 में पेरू के लीमा में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीत लिया और एशियन गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किया. पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्होंने 211.1 स्कोर से 8 महिलाओं के साथ फाइनल मुकाबले में तीसरा स्थान हासिल किया. वे इसमें पैरालंपिक पदक हासिल करने वाली पहली महिला शूटर बन गईं.