कौन हैं प्रीति पाल, जिन्होंने पैरा एथेलिटिक्स में भारत को दिलाया मेडल?
सिर्फ 14.21 सेकेंड में दौड़ पूरी करके भारत की प्रीति पाल ने देश के लिए कांस्य पदक हासिल किया. ऐसा इतिहास रचने वाली प्रीति की उम्र सिर्फ 17 साल है.

प्रीति पाल, पैरालंपिक्स 2024 में पैरा-एथलेटिक्स में पदक हासिल कर नया इतिहास रचा है. यह भारत का पहला मेडल है. पेरिस पैरालंपिक्स 2024 भारत के लिए सबसे सफल साबित होने जा रहा है. 100 मीटर की T35 की रेस में प्रीति ने कांस्य पदक हासिल किया है. उन्होंने ये दौड़ महज 14.21 सेकेंड में पूरा कर लिया. देश के लिए ये पदक ऐतिहासिक है.
प्रीति पाल ने पेरिस ओलिंपिक 2024 में कमाल किया है. उन्होंने पैरा-एथलेटिक्स में पहला पदक जीतकर देश को पहला पदक दिला दिया है. 30 अगस्त को हुए इस मुकाबले में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया. ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी बन गईं. 100 मीटर की T35 रेस में अपनी कड़ी ट्रेनिंग की बदौलत उन्होंने शानदार जीत हासिल कर लिया. उन्होंने 14.21 सेकेंड में यह कारनामा किया है. चीन की जिया झोउ और कियानकियान गुओ ने 13.58 और 13.74 सेकेंड में मुकाबला जीतकर क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक जीता. प्रीति पाल, उत्तर प्रदेश के मुजप्फरनगर से आती हैं.
बचपन से ही झेलीं शारीरिक चुनौतियां
प्रीति पाल, T35 में खेलती हैं. हाइपरटोनिया, एटेक्सिया, एथेटोसिस और सेरब्रेल पाल्सी जैसी चुनौतियों से जूझ रहे लोगों को इस वर्ग में खिलाया जाता है. प्रीति बेहद कम उम्र की हैं. उनका जन्म 22 सितंबर 2000 को हुआ था. वे किसान परिवार में जन्मी हैं, वे बचपन से ही गंभीर शारीरिक चुनौतियों से जूझती रही हैं.
जन्म के 6 दिन के बाद उन्हें प्लास्टर चढ़ाना पड़ा था. उनके पैर कमजोर हो गए थे और पैर टेढ़े हो गए थे. उन्हें कई बीमारियों से जूझना पड़ा. उन्होंने इसे ठीक करने के लिए कई प्राकृतिक उपचार कराए लेकिन कामयाबी नहीं मिली. महज 5 साल की उम्र में प्रीति ने कैलिपर्स पहनना शुरू कर दिया था. 8 साल तक उन्होंने इसे पहनना जारी रखा. वे इन मुश्किलों के बाद भी अच्छा खेलती रहीं और तमाम विरोधों के बाद भी खुद को साबित कर दिया.
17 साल की उम्र में प्रीति ने ठान लिया कि उन्हें देश के लिए मेडल लाना है. उन्होंने स्टेडियम में एथलेटिक्स की कठिन प्रैक्टिस शुरू की. उनके सामने आर्थिक दिक्कतें भी थीं. पैरा एथिलीट फातिमा खातून से मिलकर उनकी जिंदगी बदल गई. उनकी मदद से साल 2018 में प्रीति को पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल हुईं. उन्होंने एशियन पैरा गेम्स 2022 में क्वालिफाई किया. वे 100 मीटर और 200 मीटर दोनों स्प्रिंट गेम्स में चौथे स्थान पर रहीं. उन्होंने पदक तो नहीं हासिल किया लेकिन पैरालंपिक्स में जीत की भूमिका तैयार हो गई. उनके कोच गजेंद्र सिंह ने लगातार मेहनत की. अब उन्होंने पूरे देश का मान बढ़ा दिया है.