लगातार शून्य पर आउट होने के बाद गंभीर और SKY ने सैमसन को कौन सा डोज दे दिया?
Sanju Samson : सैमसन के लिए यह समय आत्मनिरीक्षण और अपनी गलतियों से सीखने का है. बेशक, वह बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और उनका बल्ला जब चलता है, तो विरोधी टीमों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देता है. लेकिन निरंतरता की कमी और मानसिक रूप से खुद को संभालने की चुनौती ने उनके करियर में अड़चनें डाली हैं.

Sanju Samson : भारत के प्रतिभाशाली विकेटकीपर-बल्लेबाज़ संजू सैमसन का करियर हमेशा से ही उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. उनकी क्षमता और टैलेंट के बावजूद, उन्हें भारतीय टीम में स्थायी जगह पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. हाल ही में, सैमसन के लिए भारतीय टीम में वापसी का एक और मौका मिला, जब उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज़ में सलामी बल्लेबाज़ के रूप में उतारा गया. यह सीरीज़ एक तरह से उन खिलाड़ियों के लिए 'ऑडिशन' थी, जिन्हें टीम में अपनी जगह बनाने का मौका मिल सकता था. लेकिन लगातार असफलताएँ और टीम से बाहर किए जाने के कारण सैमसन का आत्मविश्वास काफी हद तक डगमगा गया था.
शानदार पारी के बाद मिली तारीफ
सैमसन ने बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज़ में बल्ले से आग उगली, उन्होंने मात्र 22 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया और फिर रिषाद हुसैन को लगातार पाँच छक्के लगाते हुए 40 गेंदों में अपने करियर का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय शतक जड़ा. यह भारतीय खिलाड़ियों में दूसरी सबसे तेज़ टी20 शतक थी, और सैमसन ने यह साबित कर दिया कि उनके पास बड़े मैचों में धमाकेदार प्रदर्शन करने की काबिलियत है. इससे पहले, उन्होंने पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भी एकदिवसीय शतक बनाया था, और वे टी20 में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर बने थे.
लगातार असफलताओं ने तोड़ा हौसला
हालांकि, पिछले 15 महीने सैमसन के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे. अगस्त 2023 में उन्हें श्रीलंका में एशिया कप के लिए ट्रैवलिंग रिज़र्व के रूप में चुना गया था, लेकिन केएल राहुल के फिट होते ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. इसके बाद, उन्हें न केवल वनडे वर्ल्ड कप से बाहर रखा गया बल्कि टी20 सीरीज़ के लिए भी नज़रअंदाज़ किया गया.
जनवरी में अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज़ में उन्हें खेलने का मौका मिला, लेकिन वे केवल एक ही मैच में शून्य पर आउट हो गए. लगातार खराब प्रदर्शन और चयनकर्ताओं की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने के कारण उनका हौसला डगमगा गया. जुलाई में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ अर्धशतक जड़ने के बाद भी श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज़ में सैमसन शून्य पर आउट हुए, जो उनके करियर की एक और कठिन घड़ी साबित हुई.
गंभीर और सूर्यकुमार के संदेश ने संजू में भरा जोश
जब खिलाड़ी लगातार संघर्ष कर रहा हो, तो कभी-कभी टीम के भीतर या बाहर के लोग उसे सलाह देते हैं, जो मानसिक स्थिति पर असर डाल सकती है. सैमसन के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. गौतम गंभीर, जो उस समय भारतीय टीम के मुख्य कोच थे, ने सैमसन को बेहतर खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. वहीं सूर्यकुमार यादव, जो खुद भी बल्ले से शानदार फॉर्म में थे, ने सैमसन को उनके संघर्षों से उबरने की सलाह दी. लेकिन इन सलाहों ने सैमसन को प्रोत्साहन देने की बजाय अंदर से नाराज़ कर दिया.
सैमसन ने एक इंटरव्यू में कहा, “मैं केरल लौटते समय सोच रहा था, ‘क्या होगा...’. टीम से बाहर होना और लगातार असफलताएँ मिलना वाकई में निराशाजनक था. गंभीर और सूर्यकुमार ने मुझे संदेश भेजकर जो कहा, वह शायद सही समय पर नहीं आया और मैं उसे गलत तरीके से ले गया.”
अंतरराष्ट्रीय करियर में स्थिरता की तलाश
संजू सैमसन का अंतरराष्ट्रीय करियर अभी भी उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाया है, जिसका उनके प्रशंसकों और भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को इंतजार है. उनकी आईपीएल में धमाकेदार प्रदर्शन ने हमेशा से उन्हें टीम में बनाए रखा है, लेकिन वे अब तक नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हैं.
आगे की राह
अब यह देखना होगा कि संजू सैमसन भारतीय टीम में अपनी जगह फिर से कैसे बनाते हैं. क्या वे अपने मानसिक संघर्षों से उबरकर एक नई शुरुआत करेंगे? क्या चयनकर्ताओं का भरोसा फिर से जीत पाएंगे? इन सवालों का जवाब समय ही देगा. फिलहाल, सैमसन के पास अपनी क्षमता साबित करने का अवसर है, और भारतीय क्रिकेट प्रेमी भी उनकी वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं.