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एक क़ैदी, खोदी गई पिच और ऑस्ट्रेलिया की एशेज जीत की हैरान कर देने वाली कहानी

साल 1975 की एशेज़ सीरीज़ का हेडिंग्ले टेस्ट इतिहास में सबसे अजीब घटनाओं में दर्ज है. इंग्लैंड जीत की ओर था, लेकिन मैच से पहले कुछ उपद्रवियों ने पिच खोद दी और उस पर तेल डाल दिया. वजह थी एक कैदी जॉर्ज डेविस की रिहाई की मांग. पिच को खेल लायक न मानकर मैच रद्द कर दिया गया. इससे सीरीज़ बराबरी पर न सिमट सकी और ऑस्ट्रेलिया ने एशेज़ बरकरार रखी. बाद में डेविस को माफी भी मिल गई. यह वाकया खेल और राजनीति के टकराव का प्रतीक बन गया.

एक क़ैदी, खोदी गई पिच और ऑस्ट्रेलिया की एशेज जीत की हैरान कर देने वाली कहानी
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( Image Source:  X/@ICC )

क्रिकेट के मैदान पर वो भी एशेज़ जैसी प्रतिष्ठित सिरीज़ के दौरान कि यह हैरान करने वाली कहानी अगस्त 1975, यानी ठीक 50 साल पहले, की है. तब एशेज़ सिरीज़ के दौरान बर्मिंघम में खेला गया पहला टेस्ट मैच जीत कर ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ में 1-0 से आगे था. लॉर्ड्स में दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा पर हेडिंग्ले में इंग्लैंड का पलड़ा भारी था. उसने पहली पारी में 288 रन बनाए, ऑस्ट्रेलिया को 135 रन पर आउट कर दिया और दूसरी पारी में 291 रन बना कर कंगारुओं के सामने जीत के लिए 445 रनों का लक्ष्य रखा था.

मुश्किल लक्ष्य था पर जब कप्तान इयान चैपल आउट होकर गुस्से में पवेलियन लौटे तो उनके दिमाग़ में एक आइडिया आया और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग ऑर्डर में थोड़ा बदलाव कर दिया तो मैच उनके पक्ष में मुड़ने लगा.

जब चैपल गुस्से में लौटे पवेलियन

जब दूसरी पारी में जब ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल 62 रन बना कर खेल रहे थे, (ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 161 रन था) तब उन्हें (इयान चैपल को) क्रिस ओल्ड की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया गया. अंपायर के फ़ैसले से नाख़ुश चैपल लौटते वक़्त इतना गुस्से में थे कि (तीसरे बल्लेबाज़ के रूप में मैदान में जाते) अपने भाई ग्रेग चैपल से बात तक नहीं किए. ड्रेसिंग रूम में पहुंच कर ज़ोर से उसका दरवाज़ा बंद किए और नहाने के लिए शॉवर में घुस गए, दीवार पर साबुन फ़ेंके और अपने ऑस्ट्रेलियाई भाषा में गालियां बकने लगे. काफ़ी देर तक नहाते हुए जब उनका गुस्सा शांत हुआ तब उनके दिमाग़ में एक विचार कौंधा.

Image Credit: X/ICC

गुस्सा शांत हुआ तो चैपल को सूझा आइडिया और...

तब ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज़ रिक मैक्कॉस्कर अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे और एक बड़े स्कोर की ओर बढ़ रहे थे. चैपल के मुताबिक़, "रिक मैक्कॉस्टर पहले से अच्छी बैटिंग कर रहे थे. तो मुझे लगा कि अगर स्टंप्स होने तक रिक और मैं पिच पर होता तो हम ये मैच जीत जाते. फ़िर जैसे मुझे कुछ आभास सा हुआ कि वाल्टर्स शतक जमाएंगे. और फ़िर जैसे ही मैं ड्रेसिंग रूम में पहुंचा मैंने फ़ैसला ले लिया. हमें वो मैच हर हाल में जीतना था." चैपल कहते हैं, "अचानक मुझे लगा कि अगर डग (वाल्टर्स) नई गेंद लिए जाने से पहले पिच पर जाएं तो उनके पास 10-12 ओवर होंगे और इस पिच पर आसानी से शतक बना सकते हैं.” चैपल तौलिया लपेटे बालकनी में आ गए और वाल्टर्स को तुरंत ही पैड पहनने के लिए कहा. अगले बल्लेबाज़ के तौर पर एडवर्ड्स को जाना था, तो वाल्टर्स ने जब कैप्टन के मुंह से ये सुना तो हैरान हो गए और उन्होंने कप्तान को याद दिलाया कि उन्हें अभी बल्लेबाज़ी नहीं उतरना है. फ़िर चैपल ने उन्हें साफ़ शब्दों में निर्देश दिया, "डग, जाओ और पैड पहन लो. तुम बैटिंग करोगे. गेंद पुरानी हो चुकी है, तो जाओ जाकर उस पर तेज़ हिट लगाओ. तुम्हें अच्छी शुरुआत मिलेगी- मैंने तुम्हें यहां से भी ख़राब पिचों पर शतक जमाते हुए देखा है, ये तो उन ख़राब पिचों की तुलना में अच्छी पिच है."

साथ ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के जेहन में तब 1948 का वो मैच था जिसमें डॉन ब्रैडमैन की टीम ने 404 रन बना कर उस सिरीज़ का चौथा मुक़ाबला जीता था. अभी इयान चैपल के डग (वाल्टर्स) से बात करने के कुछ ही देर बाद उनके छोटे भाई ग्रेग चैपल आउट हो गए और वाल्टर्स बैटिंग के लिए पिच पर आ गए. दिन के आख़िरी 49 मिनटों में मैक्कॉस्कर और वाल्टर्स ने बग़ैर किसी परेशानी 46 रन जोड़ दिए और नाबाद रहे. इस तरह चौथे दिन स्टंप्स तक उसने केवल तीन विकेट पर 220 रन बना लिए. अंतिम दिन जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को महज़ 225 रनों की ज़रूरत थी तो मेज़बानों को केवल सात विकेट चाहिए थे. दर्शकों को अंतिम दिन एक रोमांचक मैच देखने की उम्मीद थी क्योंकि मैच लगभग बराबरी पर आ गया था, पर होना कुछ और ही था.

खोदी गई पिच, डाल दिया गया तेल

मैच के अंतिम दिन सुबह जब ग्राउंड्समैन ने पिच से कवर हटाया तो दृश्य चौंका देने वाला था. चैपल जब सो कर उठे तो उन्हें टीम के मैनेजर ने बताया कि बीती रात उपद्रवियों ने पॉपिंग क्रीज़ के पास पिच पर गड्ढा खोद दिया है और उस जगह पर एक गैलन तेल डाल दिया है. इयान चैपल के पास नहाने तक का समय नहीं था. हालांकि इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग को कपड़े पहनने के लिए थोड़ा वक़्त मिल गया था. उनके पास यॉर्कशर के सचिव जो लिस्टर का फ़ोन आया और उन्हें मैदान पर बुलाया गया था. पिच पर जब दोनों कप्तान पहुंचे तो फ़ोटो ली गई. तब टोनी ग्रेग सूट और टाई पहने हुए थे तो चैपल जल्दी-जल्दी किसी तरह जम्पर और चप्पल में पहुंचे थे. वो आख़िरी दिन बादलों से घिरा हुआ था. हेडिंग्ले के ग्राउंड्समैन जॉर्ज कॉथ्रे ने कवर हटाए तो देखा कि पिच गड्ढों से भरी हुई है और तेल से भीगी हुई है. उन्होंने पुलिस को बुला लिया. मैच अंपायर आर्थर फैग और डेविड कॉन्स्टेंट ने कप्तानों को बताया कि गड्ढों को भर कर भी अगर मैच शुरू किया गया तो पिच का व्यवहार निश्चित रूप से बदलेगा.

अंपायरों ने ऐसी स्थिति में आईसीसी के नियम बताए जिसके अनुसार अगर दोनों कप्तान सहमत हों तो मैच रद्द किया जा सकता है. चैपल के दिमाग़ में सबसे पहले अंडरवुड का ख़्याल आया कि अगर वो अपनी घातक गेंदें इस तेल लगी पिच पर डालें तो क्या कर सकते हैं. इससे पहले कि वो कुछ कहते टोनी ग्रेग सामने आए और अंपायरों से बोले, "मैं आपकी बात से सहमत हूं, ये पिच खेलने लायक नहीं है और मुझे लगता है कि मैच को रद्द करना होगा." क्रिकेट के मैदान पर टोनी ग्रेग के साथ इयान चैपल के रिश्ते कभी उतने अच्छे नहीं रहे, पर उस दिन उन्होंने ग्रेग से हाथ मिलाया और बोले, "इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मित्र, मैं. इसकी कद्र करता हूं." हालांकि, मैच जारी रखा जा सके इसके लिए वहीं मैदान में पिच के पास कोई और पिच की तलाश भी की गई पर इसके सकारात्मक नतीजे नहीं आए और हेडिंग्ले टेस्ट मैच रद्द कर दिया गया. स्टेडियम में औऱ टीवी पर लाखों की संख्या में अंतिम दिन का रोमांच देखने की आस में नज़रें जमाए दर्शक बहुत निराश हुए. जिन लोगों ने हेडिंग्ले की पिच को नुकसान पहुंचाया था उनमें संयोगवश एक नाम पीटर चैपल का भी था.

आखिर पिच क्यों खोदी गई

दरअसल, उस समय एक मिनीकैब ड्राइवर जॉर्ज डेविस को छुड़ाने के लिए इंग्लैंड में अभियान चल रहा था. उन्हें हथियार के साथ डकैती के आरोप में दोषी मानते हुए अदालत ने 20 साल की सज़ा सुनाई थी. पर सड़कों पर डेविस के समर्थन में हज़ारों की संख्या में लोग उतर आए थे और उन्हें निर्दोष मानते हुए उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे. हेडिंग्ले में न केवल पिच खोदी गई और उस पर तेल डाला गया बल्कि वहां की दीवारों पर ये भी लिखा गया कि 'जॉर्ज डेविस निर्दोष है'. आख़िर हेडिंग्ले टेस्ट को ड्रॉ करने का फ़ैसला लिया गया. पर हैरानी की बात ये है कि पिच खोदे जाने ने जैसे ही उस टेस्ट मैच का फ़ैसला किया वहां बारिश शुरू हो गई और उस पूरे दिन होती रही. तो अगर पिच ठीक भी होती तो बारिश की वजह से वो टेस्ट मैच ड्रॉ ही समाप्त होता.

यह सिर्फ़ एक क्रिकेट की कहानी नहीं...

यह रद्द किया गया मैच आख़िर सिरीज़ का फ़ैसला करने वाला साबित हुआ क्योंकि द ओवल पर खेला गया अंतिम टेस्ट मैच भी ड्रॉ रहा और इंग्लैंड सिरीज़ की बराबरी करने में नाकाम रहा. इस तरह ऑस्ट्रेलिया एशेज को बरकरार रखने में कामयाब हो गया. द गार्जियन की एक ख़बर के मुताबिक़ पिच को खोदने के लिए चार लोगों पर मुक़दमा चला. तीन को फटकार लगाते हुए सख़्त हिदायत दी गई तो उनमें से एक को 18 महीने जेल की सज़ा सुनाई गई. इस बीच, उस सज़ायाफ़्ता क़ैदी जॉर्ज डेविस के समर्थन में विरोध प्रदर्शन और भी बड़ा रूप ले लिया, लोग सड़कों पर उतर गए. यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने एक अख़बार और बकिंघम पैलेस की गेट पर गाड़ी घुसा दी, आख़िर लंबे चले इस प्रदर्शन का नतीजा भी आया. 1976 में जॉर्ज डेविस के दोषी ठहराए जाने को असुरक्षित मानते हुए शाही परिवार की ओर से उन्हें क्षमादान दे दिया गया. हालांकि, अदालत ने जॉर्ज डेविस को दोषी ठहराए जाने के निर्णय को औपचारिक रूप से 2011 में निरस्त किया. इसके साथ ही यह क्रिकेट के इतिहास का एक ऐसा वाकया बन गया जब न्याय की खोज में आम लोग इस खेल से टकराए और क्रिकेट एक राजनीतिक तमाशा भर बन गया और न केवल इससे टेस्ट मैच का स्कोरबोर्ड प्रभावित हुआ बल्कि इसने आमजनों के जेहन पर एक अपनी छाप छोड़ दी.

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