Rachael Heyhoe Flint: ऐतिहासिक बदलाव लाने वाली वो महिला क्रिकेटर जिन्हें लॉर्ड्स ने दिया ऊंचा दर्जा
रेचल हेहो फ़्लिंट महिला क्रिकेट की क्रांतिकारी हस्ती थीं. उन्होंने 1973 में पुरुषों से पहले महिला वनडे वर्ल्ड कप शुरू करवाया और इंग्लैंड को पहला खिताब दिलाया. लॉर्ड्स में उनके नाम पर गेट बनने वाली वो पहली महिला बनीं. 1966-78 तक इंग्लैंड की कप्तान रहीं और टेस्ट में छक्का मारने वाली पहली महिला बनीं. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने MCC में महिलाओं की एंट्री का रास्ता खोला. उनके नाम पर आज भी इंग्लैंड में रेचल हेहो फ़्लिंट ट्रॉफी खेली जाती है.
आपमें से कइयों को पता होगा कि पुरुष क्रिकेट का पहला वनडे वर्ल्ड कप 1975 में खेला गया था. लेकिन क्या आप ये भी जानते हैं कि महिलाओं का पहला वनडे वर्ल्ड कप कब हुआ था? यह जानने से पहले बता दूं कि बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे पर गई टीम इंडिया के प्रैक्टिस सेशन का एक वीडियो एक्स पर पोस्ट किया है. उस वीडियो में लंदन और ऐतिहासिक लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम की कुछ झलकियां भी हैं. उस वीडियो में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के एक गेट की तस्वीर दिख रही है. जिस पर लिखा है हेहो फ्लिंट गेट.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लॉर्ड्स में इससे पहले केवल एक ही क्रिकेटर सर डब्ल्यू जी ग्रेस के नाम पर गेट था. इस तरह हेहो फ़्लिंट पहली ऐसी महिला और डब्ल्यू जी ग्रेस के बाद सिर्फ़ दूसरी ऐसी क्रिकेटर हैं जिनके नाम पर क्रिकेट के मक्का यानी लॉर्ड्स में एक गेट है. लॉर्ड्स ने चार साल पहले ही अपने ईस्ट गेट का नाम बदल कर रेचल हेहो फ़्लिंट (Rachael Heyhoe Flint) के सम्मान में उनके नाम पर रखा.
कौन हैं हेहो फ़्लिंट जिनके नाम दर्ज हैं कई रिकॉर्ड?
महिला क्रिकेट में हेहो फ़्लिंट का नाम एक बड़े परिवर्तनकारी क्रिकेटर के रूप में रहा है जिन्होंने न केवल अपने क्रिकेट करियर के दौरान इंग्लैंड की लिए उपलब्धियां हासिल कीं बल्कि रिटायरमेंट के बाद भी वो क्रिकेट के लिए बेहद सक्रिय रहीं. हेहो फ़्लिंट का जन्म 11 जून 1939 को हुआ था. हेहो फ़्लिंट ने 1960 में इंग्लैंड के लिए डेब्यू किया और छह साल बाद बतौर कप्तान अपनी पहली सिरीज़ में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ अपना पहला टेस्ट शतक बनाया. वो 1966 से 1978 तक इंग्लैंड की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान थीं. उनकी कप्तानी में इंग्लैंड को लगातार छह सिरीज़ में कोई टीम हरा नहीं सकी. टेस्ट क्रिकेट में छक्का जमाने वाली हेहो फ़्लिंट पहली महिला क्रिकेटर भी थीं.
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरुआत, वो भी पुरुषों के विश्व कप से पहले. पुरुषों का वनडे वर्ल्ड कप 1975 में शुरू हुआ था जबकि महिलाओं को वनडे वर्ल्ड कप उससे दो साल पहले 1973 में ही शुरू हो गया था, तो इसमें हेहो फ़्लिंट की बड़ी भूमिका थी. इतना ही नहीं, इंग्लैंड उनके नेतृत्व में पहले वर्ल्ड कप की विजेता टीम भी बनी.
लॉर्ड्स पर 1976 में खेले गए पहले अंतरराष्ट्रीय महिला एकदिवसीय मैच में इंग्लैंड ने हेहो फ़्लिंट की कप्तानी में ही ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराया था. अपने क्रिकेट करियर के दौरान हेहो फ़्लिंट ने 22 टेस्ट और 23 अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच खेले, इनमें उनका औसत क्रमशः 45.54 और 58.45 रहा. मैदान पर क्रिकेट में उनके जबरदस्त योगदान की बदौलत उन्हें 2010 में आईसीसी हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया.
क्रिकेट से इतर हेहो फ़्लिंट
क्रिकेट के अलावा हेहो फ़्लिंट ने हॉकी में भी अपनी राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. वो 1964 में बतौर गोलकीपर हॉकी टीम में खेली थीं. इसके अलावा वो स्टैफ़ोर्डशर के लिए गोल्फ़, स्क्वाश और हॉकी खेलती थीं. क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने वॉल्वरहैम्प्टन क्रॉनिकल के लिए बतौर पत्रकार काम किया. वो डेली टेलीग्राफ़ और संडे टेलीग्राफ़ में खेल की स्वतंत्र लेखिका भी थीं. वो आईटीवी के वर्ल्ड ऑफ़ स्पोर्ट्स की पहली महिला खेल प्रेजेंटर भी बनीं.
हेहो फ़्लिंट उन लोगों में से थी जिन्होंने सत्तर के दशक में कहा था कि खेल और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए. 1978 में अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा, "हम कौन होते हैं... दक्षिण अफ़्रीकियों को यह बताने वाले कि उन्हें अपना देश कैसे चलाना चाहिए?" उन्होंने कहा, "यह उनका देश है, जहां किसी भी अंग्रेज़ व्यक्ति के लिए आलोचना करने की जगह नहीं है." तब कुछ ऐसी ही स्थिति ब्रिटिश महिला क्रिकेट एसोसिएशन की भी थी, जहां उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
महिला क्रिकेट में नया युग
रिटायरमेंट के बाद के वर्षों में हेहो फ़्लिंट खेलों में महिलाओं को शामिल करने की मुखर वकालत करती रहीं. महिलाओं को एमसीसी (मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब) का सदस्य बनाने की अनुमति देने के एक बड़े अभियान में उनका अहम किरदार था. उनके इस अभियान की बदौलत ही एमसीसी ने 1998 में पहली बार बतौर सदस्य महिलाओं को आवेदन को स्वीकार किया. अगले साल हेहो फ़्लिंट, नौ अन्य महिलाओं के साथ एमसीसी के लिए निर्वाचित होने वाले महिला सदस्यों में शामिल हुईं. 2004 में हेहो फ़्लिंट एससीसी की समिति में शामिल होकर ऐसा करने वाली पहली महिला बनने का इतिहास रचा.
2010 में लॉर्ड्स के पवेलियन में लगा था पोट्रेट
2010 में हेहो फ़्लिंट के एक पोट्रेट का लॉर्ड्स के पवेलियन में अनावरण किया गया. इसे लॉन्ग रूम के ऊपर प्रदर्शित किया गया. यह महिला क्रिकेट में उनके योगदान और महिलाओं को क्रिकेट देखने के अधिकार पर उनके सकारात्मक प्रभाव की स्वीकारोक्ति थी. जनवरी 2017 में उनके निधन पर एमसीसी ने उन्हें अपने अंदाज में श्रद्धांजलि दी. तब उनके बेटे ने उस वर्ष आयोजित महिला वर्ल्ड कप के लॉर्ड्स में खेले जा रहे फ़ाइनल में दूसरी पारी की घंटी बजाई थी. रेचल हेहो फ़्लिंट के सम्मान में इंग्लैंड की घरेलू क्रिकेट में एक ट्रॉफ़ी उनके नाम पर है. हर साल आठ महिला टीमें रेचल हेहो फ़्लिंट ट्रॉफ़ी (50 ओवर के वनडे टूर्नामेंट) के लिए भिड़ती हैं और सितंबर में इसका फ़ाइनल खेला जाता है.





